कुछ अफसाना अपना भी
कभी राजाजी के पैरोकार और कभी विरोधी रहे गोयनका मेरे पिता के दोस्त भी थे। दोनों ने भारत के लिए अखबारी कागज प्राप्त करने म»
कभी राजाजी के पैरोकार और कभी विरोधी रहे गोयनका मेरे पिता के दोस्त भी थे। दोनों ने भारत के लिए अखबारी कागज प्राप्त करने म»
इंदिरा गांधी अपने विरोध में उठने वाली सभी आवाजों को दबाने के लिए योजना तैयार कर चुकी थीं। केवल राजनीतिक आवाज ही नहीं, बल»
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून 1975 को लागू किया आपातकाल एक काले अध्याय के रूप में जुड़ गया है। इस दिन भारत की तत्क»
प्रभाष जोशी स्मारक व्याख्यान 2025 वरिष्ठ पत्रकार पद्म भूषण रामबहादुर राय ने दिया, उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की लक्ष्»
इंदिरा गांधी द्वारा भारत पर थोपी गई फासिस्ट इमरजेंसी की अगले वर्ष (2025) में स्वर्ण जयंती है। स्वर्णिम कदापि नहीं। कालिख»
मेरा जन्म मध्य प्रदेश के सरगुजा जिले में स्थित एक बड़े कस्बे रामानुजगंज में हुआ। उस समय रामानुजगंज बिहार की सीमा पर था। व»
कुलदीप नैयर संजय उत्तर भारत के लोगों को पसंद किया करते थे, विशेष रूप से पंजाबियों को। उन्हें लगता था कि वे उनके लिए करने»
चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बाबूजी (जगजीवन राम) से ड्राफ्ट पढ़वाया। उन लोगों का ड्रामा देखिए! पढ़ते ही»
मेरी गलती यह हुई कि मैंने मान लिया था कि एक लोकतांत्रिक देश की प्रधानमंत्री बहुत करेंगी, तो हमारे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक»
नरेंद्र मोदी आपातकाल के दौरान गुजरात ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की तानाशाही के खिलाफ आमजन»
जो कुछ हो रहा था, उसका साथ देना मेरे लिए असंभव था। कैसे कोई कह दे कि भारत का भविष्य एक व्यक्ति पर निर्भर है। इतनी चाटुका»
पच्चीस जून की रात रामलीला मैदान में जेपी का भाषण खत्म हुआ तो हम उन्हें गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में उनके कमरे में छोड़कर अ»
जेपी-इंदिरा गांधी की भेंट से पहले एक और अत्यंत महत्वपूर्ण घटना हुई। वह इतिहास के पन्नों में खोजने पर भी नहीं मिलेगी, क्य»
अब यह कोई नहीं कह सकता कि शाहआयोग की कोई प्रति भारत में उपलब्ध नहीं है। इसका श्रेय एरा सेझियन को जाता है। उनके ही प्रयास»
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने ग्रीन इंडिया मिशन (जीआईएम) अभियान के तहत अरावली और पश्चिमी घाट पर्वत»
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना के लिए “आधार वर्ष” को संशोधित»
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ मिलने के बाद एक वर्ग काफी व्यथित है। उनकी ओर से बार-बार पूछा जा रहा»
यूरोप-अमेरिका में जो लोकतंत्र है, वह उनकी राजनीति और जीवन रीति में है। वहां के राजनीतिज्ञ भारत के लोकतंत्र को अपने चश्म»
‘ हर रोज कोई न कोई यह बात दोहरा जाता है कि आखिर आपको क्यों जेल में रखा गया है, सरकार छोड़ती क्यों नहीं! मैं कोई उत्तर दे»