आखिर वोहरा कमेटी क्या है? आजकल इसकी चर्चा फिर से शुरू हुई है। इसे सार्वजनिtक न करने को लेकर व्यवस्था के तीनों स्तंभ एकजुट हैं। तथाकथित चौथे स्तंभ की तो तीनों ने मिलकर बत्ती बना दी है। अब समझते हैं कि आखिर एनएन वोहरा कमेटी है क्या? कुछ भी हो, लेकिन जिस कमेटी पर जनता का पैसा खर्च हुआ हो उसकी रिपोर्ट जानने का हक तो है ही हुजूर!
एनएन वोहरा कमेटी 1993 में बनी थी। भारतीय समाज उस समय गुस्से में था। गुस्सा 12 मार्च 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार 12 जगहों पर हुए धमाके के कारण था। इस बम धमाके में 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग घायल हुए थे। मुंबई बम ब्लास्ट की घटना के बाद तत्कालीन पीबी नरसिंह राव की सरकार ने एनएन वोहरा कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने 5 अक्टूबर 1993 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में भारतीय व्यवस्था में बैठे हुए प्रभावशाली लोगों और अपराधियों आतंकियों के संबंधों पर विस्तार से बात की गई है। सुझाव भी दिए गए हैं।
वोहरा कमेटी की रिपोर्ट सौंपने के दो साल बाद तक इसे संसद में नहीं रखा गया। तभी 1995 में सनसनीखेज नैना साहनी हत्याकांड हुआ। इससे सरकार पर दबाव बढ़ा। अगस्त, 1995 में वोहरा कमिटी की सिलेक्टिव रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। ये रिपोर्ट 100 से ज्यादा पन्नों की है लेकिन सरकार ने सिर्फ 12 पन्ने सार्वजनिक किए। कोई नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट्स के कुछ पन्नों के हिसाब से ही गठजोड़ में कुछ एनजीओ और बड़े पत्रकार भी शामिल थे। बहरहाल 1997 में केन्द्र सरकार पर एकबार फिर रिपोर्ट सार्वजनिक करने का दबाब बढ़ा। सरकार शीर्ष अदालत चली गई। आखिर किसे बचाने के लिए सरकार अदालत भागी? बहरहाल अदालत ने भी दलील मान ली। अदालत ने कहाकि सरकार को रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर बाध्य नहीं किया जा सकता। कमेटी पर हमारा पैसा खर्च हुआ है। मी लार्ड सरकार लालू करें या न करें, लेकिन मुझे रिपोर्ट जानने का अधिकार तो है ही।
सार्वजनिक मंचों पर विखरे तथ्यों को समेटकर समझें तो रिपोर्ट में कहा गया, ‘इस देश में अपराधी गिरोहों, हथियारबंद सेनाओं, नशीली दवाओं का व्यापार करने वाले माफिया गिरोहों, तस्कर गिरोहों, आर्थिक क्षेत्रों में सक्रिय लॉबियों का तेजी से प्रसार हुआ है। इन सबके रिश्ते संवैधानिक संस्थाओं में बड़े पदों बैठे प्रभावशाली लोगों से भी है।
इन लोगों ने विगत कुछ वर्षों के दौरान स्थानीय स्तर पर नौकरशाहों, सरकारी पदों पर आसीन लोगों, राज नेताओं, मीडिया से जुड़े व्यक्तियों तथा गैर-सरकारी क्षेत्रों के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों के साथ संबंध और भी गहरे हुए हैं। इनमें से कुछ सिंडिकेटों की विदेशी आसूचना एजेंसियों के साथ- साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय संबंध भी हैं।’ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी दाउद से भारत के किन-किन प्रभावशाली लोगों से सांठगांठ है इस पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है।