शिक्षा-दीक्षा से रसायन शास्त्री एचवी. शेषाद्रि राम जन्मभूमि आंदोलन में संघ का मुखर चेहरा थे। उनके ऊपर संघ की ओर से राम जन्मभूमि के मसले पर सामाजिक रसायन को साधने की जिम्मेदारी रही।
1983 में राम जन्मभूमि आंदोलन को गति देने के लिए प्रथम एकात्मता यात्रा आयोजित की गई। उसका जिम्मा इन्हीं का था। 6 दिसंबर, 1992 को शेषाद्रि बाकी नेताओं के साथ अयोध्या में ही मौजूद थे।
लगभग 200 मीटर की दूरी पर वह मंच बना था, जिस पर लालकृष्ण आडवाणी और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल के साथ शेषाद्रि भी मौजूद थे। संघ की ओर से राम जन्मभूमि आंदोलन का पहली बार मौके से संचालन शेषाद्रि ही कर रहे थे। वे कई भाषाओं के ज्ञानी थे।
जब कारसेवक ढाँचे पर चढ़ तोड़-फोड़ करने लगे तो हालात को बेकाबू होता देख शेषाद्रि ने हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम भाषाओं में कारसेवकों से लौट आने की अपील की थी। शेषाद्रि ने राम जन्मभूमि आंदोलन को 1998 में हिंदू पुनर्जागरण आंदोलन का नाम दिया।