दिल्ली में 10 हजार बिस्तर क्षमता वाला सरदार पटेल कोविड देखभाल केंद्र एवं अस्पताल तैयार किया गया है। अस्पताल का श्रेय लेने के लिए आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार अपने-अपने दावे-प्रतिदावे कर रहे हैं, उसके असल श्रेय के हकदार ये दोनों नहीं बल्कि वह संस्था है जिसकी जमीन पर यह देखभाल केंद्र खड़ा है। दिल्ली में इस अस्थायी अस्पताल को राधास्वामी सत्संग ब्यास छतरपुर स्थित सत्संग केंद्र में तैयार किया गया है। सत्संग केंद्र में बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने, उनके रहने और भोजन इत्यादि की सुविधाएं पहले से ही मौजूद थीं, चूंकि डेरे के सत्संगों में अमूमन काफी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसे में इसे कोरोना अस्थायी अस्पताल में परिवर्तित करना आसान था। डेरे के नागपुर स्थित सत्संग केंद्र में भी 5000 बिस्तर क्षमता वाला अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है।
राधास्वामी सत्संग ब्यास धर्मप्रचार की उस विचार परंपरा से संबंध रखता है जिसमें आध्यात्मिक उन्नति के साथ मानव एवं प्राणी सेवा को भी महत्वपूर्ण समझा जाता है। कोरोना संक्रमण के इस काल में भी डेरे ने मानव सेवा की अपनी उज्ज्वल परंपरा का वहन किया है। 30 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राधास्वामी सत्संग ब्यास सहित कुल 12 धार्मिक संस्थाओं से विचार-विमर्श किया। इसी दौरान डेरा प्रतिनिधि बाबा गुरिंदर सिंह ने बताया कि डेरे द्वारा अपने सभी सत्संग केंद्रों और परिसरों को स्थानीय प्रशासन को सौंपा जाएगा ताकि इन्हें क्वारंटीन केंद्रों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि कोविड महामारी से निपटने के लिए डेरा के सेवाकार्य इससे पहले ही शुरु हो चुके थे। कोरोना के कारण बेरोजगारी या आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों के लिए डेरे ने 26 मार्च से खाने के पैकेट बांटने शुरु किए। डेरा वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार 26 मार्च को शुरुआत में 18 हजार पैकेट बांटे गए और दिन-प्रतिदिन यह संख्या बढ़ती गई। 04 मई को डेरा द्वारा सर्वाधिक 11,76,000 पैकेट बांटे गए। इसी तरह देश भर में फैले डेरा के 250 से अधिक केंद्रों में लोगों के ठहरने और खाने का भी प्रबंध किया गया। 28 मार्च को डेरा के परिसरों में 1275 लोग ठहरे हुए थे तो 16 मई तक यह संख्या 23,788 तक पहुंच गई।
इसके अलावा कोरोना से जंग में सरकार के प्रयासों में सीधे योगदान करते हुए डेरा प्रबंधन द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष में दो करोड़ रुपए का दान दिया गया जबकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर सरकारों को एक-एक करोड़ का योगदान दिया गया। इस तरह डेरा द्वारा कुल आठ करोड़ रुपए की राशि दान के रूप में दी गई। इतना ही नहीं, डेरा प्रबंधन से संबद्ध महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी द्वारा हिमाचल प्रदेश के भोटा और पंजाब के ब्यास शहरों में संचालित अस्पतालों को भी संबंधित राज्य सरकारों को सौंपा गया है ताकि वहां पर कोरोना मरीजों का इलाज किया जा सके।
दिल्ली के सरदार पटेल कोविड देखभाल केंद्र का जिक्र किया जाए तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों ने कोविड के विरुद्ध लड़ाई में योगदान के लिए राधास्वामी सत्संग ब्यास का धन्यवाद व्यक्त किया है हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं आतिशी और संजय सिंह ने विवाद की शुरुआत की। दोनों नेताओं ने देखभाल केंद्र को दिल्ली सरकार द्वारा निर्मित बताकर न केवल श्रेय लेने की कोशिश की बल्कि यह कहकर भाजपा का मखौल भी उड़ाया कि भाजपा ने सरदार पटेल के सम्मान में मूर्ति बनाई तो हमने अस्पताल बनाया। हालांकि जब इस दावे की पड़ताल की गई तो तथ्य सामने आए कि राधास्वामी सत्संग केंद्र परिसर में बने इस अस्पातल का निर्माण आईटीबीपी ने किया है। यहां डॉक्टर और अन्य कार्मिक उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी आईटीबीपी की है। 30000 बिस्तर रेलवे द्वारा उपलब्ध करवाए गए हैं।
अंततः सिर्फ एक सवाल मन में उठता है कि बेशक सरदार पटेल महान व्यक्तित्व है और उनके नाम पर विभिन्न योजनाओं और संस्थानों का नामकरण किया जाना चाहिए परंतु क्या इस अस्थायी अस्पताल का नाम राधास्वामी कोविड देखभाल केंद्र एवं अस्पताल नहीं रखा जाना चाहिए था। जिस संस्था ने उदारमना होकर धन, मानव संसाधन तथा अन्य संसाधन उपलब्ध करवाकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अतुलनीय योगदान दिया, क्या इस अस्पताल के नामकरण में उस संस्था को सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए था?