चार अगस्त, 1972, को बीबीसी के दिन के बुलेटिन में अचानक समाचार सुनाई दिया कि युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने युगांडा में वर्षों से रह रहे 60000 एशियाइयों को अचानक देश छोड़ देने का आदेश दे दिया है.
उन्होंने ये भी ऐलान किया कि उन्हें देश छोड़ने के लिए सिर्फ़ 90 दिन का समय दिया जाता है. छह फ़ीट चार इंच लंबे और 135 किलो वज़न वाले ईदी अमीन को हाल के विश्व इतिहास के सबसे क्रूर और निर्दयी तानाशाहों में गिना जाता है.
एक ज़माने में युगांडा के हैवी वेट बॉक्सिंग चैंपियन रहे ईदी अमीन 1971 में मिल्टन ओबोटे को हटा कर सत्ता में आए थे.
अपने आठ वर्ष के शासन काल में उन्होंने क्रूरता के इतने वीभत्स उदाहरण पेश किए जिसकी मिसाल आधुनिक इतिहास में बहुत कम ही मिलती है.
चार अगस्त,1972 को ईदी अमीन को अचानक एक सपना आया और उन्होंने युगांडा के एक नगर टोरोरो में सैनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अल्लाह ने उनसे कहा है कि वो सारे एशियाइयों को अपने देश से तुरंत निकाल बाहर करें.
अमीन ने कहा, ”एशियाइयों ने अपने आप को युगांडावासियों से अलक-थलग कर लिया है और उन्होंने उनके साथ मिलने जुलने की कोई कोशिश नहीं की है. उनकी सबसे ज़्यादा रुचि युगांडा को लूटने में रही है. उन्होंने गाय को दुहा तो है, लेकिन उसे घास खिलाने की तकलीफ़ गवारा नहीं की है.
शुरू में अमीन की इस घोषणा को एशियाई लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया. उन्हें लगा कि अमीन ने अपने सनकपन में ये ऐलान कर दिया है. लेकिन थोड़े दिनों में उन्हें पता चल गया कि अमीन उन्हें अपने देश से बाहर कर देने के लिए उतारू हैं.
वैसे तो बाद में अमीन ने कई बार स्वीकार किया कि ये फ़ैसला लेने की सलाह अल्लाह ने उनके सपने में आ कर दी थी, लेकिन अमीन के शासन पर बहुचर्चित किताब ‘गोस्ट ऑफ़ कंपाला’ लिखने वाले जॉर्ज इवान स्मिथ लिखते है, ‘इसकी प्रेरणा उन्हें लीबिया के तानाशाह कर्नल ग़द्दाफ़ी से मिली थी, जिन्होंने उन्हें सलाह दी थी कि उनके देश पर उनकी पकड़ तभी मज़बूत हो सकती है, जब वो उसकी अर्थव्यवस्था पर अपना पूरा नियंत्रण कर लें. उन्होंने उनसे कहा कि जिस तरह उन्होंने अपने देश में इटालियंस से पिंड छुड़ाया है, उसी तरह वो भी एशियाइयों से अपना पिंड छुड़ाएं.’