पंचायती राज की कल्पना, गांधीजी की शासन और समाज की दो कल्पनाओं के मेल पर आधारित है। पंचायती राज नीचे से उस प्राथमिक समुदाय से शुरू होता है जिसकी कल्पना ऐसे सहजीवी, सहभाषी, सहकारी परिवारों के संघ के रूप में की गयी है। जो एक साथ मिल-जुलकर अपने काम-काज का प्रबंध करते हैं और जो काम वे स्वयं नहीं कर सकते, उन्हें अन्य समुदायों के सहयोग से करते हैं। इस प्रकार उत्तरोत्तर अधिक विस्तृत समुदायों के संघ का और पंचायती राज की अन्य संस्थाओं का निर्माण करते हैं। गांधी जी के इन्ही सपनों को साकार मोदी सरकार कर रही है। अपने ग्राम पंचायत विकास योजना के जरिए
देश के हर गांव में पीने का पानी हो, बिजली हो, रोजगार हो, लहलहाते खेत हो, भोजन की उपलब्धता हो, सड़क हो, रहने के लिए मकान हो, अच्छे शिक्षा संस्थान हो, अस्पताल की सुविधा हो। गांव में हर कोई खुश हो, संपन्न हो। आदर्श गांव की इसी खुशहाल तस्वीर की परिकल्पना केन्द्र सरकार ने की है। इस दिशा में सरकार ने कदम उठाते हुए ग्रामोदय का संकल्प लिया और जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है। गांव की विकास की योजनाएं बनाने से लेकर उसके क्रियान्वयन तक के लिए पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम पंचायत विकास योजना(जीपीडीपी) की शुरुआत की है। इस महत्वकांक्षी योजना की नींव साल 2015 में रखी गई थी, जब 14वें वित्त आयोग ने पांच सालों के लिए गांव के विकास की अनुदान राशि को तीन गुणा यानि 2,00292.20 करोड़ रुपये करने की सिफारिश की थी। ये राशि साल 2015 से 2020 तक के लिए आवंटित की गई है। इसका मकसद गांव के विकास में कही भी फंड की कमी बाधा न बनने देना है। इसके साथ जीपीडीपी की योजनाओं से ग्रामीण लोग आर्थिक रूप से भी सबल हो सकें।
योजनाएं बनाने के लिए तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है, ताकि योजनाएं सही और जनहित में बनाए जाएं। योजनाओं की कल्पना से लेकर उसे मूर्त रूप देने तक में पंचायत को कही भी कोई दिक्कत पेश न आएं। जीपीडीपी के किस किस स्कीम के तहत कितना फंड मिल सकेगा, इसे कैसे लागू किया जा सकेगा आदि के बारे में जानकारी देने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में कार्याशाला का आयोजन किया गया। पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम पंचायतों की सहायता के लिए प्रदेश सरकारों को राज्य स्तर कोर ग्रुप तैयार करने को कहा है। यह कोर ग्रुप केन्द्र और पंचायतों के बीच बेहतर तालमेल बिठाने में मदद करेगा। इस संबंध में जुलाई 2015 को सभी राज्यों में पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके अलावा पंचायती राज मंत्रालय ने पिछले तीन सालों में ग्रामीण विकास व पंचायती राज इंस्टीट्यूट के माध्यम से सभी ग्राम पंचायतों को ट्रेनिंग दी है। इस प्रशिक्षण अभियान में सभी प्रदेशों की तरफ से भरपूर सहयोग मिला है।
गांव के समग्र विकास के लिए पंचायती राज मंत्रालय ने केन्द्र और राज्य सरकार की एक जैसी योजनाओं को जोड़ने पर बल दिया है। पंचायती राज मंत्रालय जीपीडीपी के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर है, और इसकी रूप रेखा तैयार करने के लिए प्रदेश सरकार को हर संभव सहयोग कर रही है। सबसे महत्वपूर्ण पहलू है 14वें वित्त आयोग(एफएफसी) की सक्रियता। 14वें वित्त आयोग का फंड ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में संजीवनी बूटी का काम कर रहा है। इसे गति देने के लिए आयोग ने 14वें वित्त आयोग पुरस्कार की शुरुआत की है, जिससे ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किया जा सके। पंचायतें भी गांव की बुनियादी जरूरतों का सबसे पहले ध्यान रख रहे हैं जो वित्त आयोग की भी पहली शर्त है। ग्रामीण विकास के लिए एफएफसी ने साल 2015-2020 तक 2,00,292.20( दो लाख) करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का लाभ जम्मू-कश्मीर को भी मिलेगा। अनुदान की कुल राशि में 90 प्रतिशत यानि 1,80, 262.98 करोड़ रुपये आधारभूत विकास के लिए रखा गया है और बाकी 10 प्रतिशत यानि 20,029.22 करोड़ रुपये योजना के क्रियान्वयन की प्रगति के आधार पर आवंटित किया जाएगा। इससे राशि के खर्च का सही आंकलन किया जा सकेगा। पिछले साल (2016-17) में ग्रामीण विकास का कितना काम हुआ और उस पर कितनी राशि खर्च हुई, इसका पूरा हिसाब मंत्रालय के पास सभी के पास रहेगा। जीपीडीपी के तहत 14 वें वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, मनरेगा, एनआरएलएम के फंड को विकास कार्यों में लगाना सुनिश्चित किया गया है। इसमें गांव के वित्तीय स्रोत को भी शामिल किया गया है। जीपीडीपी ने गांव के विकास के लिए जनभागीदरी को भी सुनिश्चित किया है। लोग अपने गांव की जरुरतों के हिसाब से योजनाएं बना रहे है।
जीपीडीपी की परिकल्पना में भविष्य की योजनाओं को भी खासतौर पर शामिल किया गया गया है। ग्राम पंचायतों को आगामी पांच सालों को ध्यान में रख कर समग्र विकास की योजनाएं तैयार करने को कहा गया है। इसके साथ प्राथमिकता के आधार पर हर साल किए जाने वाले कामों की योजनाएं बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले तीन सालों के शुरुआती परिणाम बेहद संतोषजनक रहे हैं। गांव के लोग अपने क्षेत्र के विकास के लिए लीक से हट कर सोच रहे हैं। सालों से चली आ रही गांवों की समस्याओं को दूर करने के उपाय तलाश कर कारगर योजनाएं तैयार कर रहे हैं। इसमें स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण), पंचायत भवन, शवदाह केन्द्र और पंचायत की आय को शामिल किया गया है। जीपीडीपी के मुख्य उद्देश्यों का विवरण नीचे दिए गए हैं—
क) ग्राम पंचायतों का समग्र व समेकित विकास करना। इसमें गांव की बुनियादी सुविधाओं के साथ सामाजिक, आर्थिक और सामुदायिक विकास करना।
ख) ग्रामीण लोगों को निर्णय करने में सक्षम बनाना, विकास योजनाओं के फैसले में उन्हें शामिल करना
ग) गांव की जरूरतों की पहचान करना, परस्पर सहयोग से योजना तैयार करना और मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग करना
घ) जीपीडीपी के तहत अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण को सबसे ऊपर रखा गया है। गांव में बुनियादी सुविधाएं देने के साथ साथ रोजगार, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर बल देना।
ङ) विकास की संभावनाओं की तलाश और मौजूदा संसाधनों की पहचान कर उसे विकसित करना, गांव को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाना
जीपीडीपी अभियान का आधार भी सिंद्धांतिक तौर पर खरा परखा गया है। हर नजरिए से परखने के बाद ही इस योजना को ग्रामीण धरातल पर उतारा गया है, ताकि खुशहाल गांव का सपना साकार किया जा सकें। ग्रामीण लोगों द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों पर आधारित योजनाओं के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करती है। देश भर की ग्राम सभाएं इस दिशा में हो रहे विकास की निगरानी कर रही हैं। ग्राम सभाएं योजनाओं के विकास की रिपोर्ट, लाभार्थियों की सूची, हर साल किए जा रहे कामों की रिपोर्ट देना भी सुनिश्चित कर रही है। इससे विकास योजना पारदर्शी बन पाई है। राज्य सरकार सभी स्थानीय निकायों को संसाधन के आवंटन के बारे में जानकारी देती है। इसमें प्रत्येक पंचायत को विभिन्न योजनाओं के तहत धन की उपलब्धता के बारे में जानकारी होती है। पंचायत में ग्रामीण लोग विचार-विमर्श कर प्राप्त फंड को सही दिशा में लगाने के लिए योजना तैयार करते हैं, जिसे ग्राम सभा अपनी मंजूरी देती है।
जीपीडीपी के इन उद्देश्यों के मद्देनजर ग्राम पंचायतें नए विचारों के साथ योजनाएं तैयार कर रही हैं, जिससे पंचायतें आर्थिक रूप से भी सशक्त बन सकें। ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्रालय उन प्रदेशों की पंचायतों के विकास कार्यों पर भी नजर रख रहा है जिनकी योजनाओं का कार्यान्वयन थोड़ा धीमा है। उन्हें प्रेरित करने का काम तेज किया गया है जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे कई राज्यों ने अच्छी सफलता हासिल की है। इनमें असम, झारखंड, उत्तराखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम, मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात शामिल हैं। इन प्रदेशों ने जीपीडीपी की योजनाओ को जमीनी स्तर पर काम तेजी से पूरा करने और क्षमता विकास को बढ़ावा देने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। खासबात यह है कि गांव के लोग लीक से हट कर सोच रहे हैं, ताकि समस्याओं का शीघ्र हल निकाल सकें। कई ग्राम पंचायतें अनूठे विचारों के साथ आगे आए हैं। इन नए विचारों और योजनाओं से