भारत जैसे विशाल देश में किसी केंद्रीय सत्ता के 50 माह का कालखंड बहुत छोटा माना जाएगा, लेकिन जब चुनौती बड़ी हो और दांव पर देश का वर्तमान एवं भविष्य, दोनों ही हों तो सरकार में कम समय में ही ईमानदारी के साथ साहसिक निर्णय लेने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैैं एक ऐसी ही सरकार का अंग हूं। हर गरीब, किसान और उपेक्षित व्यक्ति तक बैंकों की सुविधा पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार एक नया बैैंक-इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आइपीपीबी) शुरू करने जा रही है। इस बैंक के शुरू होने के साथ ही डाकिया बैंक की सुविधा हर घर तक पहुंचा देगा। बैंकिंग सुविधा की इस होम डिलिवरी के जरिये सरकार समाज में हाशिये पर खड़े आखिरी व्यक्ति को वित्तीय मुख्यधारा में शामिल करने में सफल होगी।
संचार मंत्रालय पिछली सरकार के एक दशक के कार्यकाल के अविश्वास, अनिर्णय, आरोपों के दौर से आगे निकल चुका है। जनता परिणामोन्मुखी सरकार चाहती थी और हमने ऐसा ही करके दिखाया है। सभी भारतीय नागरिकों को जनधन खाते से जोड़ने के सफल कार्यक्रम केबाद राजग सरकार अब बैैंकिंग सेवाओं को जनता के घर तक पहुंचाने जा रही है। देश के कोने-कोने में मौजूद डाककर्मी इस कार्य को अंजाम देंगे। डाकिया सरकार का वह प्रतिनिधि होता है जो जनता के सुख-दु:ख से सीधे तौर पर जुड़ा होता है। उसकी पहुंच हर नागरिक तक होती है, भले ही वह कैसी भी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का हो या कैसे ही दुर्गम स्थान पर रहता हो।
जनधन योजना, यूनिक पहचान पत्र आधार, मोबाइल और पोस्टल पेमेंट्स बैंक यानी जे यू एम और पी को मिला दें तो जंप बनता है। इस जंप से आर्थिक मोर्चे पर वास्तव में एक ऐसी उछाल आने वाली है जिससे हर नागरिक बैैंकिंग सेवाओं से जुड़ जाएगा। यह एक ऐसी सामाजिक क्रांति का आगाज है, जो अंतत: सभी भारतीयों को एक साझा वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल धरातल पर ले आएगी। बैंकिंग सेवाओं की कार्यप्रणाली को जो लोग जटिल समझकर दूर रहते थे, आइपीपीबी उन लोगों तक भी बैंकिंग सेवा पहुंचाने का एक प्रबल प्रयास है। यह एक सस्ता, सुरक्षित और सरल डिजिटल भुगतान ढांचा भी प्रदान करेगा, जिससे प्रत्येक भारतीय डिजिटल मेनस्ट्रीम का हिस्सा बन सके।
यह बैंक वित्तीय सेवा कार्यप्रणाली को सुविधाजनक और सर्वसुलभ बनाने के लिए डाककर्मी की प्रत्यक्ष सहायता भी उपलब्ध कराएगा। इसकी पूरी कार्यप्रणाली हाशिये पर खड़े आखिरी व्यक्ति तक वित्तीय समावेशन को पहुंचाने में आने वाली सभी बाधाओं से रहित है। पोस्ट ऑफिस के वर्तमान खाताधारकों को भी इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की सुविधा स्वत: मिल जाएगी। इस बैंक से ऐसे वित्तीय परिवेश के विकास में सहायता मिलेगी जो डिजिटल होगा। इस बैंक की कार्यप्रणाली ग्राहकोन्मुखी और ग्राहक सेवा के अनुभव को अच्छा रखने पर केंद्रित होगी। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक वर्तमान पोस्टल व्यवस्था और नई तकनीक का सर्वाधिक इस्तेमाल करके बैंकिंग सुविधा की पहुंच को कई गुना बढ़ा देगा।
अभी देश में जो बैंकिंग ढांचा है उसमें बैंकिंग शाखाओं का एक तिहाई और एटीएम बूथों का लगभग छठा हिस्सा ही ग्रामीण भारत में है। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के कार्यशील होने के बाद यह परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। इसके 1.50 लाख से अधिक सुविधा केंद्रोंं में से 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण भारत में होंगे। इसके 2.50 लाख से अधिक एजेंट बैंकिंग सुविधा को हर घर तक पहुंचाएंगे। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक विश्व का सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क होगा जो विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान देगा।
डाकिया जब बैंकर की भूमिका निभाएगा तो वह बैंकिंग सुविधाओं से वंचित और अल्पबैंकिंग सुविधाओं वाले लाखों भारतीयों को वित्तीय सेवा मुहैया कराएगा। आइपीपीबी का समग्र उद्देश्य आम जनता के लिए सबसे अधिक पहुंच वाला, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनना है। यह सरकार केवित्तीय समावेशन के लक्ष्य को पूरा करेगा। यह बैंक विविध प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगा जिनमें बचत एवं चालू खाते, धन अंतरण, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, बिल एवं जनोपयोगी भुगतान और उद्यम एवं व्यापार संबंधी भुगतान शामिल है।
आइपीपीबी द्वारा तीसरे पक्ष की तरफ से भी कई वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इनमें छोटे कर्ज, बीमा, निवेश और डाकघर बचत खाता शामिल हैं। इसके साथ ही डाकिये के पास पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन होगी जिससे ग्राहक मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज, बिजली, पानी एवं गैस आदि के बिल सहित बीमा आदि की किश्तों का भी भुगतान कर सकेंगे। आइपीपीबी के लाभों को जनता तक पहुंचाने के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
आइपीपीबी के क्रियाशील हो जाने के बाद मनरेगा में दी जाने वाली मजदूरी, छात्रवृत्तियां, सामाजिक कल्याण योजनाओं और अन्य सरकारी सब्सिडी भी हर ग्राहक तक डाकिये के माध्यम से उपलब्ध कराई जा सकेगी। उद्यमियों और व्यापारियों के लिए भी इस बैंक की सेवाएं उपलब्ध होंगी जिनमें डाक-उत्पाद, ई-कॉमर्स व्यावसायिक उत्पादों की कैश ऑन डिलिवरी का डिजिटल पेमेंट भी संभव हो सकेगा। छोटे दुकानदार, लघु उद्यमियों और असंगठित क्षेत्र के व्यापारी भी इस बैंक से लाभान्वित होंगे। आइपीपीबी के लांच के साथ डाकघरों की 650 शाखाएं और 3,250 सेवा केंद्रों पर इसकी सेवा उपलब्ध होगी|
31 दिसंबर 2018 तक यह बैंक पूरी तरह से डाक विभाग के नेटवर्क का इस्तेमाल करने लगेगा। जिसके दायरे में देश के कोने-कोने में स्थित 1.55 लाख सेवा केंद्र्र (डाक घर) और तीन लाख सेअधिक पोस्टमैन और ग्रामीण डाक सेवक शामिल हैं। इसके चलते देश में ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या 49,000 से बढ़कर 1,30,000 हो जाएगी। नई दिल्ली में 1 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय लांच कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जब आइपीपीबी का शुभारंभ करेंगे तब वह वित्तीय समावेशन एवं डिजिटलीकरण की दिशा में भारत के निरंतर बढ़ते कदम का ‘मील का पत्थर’ होगा। इससे निश्चित रूप से हमारे सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों को बल मिलेगा और हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के दर्शन को वास्तविकता में बदलने की दिशा में गतिशील हो पाएंगे।
मनोज सिन्हा (लेखक केंद्रीय संचार राज्य मंत्री हैं )