एक छोटे से मैसेज और लखटकिया कार

प्रज्ञा संस्थानगुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रतन टाटा को एक शब्द का एसएमएस ‘वेल्कम’ (स्वागत है) भेजा था। इसके बाद 2008 में टाटा नैनो परियोजना बंगाल से गुजरात आ गई थी। 2006 में बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार ने टाटा समूह के लिए सिंगूर में नैनो कार उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया था। इसके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे

पीएम मोदी ने रतन टाटा को यह एसएमएस उस समय भेजा था, जब वह कोलकाता में बंगाल से नैनो परियोजना को बाहर ले जाने की घोषणा कर रहे थे। मोदी ने 2010 में साणंद में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश से बने

टाटा नैनो संयंत्र का उद्घाटन करते हुए कहा था कि जब रतन टाटा ने कोलकाता में कहा कि वह बंगाल छोड़ रहे हैं तो मैंने उन्हें एक छोटा सा एसएमएस भेजा था। इसमें मैंने लिखा था, ‘वेल्कम’ और अब आप देख सकते हैं कि एक रुपये का एसएमएस क्या कर सकता है।

टाटा ने तीन अक्टूबर, 2008 को बंगाल से नैनो परियोजना को बाहर ले जाने की घोषणा की थी और कहा था कि अगले चार दिन के भीतर गुजरात के साणंद में यह संयंत्र स्थापित किया जाएगा। पीएम मोदी ने तब कहा था कि कई देश नैनो परियोजना के लिए हरसंभव मदद देने को उत्सुक हैं, लेकिन गुजरात सरकार के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि परियोजना भारत से बाहर न जाए।

साणंद में प्लांट से जून 2010 में पहली नैनो कार के बाहर निकलने के समय टाटा ने इकाई स्थापित करने में मदद के लिए मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि गुजरात ने हमें वह सब कुछ दिया

जिसकी हमें जरूरत थी। पीएम मोदी ने हमसे कहा, यह सिर्फ टाटा की परियोजना नहीं, यह हमारी परियोजना है। टाटा ने 2018 में नैनो कारों का उत्पादन बंद कर दिया।

एक बार रतन टाटा ने एक परिवार को स्कूटर पर सवार होकर कहीं जाते हुए देखा था. वह परिवार स्कूटर पर बारिश में भीग रहा था. यह देखकर रतन टाटा का दिल पसीज गया था. जिसके बाद उन्होंने मिडिल क्लास के लिए कम खर्च में एक सस्ती कार बनाने का फैसला लिया था. इस तरह रतन टाटा ने नैनो कार बनाने का तय किया था.

नैनो सिंगुर विवाद, भारत के  ऑटोमोबाइल फैक्ट्री के भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न विवाद था । इस फैक्ट्री का उपयोग कॉम्पैक्ट कार  बनाने के लिए किया जाना था । 1894 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के नियम का हवाला देते हुए 997 एकड़ कृषि भूमि का एक  यह नियम सार्वजनिक सुधार परियोजनाओं के लिए है, और राज्य सरकार चाहती थी कि टाटा अपने राज्य में निर्माण करे। इस परियोजना का पश्चिम बंगाल में कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया गया था।

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद से देश में शोक का की लहर दौड़ गई है. रतन टाटा को उद्योग जगत के लोगों से लेकर आम जनता तक याद कर रही है. वह एक महान शख्सियत के तौर पर हमेशा याद रखे जाएंगे. रतन टाटा सादगी और सरलता का पर्याय थे. उनके ऐसे कई किस्से है जो इस बात का सबूत देते हैं. एक ऐसा ही किस्सा आपको बताते हैं.टाटा मोटर्स ने टाटा नैनो कार को साल 2008 को लॉन्च किया था. उन्होंने इस कार को बनाने के लिए इंजीनियर को बुलाकर सबसे सस्ती कार बनाने के लिए कहा था. इस कार की कीमत एक लाख रुपये थी. ऐसे में इसे एक मिडिल क्लास परिवार खरीद सकता था.एक लाख की होने के कारण मीडिया ने इसे लखटकिया कार का नाम दिया था. इससे पता चलता है कि, कैसे रतन टाटा ने मिडिल क्लास की परेशानियों को समझा और समाधान करने का सोचा.

 

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