सोनिया गांधी पर आरोप

रामबहादुर रायइस साल दिसंबर माह की तारीख नौ के महत्व में एक नया आयाम जुड़ गया है। संविधान सभा का विधिवत गठन 9 दिसंबर, 1946 को हुआ था। तब से यह तारीख हर भारतीय के लिए बहुत मूल्यवान है। इस तारीख का महत्व कांग्रेस के नेताओं के लिए दूसरों से कुछ ज्यादा है। जब सोनिया गांधी ने 1998 में कांग्रेस की अध्यक्षता सीताराम केसरी से सरासर ज्यादती करके संभाली तो 9 दिसंबर का महत्व कांग्रेसजन के लिए दोहरा हो गया। इसका कारण हैं कि यह तारीख सोनिया गांधी के जन्म की है। इसी तारीख को अब अंतरराष्‍ट्रीय भ्रष्‍टाचार विरोधी दिवस घोषित किया गया है। इसे 9 दिसंबर का संक्षिप्त इतिहास कहना चाहिए। इसमें एक कड़ी इस साल जुड़ गई है।

इस साल 9 दिसंबर को ही राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाए। सोनिया गांधी भी राज्य सभा में हैं। वे कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष हैं। वे राजीव गांधी फाउंडेशन की भी अध्यक्ष हैं। वे कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बनी रहीं। उन पर आरोप है कि वे उन लोगों का साथ दे रहीं हैं जो भारत विरोधी कार्यों में लगे हुए हैं। यह आरोप अत्यंत गंभीर है। सुधांशु त्रिवेदी भाजपा के प्रवक्ता है। भाजपा राजग का नेतृत्व कर रही है। राजग सत्तारूढ़ गठबंधन है। तथ्य जो भी हो, पहली नजर में सोनिया गांधी पर सुधांशु त्रिवेदी ने जो आरोप लगाए हैं, वे उनके निजी पहल के परिणाम नहीं हैं। उनका आरोप सत्तारूढ़ पक्ष का कथन है। उनके आरोप प्रामाणिक तथ्यों पर आधारित हैं और तर्क तो बहुत ही क्रमवार हैं। उन्हें जो भी सुनेगा और पढ़ेगा, वह एक क्षण के लिए रूकेगा। वह आरोपों के जंजाल को देखकर चैंकेगा। फिर अपनी सहज बुद्धि से उसकी जांच-परख करेगा।

उन्होंने अपने आरोपों को संसद ठप्प करने से जोड़ा है। जो उदाहरण दिए हैं, वे हैं- 

  • किसानों से संबंधित रिपोर्ट 3 फरवरी, 2021 को आई थी, जबकि भारतीय संसद का सत्र 29 जनवरी, 2021 को था।
  • पेगासस रिपोर्ट 18 जुलाई, 2021 को आई, जबकि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई, 2021 को था।
  •  हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी, 2023 को आई, जब संसद का बजट सत्र 30 जनवरी, 2023 को था।
  •  बीबीसी की डाक्युमेंट्री 17 जनवरी, 2023 को आई, जबकि संसद का सत्र 30 जनवरी, 2023 से शुरू हुआ था।
  •  मणिपुर का वीडियो 19 जुलाई, 2023 को रिलीज हुआ, जबकि संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई, 2023 को शुरू हुआ।
  • 10 मई, 2024 को वैक्सीन से संबंधित रिपोर्ट आई, जबकि भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे थे।
  • अगस्त 2024 में सेबी के अध्यक्ष के खिलाफ रिपोर्ट आई और हाल ही में 25 नवंबर से भारत का संसद सत्र शुरू होने वाला था, लेकिन 20 नवंबर को अमेरिका में एक रिपोर्ट जारी हो गई।

इन उदाहरणों को बता कर सुधांशु त्रिवेदी ने पूछा है कि क्या  यह महज एक संयोग है या फिर एक संगठित रूप से भारत विरोधी प्रयास है? उन्होंने इसे नरम शब्दों में प्रयास कहा है। आमतौर पर ऐसे कार्यों को षडयंत्र कहा जाता है। उन्होंने इसके सबूत भी दिए हैं। जैसे, यह बताया है कि 1994 में एक संस्था बनी। उसका नाम है, फोरम आफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक (एफडीएल-एपी) जो एक एनजीओ है। इस संस्था के चार सह-अध्यक्ष हैं। उनमें एक सोनिया गांधी भी हैं। उन्होंने इस संस्था के बारे में दो बातें सार्वजनिक की हैं। एक, यह संस्था भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर प्रश्‍न खड़े करती है जबकि पाकिस्तान का पक्ष लेती है। दूसरा, यह स्वतंत्र कश्‍मीर की हिमायत करती है। इसे जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन से फंड मिलता है। इन आरोपों पर सोनिया गांधी की चुप्पी टूटने की प्रतीक्षा हो रही है।

मशहूर पत्रकार के. विक्रम राव ने अपने ब्लॉग में जो लिखा है वह उस जॉर्ज सोरोस का ऐसा परिचय है जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए। पूर्वी यूरोप का एक यहूदी जो कभी बुडापेस्ट में रेलवे कुली और होटल बियरर था। अब खरबपति दलाल बनकर नरेंद्र मोदी की सरकार उखाड़ने में ओवरटाइम कर रहा है। नाम है जॉर्ज सोरोस। यह अमेरिकी सटोरिया आज बड़ा सफल स्टॉक निवेशक, व्यापारी और राजनेता बन बैठा है। उसकी मदद के लाभार्थी हैं राहुल गांधी और कुछ कांग्रेसी सांसद।

पिछले विश्‍व युद्ध के दौरान इस बिचैलिए, सूद पर राशि देने वाले धनपशु ने मोदी को लोकतंत्र का शत्रु करार दिया है।उस सोरोस ने मोदी सरकार को डंवाडोल करने के लिए अपनी थैली खोल दी है।कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी हरकतों से भाजपा के आरोपों को सही ठहराया है। संसद में उनके आचरण से यह समझा जा सकता है। कांग्रेस दोहरे संकट में है। एक तरफ वह भारत विरोधियों के साथ खड़े होने के आरोपों से घिरी है तो दूसरी तरफ विपक्ष उसके नेतृत्व में कार्य करने के लिए तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेतृत्व पर अपना दावा किया है और जो कांग्रेस का नेतृत्व बिना किसी सवाल के मानते रहे हैं, जैसे लालू प्रसाद यादव, वे भी अब ममता बनर्जी के पक्ष में हैं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ के विरुद्धअविश्‍वास प्रस्ताव भी एक नाटक है। जिसकी कमान ममता बनर्जी के पास है।

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