विपक्ष को किसानो की नहीं विचौलियों की चिंता है। वह बिचौलियों के लठैती कर रहा। विपक्ष ने मानसून सत्र के सातवें दिन राज्यसभा में हंगामा किया। विपक्षी सांसद वेल में आए। राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश की रूल बुक फाड़ दी।
राज्यसभा में हंगामे से पहले लोकसभा में तीन विधेयक पास हुए। जिसमें से दो विधेयक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 लोक सभा से 17 सितंबर को पारित हुआ। जबकि एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है।
अब समझते हैं कि वह विधेयक जिस पर विपक्ष हंगामा कर रहा है। कहते क्या हैं। पहले आते है कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) पर यानि Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020) पर। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) 2020, के हिसाब से राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने से रोकता है। साथ ही किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता देता है।
इस कानून के बनने से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं। इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है। एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे।
अब यह समझ से परे है कि किसानों को यह सुविधा क्यों विपक्षियों के गले नही उतर रही। इससे किसानों को क्या नुकसान होगा। इस कानून से तो उसे फायदा ही होने वाला है। हां इतना जरूर है कि मंडियों में बैठे बिचौलिये इससे जरूर आहत होंगे। यह बिचौलिये ही किसानों की सबसे बड़ी समस्या हैं।
विपक्ष आखिर किसके लिए लठैती कर रहा। जो विधेयक सरकार लेकर आई है आखिर उसमें क्या है? उस विधेयक से तो बिचौलियों का एकाधिकार खत्म होगा। बिचौलियों का एकाधिकार ही तो किसानों की सबसे बड़ी समस्या थी।
ऐसा भी नही है कि पुरानी व्यवस्था खत्म कर दी गई। मंडी समिति और आढ़ती व्यवस्था पहले की तरह बनी रहेगी। बदलाव ये हुआ है कि किसान अब लाइसेंसी आढ़तियों को ही अपना उत्पाद बेचने के लिए मजबूर नही है। किसानों के पैरों में पड़ी बेड़ी इस विधेयक ने काट दी है।
आढ़तिया और बिचौलिया दोनों रहेंगे। लेकिन उनका एकाधिकार नही होगा। किसानों को वह जब उचित मूल्य दिलाने में मदद करेंगे तो ही उनका वजूद रहेगा। अब किसान को जब पता चलेगा की किसी और जगह अच्छा भाव मिल रहा है तो वहां अपना माल बेचने को स्वतंत्र होगा।
मंडी से दूर कृषि उत्पाद बेचना अब गैर कानूनी नही होगा। किसान अब बाध्य नही होगा की अपने क्षेत्र की मंडी तक ही रहे। विधेयक ने किसान का बंधन तोड़ दिया है। उसे विशाल और पारदर्शी बाजार देगा। फिर आखिर विपक्ष इन विचौलियों के लिए लठैती क्यों कर रहा?
ये जमीनी लोग नहीं हैं और अगर हैं भी तो इनका निजी स्वार्थ है।आज तक इन्होंने किया ही यही है व्यापारियों को और middleman को दिल्ली बुला के धरना दे के पूरी दिल्ली को जाम और गन्दा करके दारू की बोतलें रोड पे फेंक कर अपने फायेद और माँगे मनवाते थे बिचारे किसानो को बदनाम करते थे आज उनकी value खतम करने के लिये सरकार ने direct किसान भाईयों के लिये करना चहा तो इन नेताओं के पेट में दर्द तो होना ही था क्योंकि ये मिडिल मैन और व्यापारी यही लोग खुद हैं और सदियों से हमारे किसान भाईयों का representative दिखा कर उनके साथ गलत करते आयें हैं। ना सिर्फ ये किसान ऐक्ट पास करे बल्कि सरकार इन so called representatives or advocates of किसान के खिलाफ enquiry करवए तो सच और सदियों का हिसाब किताब भी बाहर आएगा।