बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर उठा विवाद अब तूल पकड़ने लगा है. इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार (8 मई) को सुनवाई शुरू हुई. न्यायपालिका ने इस मामले में बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है. यह याचिका जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने लगाई थी. महागठबंधन सरकार पर विरोध दल लगातार इस मामले को लेकर हमलावर हैं. 5 दिसंबर 1994 को आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की आनंद मोहन के समर्थकों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस बीच उनकी पत्नी उमादेवी ने उम्मीद जताई कि पति की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा.जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई करते हुए काउंटर एफिडेविट देने को कहा है। साथ ही आनंद मोहन को भी नोटिस सर्व करने का आदेश दिया है। कोर्ट में सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने उमा कृष्णैया का पक्ष रखा है।
कोर्ट की इस कार्रवाई का कृष्णैया की पत्नी ने स्वागत किया है। उमा देवी ने कहा, हम खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और नीतीश सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है और 15 दिन के भीतर उनसे जवाब मांगा है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा, क्योंकि मैं अकेली नहीं हूं, पूरा देश मेरे साथ है। उन्होंने बिहार सरकार के इस फैसले को वोट बैंक से प्रेरित बताया था। आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दलित संगठन से जुड़े अमर ज्योति ने भी 26 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में PIL दायर की। कारागार अधिनियम 2012 को संशोधित कर सरकार ने जो अधिपत्र निकाला है। उसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। अमर ज्योति भोजपुर के पीरो के रहने वाले हैं।
इधर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी करने पर एक पत्रकार द्वारा किये गये सवाल भड़क गए. ललन सिंह ने कहा कि जिन्हें नोटिस जारी किया गया है उनसे जाकर पूछिए. उन्होंने नीतीश कुमार के ओडिशा और मुंबई दौरे पर मीडिया से कहा कि इस बात की जानकारी आपको मिलेगी और इसका अंतिम परिणाम भी होगा. मुहिम तेज होगी. महाराष्ट्र भी जाएंगे हर जगह जा रहे हैं.
जेडीयू अध्यक्ष यही नहीं रुके. उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जो उनके खिलाफ जाएगा उसके खिलाफ वो एजेंसी को इस्तेमाल करते रहेंगे. “मणिपुर जल रहा है और देश के प्रधानमंत्री कर्नाटक में उन्माद फैलाने में लगे हैं. भाजपा के भ्रष्टाचार की जो चर्चा हर गली गली में हो रही है उसको दबाने के लिए पूरा धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है. मणिपुर जल रहा है, देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कर्नाटक में चुनाव में व्यस्त हैं.” बिहार में भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को कुछ पता नहीं है. देश के गृह राज्य मंत्री को भी कोई जानकारी नहीं है. बिहार में जो लोग भी धार्मिक उन्माद फैलाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. किसी को धार्मिक उन्माद फैलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
दूसरी तरफ उच्चतम न्यायलय ने सोमवार जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन को भी नोटिस जारी किया और सहारा जिला एसपी द्वारा इसे तामील करने का आदेश दिया। बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर 14 से 20 साल की कैद पूरी कर चुके दोषियों को माफी देने और रिहा करने के लिए जेल नियमों में संशोधन किया है। जिसके बाद आंनद मोहन समेत 26 अन्य अपराधियों को जेल से 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था.
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसके तहत उन्होंने 14 वर्ष की सजा पूरी कर ली थी. इधर 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक, ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा। किंतु अप्रैल 2023 को बिहार सरकार ने नियमों में बदलाव किया तथा जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
उधर आंनद मोहन की पत्नी लवली आनंद का कहना है कि आनंद मोहन बेकसूर थे। हमने अदालत के फैसले का सम्मान किया। हम ईश्वर, बिहार सरकार और अपने समर्थकों का आभार व्यक्त करते हैं। खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते.जी कृष्णैया की हत्या का हमें भी दर्द है। अगर यह घटना आनंद मोहन के सामने होती तब वे कभी ऐसा नहीं होने देते। हम उनकी रक्षा करने की पूरी कोशिश करते।