ये सिर्फ ईंट – पाथर की इमारत भर नही है | ये स्थान सदियों की साधना, तप की अध्यात्मिक ऊर्जा से अभिसिंचित है | ये वैदिक ऋचाओं की गूँज से गुंजायमान हैं | मन्त्रों, आरती, शंखों, घंटों और घड़ियालों की ध्वनियां इनमे समाई है | मानो यहाँ के हर कण- कण में धार्मिकता व् अध्यात्मिकता रची बसी है, रोम – रोम में श्री राम का स्पन्दन है | वक्त बड़ा निर्मम होता है | चाहे मनुष्य हो या मन्दिर, सबकी आयु निर्धारित है |
हाँ, यह जरुर है कि यदि इन मन्दिरों व् भवनों को समय – समय पर संवेदनशीलता के साथ सहेजने की ईमानदार कोशिशें हुई होती तो इन्हें ढहाये जाने की यूं नौबत न आती | इनका वजूद मिट रहा है तो इसके पीछे इन जर्जर मन्दिरों के पुजारी और भवनों के स्वामी भी उतने ही जिम्मेदार है जितना कि प्रशासन | यदि समय रहते इनमें से कोई भी चेता होता तो ये मंदिर व् भवन ढहने से बच सकते थे |
राम नगरी अयोध्या में सैकड़ों वर्षों से श्रद्धा व आस्था का केंद्र रहे दर्जनों प्राचीन मंदिरों व् भवनों को ढहाए जाने की तैयारी शुरू हो गयी है। जर्जरता के कारण अत्यधिक खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके इन मंदिरों व् भवनों को चिन्हित कर नगर निगम ने नोटिस भी जारी किया था। इस सूची में अधिकांश मंदिरों की पहचान उनकी ऐतिहासिकता के कारण होती है।
संरक्षण के अभाव में ये मंदिर व् भवन अब खतरनाक श्रेणी में शामिल हो गए हैं। प्रशासन के सख़्त रुख के बाद मंदिर प्रशासन स्वयं ही इन मंदिरों के जर्जर हिस्सों को ढहाना शुरू कर दिए हैं । अयोध्या के 174 जर्जर मंदिरों व भवनों के बाशिंदों पर हर पल मौत का खतरा मंडरा रही है। वर्षों पूर्व इन भवनों को खतरनाक घोषित करते हुए प्रशासन ने दरवाजों पर नोटिसें चस्पा की थीं। कुछ भवन ही रिक्त हुए |
अधिकांश में लोगों ने डेरा डाल रखा है। सावन मेला को देखते हुए प्रशासन ने एक बार फिर नोटिस जारी कर दी है । सर्वाधिक जर्जर मंदिर व भवन स्वर्गद्वार मुहल्ले में हैं। इनके अलावा राम की पैड़ी, नयाघाट, देवकाली, तुलसीबाड़ी, कजियाना व अन्य मुहल्ले में भी हैं। अधिकांश भवन व मंदिर रख-रखाव न होने के कारण जर्जर हो चुके हैँ। कई जगह मालिकाना या किराएदारी के विवाद भी हैं। इसके कारण कई भवनों को लेकर मुकदमेबाजी चल रही है।
इन भवनों में रहने वाले बेहद कम किराए पर हैं। यही वजह कि वे जान का खतरा होने के बावजूद इन भवनों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इतने कम किराए पर अन्यत्र मकान मिलना भी संभव नहीं है। किराएदार भी बेहद गरीब लोग हैं । नयाघाट पर शुक्ला मंदिर, तुलसीनगर मुहल्ले में भीखू शाह मंदिर, लक्ष्मणघाट में फखरपुर मंदिर व अन्य कई मंदिर बेहद जर्जर हैं।
मेलों के दौरान इन मंदिरों में श्रद्धालु भी ठहरते हैं। इससे यहां खतरा दोहरा है। मंदिरों में कई किराएदार रह रहे हैं। प्रशासन की नोटिस के बाद भी लोग भवनों को नहीं छोड़ रहे है । कुछ मंदिरों में अत्यधिक जर्जर हिस्से को गिरा जरूर दिया गया है, लेकिन इससे भी खतरा पूरी तरह टला नहीं है ।
गौरतलब है कि हनुमान गढ़ी प्रशासन ने 500 वर्ष पुराने महाविरिया मंदिर को गिराने की कार्यवाही कुछ दिन पहले शुरू कर दी है। प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी के उज्जैनिया पट्टी ने स्वयं सैकड़ों वर्ष पुराने जर्जर महाविरिया मंदिर के शिखर को गिराए जाने का काम शुरू कर दिया है। यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना बताया जा रहा है। हनुमान गढ़ी के पुजारी रमेश दास ने बताया मंदिर काफी जर्जर हो चुका था इसलिए यह कार्यवाही की जा रही है ।
नगर निगम 177 जर्जर भवनों व मंदिरों को नोटिस जारी कर कहा है कि मालिक स्वयं छतिग्रस्त हिस्से का पुनःर्निर्माण करा लें अन्यथा उसे गिरा दिया जाएगा, जिसका शुल्क भी वसूला जाएगा। यह कदम नगर निगम ने वर्ष 2014 के सावन मेले के दौरान स्वर्ग द्वार मोहल्ले में बने पंचायती यादव मंदिर में हुए दुर्घटना के बाद उठाया है। जर्जर मंदिर रात में भरभरा कर गिर गया था, जिसमे दो श्रद्धालुओ की मौत हो गई थी और दर्जन भर घायल हो गए थे। इस प्रकार की दुर्घटना फिर न घटे इसको लेकर जिला प्रशासन सतर्क है ।
अयोध्या के डा. रामानन्द शुक्ल ने कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है कि जिन मन्दिरों का इतिहास सदियों पुराना है, उसे हम सहेज नहीं पाये और वे मंदिर व् भवन जर्जर हो गये | वहीं दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद् के प्रदेश मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने प्रशासनिक कार्यवाही पर तंज कसते हुए कहा कि प्रशासन तोड़ने की नोटिस नहीं, सहेजने का काम करे तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि जर्जर मन्दिरों की सूचीं में कई ऐसे धार्मिक स्थल है जिनका स्वर्णिम अध्यात्मिक इतिहास रहा है |
सावन मेला में प्रशासन को फिर जर्जर भवनों की याद आयी है और इसी क्रम में कुछ भवन मालिकों ने जर्जर भवनों को ढहाने की प्रक्रिया खुद शुरू कर दी है क्योंकि ऐसा नहीं करने पर प्रशासन की ओर से ढहाने का शुल्क भी उनसे वसूला जायेगा |
ये है अयोध्या के कुछ प्रमुख प्राचीन जर्जर मंदिर
श्री राम निवास मंदिर,रामकोट
- दशरथ यज्ञशाला,रामकोट
- उदासीन मंदिर, गोला बाजार
- चतुर्भुजी मंदिर,रामपैडी के बगल
- शीषमहल मंदिर, देवकाली के निकट
- रामायण भवन, भागवत भवन, बेगमपुरा
- कसौधन पंचायती मंदिर, बेगमपुरा
- सियाशरण कुर्मी मंदिर, प्रमोदवन
- छोटी कुटिया, प्रमोदवन
- हनुमान कुटिया, हनुमानकुण्ड
- महोबा स्टेट, हनुमानकुण्ड
- राजा बोध सिंह मंदिर, नयाघाट
- शुकुल मंदिर, नयाघाट
- बेतिया मंदिर, मीरापुर