अयोध्या धर्म और सियासत दोनो के केन्द्र में सदियों से रहा। कई सियासी दलों की सियासत को तो परवान पर ही अयोध्या ने चढ़ाया। अयोध्या का मतलब ही होता है जिससे युद्ध न किया जा सके। लेकिन सियासत के पहलवाने ने इसे अखाड़े में तब्दील कर दिया। इन सियासी चलों से राम ही निपट सकते हैं। लेकिन कुछ सियासी लोग ऐसे भी थे जो सालों ने इसके विकास को लेकर चिंतित रहे। लेकिन वो उसे अंजाम तक नही पहुंचा सके। साल 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद उनकी कोशिशें जरूर कामयाब होते दिखी। आयोध्या का इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से अयोध्या का विकसित होना भी जरूरी है। क्योंकि यदि राम मंदिर बन जाने के बाद इस शहर पर दबाव कई गुना बढ़ जाएगा, जो आज की अयोध्या झेल नही पायेगी। आज विकास के नजरिए से धर्मनगरी बेहद पिछड़ी हुई तस्वीर लिए आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आह भरने पर मजबूर कर देती है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो अयोध्या के आंखों में भी विकास के सपने तैरने लगे। तमाम बड़ी परियोजनाएं अयोध्या आईं तो लेकिन प्रदेश में गैर भाजपाई सरकार होने के कारण परियोजनाओं को पंख नहीं लग पाए। कोई न कोई रोड़ा परियोजनाओं की रफ्तार को मद्धिम कर दे रहीं थी। प्रदेश में आदित्यनाथ योगी की सरकार आते ही विकास परियोजनाओं की गति तेज हो गई है। जहां देखिएए वहीं कुछ न कुछ हो रहा है।
अयोध्या की धरती ऐसी है जो सांस्कृतिक व धार्मिक पर्यटन के विकास की विराट संभावनाओं को धारण किए हुए है। इसमें वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र बनने की क्षमता है लेकिन इस रूप को उभारने की संवेदनशीलता के साथ ईमानदार कोशिश नहीं की गई। वाराणसी, मथुरा.वृंदावन, उज्जैन आदि धर्मनगरियां समय को पीछे छोड़ आगे बढ़ गई है लेकिन अयोध्या कमोबेश वहीं ठहरी है।
अयोध्या विवाद के लगभग तीन दशक हो गए। इसे देखने के बाद जो अक्स जेहन में उतरता हैए उससे लगता है कि धर्मनगरी आज भी सपनों में जी रही है। सपना मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण का तो है हीए साथ ही आधुनिक विकास का भी है। अयोध्या को लेकर तीन दशक तक जो सियासी.पाखंड हुआए लगता है कि उसे भुला अब अयोध्या आगे बढ़ चली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई हैए वह राम मंदिर मुद्दे पर तो चुप्पी साधे हुए है लेकिन रामनगरी को विकास से सजाने.संवारने में मिशन की तरह लग गई है। विवादित स्थल को छोड़ अयोध्या की सांस्कृतिक अस्मिता के जो भी चिन्ह जहां.तहां बिखरे है, सबके सब प्रमुखता से शामिल दिखते हैं। विकास की यह सभी परियोजनाएं साकार रूप ले लेंगी तो अयोध्या भी अन्य धार्मिक नगरियों की तरह विकास के साथ कदमताल करेगी।
सनातन संस्कृति के लिए अयोध्या की भूमि बहुत उर्वर रही है लेकिन जो सांस्कृतिक चिंह्न हैं उस पर वक्त की धूल चढ़ गई। उसे झाडऩे.पोंछने की जरूरत हैए तभी श्रद्धालुओं व पर्यटकों की आमद अयोध्या की ओर अन्य धर्म नगरियों की तरह बढ़ेगी। अयोध्या के शिक्षक श्रीकांत द्विवेदी कहते हैं कि अयोध्या की भूमि सभी को आकर्षित करती रही है। जैन, बौद्ध, सिक्ख सभी धर्मवलंबी प्रभावित हुए। जैन धर्म के कई तीर्थांकरों की जन्मभूमि है। महात्मा बुद्ध ने अपने कई चातुर्मास यहीं बिताया। सिक्ख गुरुओं ने यहां पर साधना की। अयोध्या जैसे स्थानों की आर्थिक धुरी श्रद्धालुओं व पयर्टकों के आवागमन पर निर्भर रहता है। पयर्टकों को आकर्षित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई परियोजनाएं आई हैए इनके परवान चढऩे पर अयोध्या भी नए रूप रंग में हो जाएगी।
अयोध्या की चतुर्दिक ८४ कोसी परिक्रमा को धर्मनगरी की सांस्कृतिक परिधि माना जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर विश्व हिंदू परिषद तक सभी धर्मनगरी की सांस्कृतिक सीमा को लेकर संवेदनशील रहे है। विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा कहते हैं कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था से जुड़ा विषय है, अयोध्या की सांस्कृतिक परिधि के बाहर ही मस्जिद स्वीकार है। क्योंकि पुरातन काल में अयोध्या ८४ कोस क्षेत्र तक फैली थीए जिस परिक्षेत्र में आज भी कई पौराणिक धार्मिक स्थल व उनके चिंह्न मौजूद हैं। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से जानकी नवमी के बीच संत.धर्माचार्य व श्रद्धालु ८४ कोसी परिक्रमा के दौरान इन स्थलों पर अपनी श्रद्धा निवेदित करते हैं। सांसद लल्लू सिंह के प्रयास पर केंद्र सरकार ने ८४ कोसी परिक्रमा पथ को राजमार्ग भी घोषित कर दिया है।
केंद्र की भाजपा सरकार भले ही राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर मौन है लेकिन राम के विराट सांस्कृतिक स्वरूप को जन.जन तक पहुंचाने के लिए बेहद संवेदनशील है। संभवतरू रामयण सर्किट, योजना इसी संवेदनशीलता का ही परिणाम है। राम के पग जहां.जहां गएए उन पग चिंह्नों वाले स्थलों को उसके प्राचीन स्वरूप के साथ आधुनिकता का पुट देकर विकास किया जा रहा है। यह अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक विस्तृत है। यह एक बड़ी परियोजना हैए जो धीरे.धीरे आकार ले रही है।
सरयू के बिना अयोध्या अधूरी है। धर्मनगरी के घाटों से सरयू की धारा गर्मियों के दिनों में दूर हो जाती है। वर्ष भर धर्मनगरी को सरयू स्पर्शित करती रहे और श्रद्धालु उसमें पवित्र डुबकी लगाते रहेंए इसके लिए सरयू पुल के पास बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। पर्यटकों व यात्रियों के लिए रेल सुविधा को सुगम बनाने के लिए बाराबंकी से जफराबाद तक रेल लाइन दोहरीकरण का कार्य शुरू हो गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अयोध्या के चारों दिशाओं में जाने वाली सडक़ों को फोरलेन से जोडऩे की योजनाओं को मूर्तरूप दे रहा है।
अयोध्या के भाजपा सांसद लल्लू सिंह कहते हैं कि अयोध्या को उसकी गरिमा के अनुकूल बनाने की दिशा में प्रयासरत हूं। रामायण सर्किट योजनाए मेडिकल कालेज का शिलान्यासए फैजाबाद.जगदीशपुर फोरलेन का शिलान्यासए ८४ कोसी परिक्रमा पथ को राष्टीय राजमार्गए सरयू पर बैराज बनाने आदि घोषणा हो चुकी है। राम वनगमन मार्ग और रामजानकी मार्ग की दिशा में कार्य शुरू हो गए है। राम वनगमन मार्ग पर फैजाबाद से सुल्तानपुर तक राजमार्ग का कार्य पूर्ण हो चुका है। अयोध्या से रामेश्वरम तक सीधी ट्रेन सेवा शुरू हो चुकी है। अयोध्या से चित्रकूट के लिए प्रयासरत हूं
इन कार्यों के पूर्ण होने पर चहकेगी अयोध्या
.फैजाबाद.इलाहाबाद मार्ग के प्रथम खंड फैजाबाद से सुल्तानपुर मार्ग का उच्चीकरण व सुदृढ़ीकरण का कार्य पूर्ण. २७६ करोड़
. राम वन गमन मार्ग की स्वीकृति. १७६ करोड़
. राम जानकी मार्ग की स्वीकृति. २००० करोड़
. फैजाबाद.जगदीशपुर मार्ग के फोरलेन मार्ग के परियोजना का शिलान्यास. १०५६ण्४१ करोड़
. चौरासी कोसी परिक्रमा पथ को एनएच के रूप में पथ के दोनों ओर वृक्षारोपड़ व यात्री विश्रामालय के निर्माण की घोषणा. लगभग ४००० करोड़
. राम की पैड़ी निरंतर प्रवाहमान हो तथा सरयू के घाटों पर साल भर पानी रहेए इसके लिए बैराज निर्माण की घोषणा. लगभग ३००० करोड़
. फैजाबाद.अयोध्या बाईपास पर यात्री सुविधा केंद्र और अन्य सहूलियतों पर . १०० करोड़
. मेडिकल कालेज का शिलान्यास. २८९ करोड़
. रामायण संग्रहालय के लिए. १५४ करोड़
. अयोध्या के मुख्य मार्ग को छोड़ अन्य मार्गो को आरसीसी किए जाने तथा जल निकासी के लिए. ५० करोड़
. अयोध्या स्थित माल गोदाम को वहां से हटा दूसरी जगह स्थानांतरण के लिए स्वीकृत. १४७ करोड़
. अयोध्या स्टेशन का सौंदर्यीकरण व यात्री सुविधाओं के विस्तार के लिए स्वीकृत. १०५ करोड़
. बाराबंकी.फैजाबाद.अयोध्या.अकबरपुर रेलवे लाइन दोहरीकरण योजना पर कार्य शुरू. १२०० करोड़
. मोदहा रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज स्वीकृत. ३७ करोड़
. फैजाबाद.कानपुर इंटरसिटी का संचालन
. अयोध्या से रामेश्वरम तक ट्रेन सेवा का संचालन
भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना रामयण सर्किट के अंतर्गत अयोध्या में लगभग १३३ करोड़ रूपए से रामकथा गैलरी एवं मेमोरियलए बस डिपो का निर्माण, दिगंबर अखाड़े में मल्टीपरपज हाल का निर्माण, पुराने बस अड्डे पर पार्किंग, राम की पैड़ी के सौंदर्यीकरण का कार्य, सिटी वाइड इन्टरवेन्शन कार्य, अयोध्या के मुख्य मार्ग एवं फुटपाथ के नवीनीकरण का कार्य, चौक अयोध्या से हनुमानगढ़ी, कनक भवन होते हुए राम की पैड़ी तक पैदल यात्री मार्ग का नवीनीकरण, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर यात्री शेल्टर का कार्य, पाटेश्वरी देवी मंदिरए रेलवे स्टेशन पर टीआईसी बूथ का कार्य व गुप्तारघाट पर विकास कार्य शुरू हो चुके हैं।
केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से अयोध्या के संत समाज राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर भाजपा के मौन पर असहज तो हैं लेकिन विकास को लेकर की जा रही कोशिशों पर उनमें खुशी भी है। दिगंबर अखाड़़े के महंत सुरेश दास ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने, यह तो हम लोगों का साध है, अब राम ही जाने कि हम लोगों की यह साध कब पूरी होगी। अयोध्या को समग्र रूप से विकसित करने की कोशिश प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कर रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अयोध्या की पहचान विकास के नजरिए से भी होने लगेगी।
वहीं दूसरी ओर हनुमानगढ़ी के उज्जैनिया पट्टी के पुजारी रमेश दास को पूरा भरोसा है कि भाजपा अपने मूल एजेंडे को विस्मृत करने वाली नहीं है। केंद्र व प्रदेश सरकारों से विकास के लिए शुरू किए गए कार्य से अयोध्या में राम मंदिर बनने से पूर्व विकास कार्यों से अपनी अलग पहचान बनाएगी।
ऋषियों, महर्षियों की तपस्थली है ८४ कोसी परिक्रमा क्षेत्र
अयोध्या श्रीराम की जन्मस्थली है। इसके चारों ओर अनेक ऋषिए महर्षियों साधकों, मुनियों की तपस्या स्थली है। ८४ कोसी परिक्रमा की शास्त्रीय सीमा का निर्धारण इसके चारों कोनों में स्थित स्थलों से किया जाता है। पूरब में श्रृंगी ऋषि, दक्षिण में आस्तीक ऋषि का स्थल जन्मेजय कुंड, पश्चिम में अगस्त्य ऋषि का स्थान और जंबू द्वीप और उत्तर में मखौड़ा ;मख भूमिद्ध को माना जाता है। श्रीमद् बाल्मीकीय प्रमाण से चक्रवर्ती सम्राट दशरथ जी के शासनकाल में अयोध्या नगरी पूर्व, पश्चिम में ८४ कोस लंबी थी और उत्तर.दक्षिण में १२ कोस में चौड़ी उत्तर कोशल की राजधानी के रूप में बसी थी। ८४ कोस की परिक्रमा का उद्देश्य पुण्य लाभ है। ८४ कोसी परिक्रमा के दौरान पड़ाव स्थल उन स्थानों पर बनाए गएए जहां आध्यात्मिक ऊर्जा के सकारात्मक पक्ष की जानकारी लोगों को थी। वह ऋषिए महर्षियों या मुनियों की तपस्थली के रूप में अतीत से जानी जाती है।
अयोध्या की ८४ कोसी परिक्रमा बस्तीए फैजाबाद, बाराबंकी और गोंडा जिलों से होकर निकलती है। यह परिक्रमा चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मखौड़ा ;मख भूमिद्ध से प्रारंभ होती है। इसके समापन पर बैशाख शुक्ल पक्ष अष्टमी को अयोध्या पहुंचती है। दूसरे दिन जानकी नवमी पर्व पर सीताकुंड के तट पर रामार्चा का अनुष्ठान व भोज.भंडारे के आयोजन होते हैं।
परिक्रमा यात्रा मखौड़ा से शुरू होकर बस्ती जिले के श्रीरामरेखा आश्रम, दुबौलिया में हनुमान बागए श्रीश्रृंगी ऋषि आश्रमए महादेवाघाट, आगागंज टिकरी, रामपुरभगन स्थित सूर्यकुंड, दराबगंज स्थित सीताकुंड, ढेमा वैश्व स्थित ब्रह्म स्थान शिवालय, सिड़सिड़ स्थित जन्मेजय कुंड, अमानीगंज पोखरा, रुदौली के मल्कनियां, बाराबंकी जिले के टिकैतनगर बेलखरा के मूर्तिहन भवानी, गोंडा के कमियारघाट, परसरपुर क्षेत्र के विजयगंज दुलारेबाग, संत तुलसी दास की जन्मभूमि राजापुर, नरहरि आश्रम सूकर क्षेत्रए उत्तरी भवानी बाराही देवी स्थलए यमदग्नि ऋषि के गांव जमथाए बस्ती के मखौड़ा ;मख भूमिद्ध होते हुए सरयू तट अयोध्या पहुंचती है, जिसका समापन सीताकुंड में रामार्चा यज्ञ अनुष्ठान के साथ होता है।
गौरतलब है कि ८४ कोसी परिक्रमा २७५ किमी लंबी हैए जिसमें मौके पर ३५ किमी कच्चा मार्ग है। आने वाले दिनों में राजमार्ग के साथ ही सरयू नदी पर दो पुल भी प्रस्तावित हैं। इनके बन जाने से परिक्रमार्थियों को सहूलियतें मिलेंगी, जिससे यह संभावना है कि परिक्रमा करने वाले भक्तों की तादाद भी भविष्य में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी। ८४ कोस परिक्रमा मार्ग पर महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल तो हैं हीए इस मार्ग से दस किलोमीटर दोनों ओर दर्जनों ऐसे ऋषियोंए मुनियों के स्थल हैंए जो सनातन संस्कृति के प्रतीक पुरुष माने जाते हैं। इस मार्ग पर व इसके आस.पास पुत्रकामेष्टि यज्ञस्थल मखौड़ाए श्रृंगी ऋषि आश्रमए दुग्धेश्वर महादेवए आस्तीकए जनमेजय कुंडए रुद्रावलीए गौतम ऋषि आश्रमए सुमेधा ऋषि की साधना स्थली कामाख्या भवानीए भौरीगंजए राजापुरए सूकर क्षेत्रए नरहरिदास की कुटीए ऋषि यमदग्नि की तपस्थली जमथाए अष्टावक्र आश्रमए ऋषि पाराशर की तपस्थली परास गांव और शौनडीहा के साथ ही योगिराज की भरत की तपोस्थली नंदीग्रामए श्रवण कुमार की तपोस्थली बारुनए चिर यौवन बने रहने की कला बताने वाले ऋषि च्यवन का आश्रमए तंत्र शास्त्र को पुष्ट करने वाले ऋषि वामदेव तथा अगस्त्य और रमणक जैसे ऋषियों से जुड़ा स्थान भी शामिल हैं।