मातृत्व एक अनमोल अनुभूति है | दायित्वबोध और स्नेह- सम्भाल के ताने-बाने से बुनी संसार की सबसे सुंदर ज़िम्मेदारी | भारतीय परिवारों में तो इस ज़िम्मेदारी को गर्भावस्था से लेकर बच्चे के पालन-पोषण तक, पूरे परिवार के लिए एक साझा और प्यारा सफर माना जाता है | माँ बनने वाली बहू-बेटी की विशेष देखभाल की रीत रही है | ऐसे में बेबी बंप फोटोशूट जैसे नए चलन वाकई हैरान परेशान करने वाले हैं | खेल की दुनिया, फिल्मी संसार या अन्य किसी क्षेत्र से जुड़ी चर्चित और लोकप्रिय महिलाओं से शुरू हुआ यह चलन अब आम परिवारों की बहू-बेटियों में भी खूब देखने को मिल रहा है | बच्चे के दुनिया में आने से पहले गर्भावस्था में बाकायदा अलग-अलग अंदाज़ और करतब बाजी के साथ तस्वीरें ली जाती हैं | भावी अभिभावक कुछ नया और अलग सा करने की कोशिश में फोटोग्राफरों को मोटी रकम चुकाकर बेबी बम्प फोटोशूट करवा रहे हैं |
विचारणीय है कि शुरुआत में एक सुखद स्मृति को सहेजने के लिए शुरू हुआ यह चलन अब हद दर्जे के अभद्र से प्रदर्शन तक जा पहुंचा है | सोशल के विभिन्न मंचों पर ऐसी तस्वीरों को साझा करने की होड़ लगी हुई है | इतना ही नहीं ऐसे फोटोशूट अधिकतर सातवें-आठवें महीने के बाद किए जाते हैं ताकि गर्भवती माँ बढ़ा हुआ पेट हर कोण से तस्वीरों में उभरकर दिखाई दे | अजीब बात है कि निजता के मायने इस सुंदर ईश्वरीय सौगात को जीने और महसूसने के मामले में भी भुला दिये गए हैं | जबकि यह अवस्था किसी स्त्री के लिए थोड़े ठहराव से जीने और सकारात्मक परिवेश से जुड़ने का दौर होता है | सुरक्षा की दृष्टि से यह ठहराव जरूरी है | यों भी ऐसी दिखावटी-बनावटी चीजों से परे परम्परागत रूप से हमारे यहाँ गर्भावस्था में स्वयं से जुड़ने, ज्यादा काम न करने और सम्भाल देखभाल को लेकर सजग रहने की सलाह दी जाती है | मौजूदा समय में बहुत वैज्ञानिक अध्ययन भी गर्भावस्था में भारतीय परिवारों में अपनाए जाने वाले परम्परागत खान-पान, सधी जीवनशैली और भाव-चाव के जमीनी रंग-ढंग का समर्थन करते हैं | बावजूद इसके दिखावे की इस दौड़ में शामिल होने की होड़ दुर्भाग्यपूर्ण है |
दरअसल, बेबी बंप फोटोशूट असल में प्रेग्नेंसी के दौरान अजीबोगरीब अंदाज़ में फोटो क्लिक करवाने का ट्रेंड है | दशक भर पहले हॉलीवुड और फिर बॉलीवुड के फिल्मी सितारों की देखादेखी भारत में भी इस चलन ने गति पकड़ी | गौरतलब है कि 1991 में सात महीने की गर्भवती हॉलीवुड की लोकप्रिय अभिनेत्री डेमी मूर ने वैनिटी फेयर पत्रिका के कवर के लिए अपने बेबी बंप का नग्न अवस्था में फोटो खिचवाया था | तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर एक असहजता और आक्रोश जताया गया था | बावजूद इसके दुनियाभर में यह चलन चल पड़ा | हमारे यहाँ भी हालिया बरसों में भारती, सोनम कपूर, कोंकणा सेन शर्मा, करीना कपूर खान, काजल अग्रवाल, नेहा धूपिया और बिपाशा बासु जैसी कई अभिनेत्रियों ने अपने प्रेग्नेंसी फोटोशूट से खूब सुर्खियां बटोरी है | कभी किसी पत्रिका के मुखपृष्ठ के लिए तो कभी सोशल मीडिया में अपनी तहलका मचाने वाली उपस्थिति दर्ज़ करवाने के लिए टीवी और फिल्मों के संसार से जुड़ी अभिनेत्रियाँ मैटरनिटी फोटोशूट करवाती रहती हैं | प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में ली गई कई अभिनेत्रियों की तस्वीरें तो वाकई बेहद अभद्र ढंग वाली छवियां रही हैं | ऐसे चर्चित चेहरों का अनुसरण करते हुए आजकल आम घरों में भी बेबी बंप के साथ फोटोशूट का चलन बढ़ गया है | आम घरों की महिलाएं यह नहीं समझ रही हैं कि बहुत सी चर्चित अभिनेत्रियों के लिए बेबी बंप शूट की तस्वीरें व्यावसायिक रूप से धन कमाने और सुर्खियां बटोरने का जरिया हैं | मातृत्व के भाव को भी भुनाने की सोच उनके इस अजीबोगरीब प्रदर्शन से जुड़ी होती है | तभी तो किसी अभिनेत्री के बेबी बंप की फैशनेबल अंदाज़ में ली तस्वीर किसी पत्रिका के मुखपृष्ठ पर छपती है तो कोई इस अवस्था में रैम्प वॉक करती नजर आती है | कई बार तो बाकायदा किसी ब्रांड का प्रचार के लिए ऐसे फोटोशूट करवाए जाते हैं | देखने में आ रहा है कि अब तो सोशल मीडिया में चर्चा पाने के लिए भी यह किया जाने लगा है | अफसोस कि आम महिलाएं भी अपनी निजता और सहजता को भुला इसी राह पर चल पड़ी हैं |
जीवन से जुड़े किसी भी पहलू पर इन्सानों की बदलती रुचि और रुझान को बाज़ार बखूबी समझता है | यही वजह है कि कभी बेहद व्यक्तिगत रहे गर्भावस्था के अनुभवों और शारीरिक बदलावों को छवियों में उतारने की इस सनक को बाजार भी खूब भुना रहा है | बेबी बंप फोटोशूट के लिए लाखों रुपये के पैकेज लिए जा रहे हैं | मौजूदा समय में महानगरों से लेकर छोटे-बड़े शहरों और क़स्बों तक कलात्मक अंदाज़ में स्मृतियाँ सहेजने के नाम पर एक दूजे की देखादेखी यह बाज़ार विस्तार पा रहा है | अब फोटोशूट के लिए पहने जाने वाले कपड़ों, मेकअप, और बहुत सी दूसरी चीजों का एक बड़ा बाज़ार तैयार गया है | जबकि माँ बनने जैसी सुखद नियामत में साथ कई शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएँ जुड़ी होती हैं | अच्छे पोषण और देखभाल की दरकार बढ़ जाती है |
देश में करीब 22 फीसदी महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानि प्रसव के बाद अवसाद से पीड़ित होती हैं | ऐसे में लगता है कि इस अवस्था में महिलाओं की परेशानियों को समझने का परिवेश बनाने के बजाय मातृत्व के अर्थहीन महिमामंडन के एक और ग्लैमर से भरे तरीके ने हमारे समाज में जगह बना ली है | बाजार इसे खाद-पानी भी दे रहा है | जरूरी है कि भावी माता-पिता इस अजीबोगरीब प्रदर्शन के बजाय आपसी आने वाले बच्चे की परवरिश के लिए जुड़ाव और समझ की बुनियाद बनाएँ |