आज से ठीक 47 साल पहले 25 जून 1975 को भारत में आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई थी| यह आपातकाल पूरे देश में 21 महीने के लिए लगाया था |उस समय कांग्रेस की नेता इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं | तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के कहने पर संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू करने का ऐलान किया था | आजादी के बाद देश में लागू होने वाले आपातकालों में 25 जून 1975 वाले या इंदिरा गांधी वाले आपातकाल को विवादास्पद और अलोकतांत्रिक करार दिया गया | जेपी ने इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय कहा था |
1967 से 1971 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद में बहुमत के बूते सत्ता और राजनीति का ध्रुवीकरण कर दिया था | प्रधानमंत्री सचिवालय से ही सत्ता संचालित की जाती थी और उसी सचिवालय के अंदर सरकार की सारी शक्तियों को केंद्रित कर दिया गया था | उस समय इंदिरा गांधी के प्रमुख सिपहसालार और प्रधान सचिव परमेश्वर नारायण हक्सर या पीएन हक्सर के हाथों में सत्ता की चाबी थी, क्योंकि इंदिरा गांधी पीएन हक्सर पर सबसे अधिक भरोसा करती थीं | इसके साथ ही, इंदिरा गांधी भारत की राजनीति और सत्ता पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए कांग्रेस को ही दो भागों में विभाजित कर दिया | वर्ष 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी को गरीबी हटाओ के नारे पर प्रत्याशित जीत मिली | इसके चार साल के बाद वर्ष 1975 में 1971 के आम चुनाव में धांधली के आरोप में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद भारतीय राजनीति में गरमाहट पैदा हो गई | हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी पर छह साल तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया | इसके बाद 25 जून 1975 आधी रात को देश में आपातकाल लगा दिया गया |
वर्ष 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को शिकस्त दी थी | चुनाव के नतीजे घोषित होने के चार साल बाद राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी | अपनी याचिका में उन्होंने दलील दी कि चुनाव में इंदिरा गांधी ने सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया है | निर्धारित सीमा से अधिक पैसे खर्च किए और मतदाताओं को लुभाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया | अदालत ने राजनारायण के इन आरोपों को सही करार दिया और इंदिरा गांधी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया | जिसमें उन्हें छह साल तक के लिए किसी पद को संभालने पर रोक लगा दी गई |
25 जून 1975 को भारत में आपातकाल के ऐलान के साथ ही सबसे पहले प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दिया गया | इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के आदेश पर देश में नसबंदी कार्यक्रम की शुरुआत की गई | नागरिकों के सभी मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया | सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले राजनेताओं को जेल में डाला जाने लगा | ऐसे में ही, जयप्रकाश नारायण ने सरकार की नीतियों और आपातकाल के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया | जिसका नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने की | इस आंदोलन के दौरान अपने भाषणों में जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की काली अवधि या काला अध्याय कहा |
भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में इस बात की चर्चा मिलती है कि इंदिरा गांधी ने जब देश में आपातकाल की घोषणा की थी, हिंदी के अखबार जनसत्ता ने अपने संपादकीय पन्ने पर संपादक के कॉलम को खाली छोड़ दिया था | इसका खामियाजा यह रहा कि अखबार के इस विरोध के बाद उसके संपादक को जेल भेज दिया गया | इसके साथ ही कई प्रसिद्द पत्रकारों को जबरन जेल में डाल दिया गया और करीब हजारों अखबारों को जब्त किया गया | इतना ही नहीं अखबारों के सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए गए | टाइम पत्रिका और गार्जियन अखबार के अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को भी भारत से बाहर निकाल दिया गया. भारतीय प्रेस परिषद को भी भंग कर दिया गया | पीटीआई, यूएनआई, हिंदुस्तान समाचार और समाचार भारती जैसी न्यूज एजेंसियों का विलय कर एक ही समाचार एजेंसी बनाई गई |सरकार ने सेंसरशिप कमेटी बना दी | उस दौरान तत्कालीन सूचना-प्रसारण मंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने जब संजय गांधी के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया, तो उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया गया |