कौन कहता है कि यूरोपीय संसद में रिश्वतखोरी नहीं होती ? ऐसी बदचलनी केवल भारतीय संसद में ही नहीं होती। कल (11 दिसंबर 2022) यूरोपीय संसद की उपाध्यक्षा श्रीमती ईवा कैली को संसदीय राजधानी ब्रसेल्स (बेल्जियम) में पुलिस ने जेल भेज दिया। वे साठ लाख यूरो (करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये) के साथ पकड़ी गई। यह रकम फुटबॉल विश्वकप के आयोजक कतर के राजनयिक ने उन्हें तथा उनके दो अन्य साथियों को दिया था ताकि वे कतर में मानवाधिकार की बुरी स्थिति छिपा कर उसकी बेहतर छवि दिखायें। विश्व मीडिया में कतर में प्रवासी (बहुसंख्यक भारत से) श्रमिकों पर हो रहे अत्याचार की खबर दबाने हेतु दिया था।
इस अभियान में दो अन्य संगठनों का नाम भी चर्चित हुआ है : अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O. जिनीवा) तथा IFTU (वैश्विक श्रमिक यूनियन)। इससे कई भारतीय श्रमिक संगठन भी संबद्ध है। इस महिला सांसद और सह-अभियुक्तों को रिश्वत दी गई थी कि कतर को आदर्श नियोक्ता के रूप में पेश करें ताकि विश्वकप के आयोजन में बाधा न हो। तुर्रा यह कि यूनान की सोशलिस्ट पार्टी की पुरोधा है, श्रीमती ईवा ! उनकी पार्टी मजदूरों के लिए निरंतर संघर्षरत रहती है।
मिलता-जुलता दृश्य भारतीय लोकसभा का भी था। तारीख : मंगलवार, 22 जुलाई 2008 का। सोनिया-कांग्रेस के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ विश्वास-मत प्रस्ताव को लेकर बहस चल रही थी। शाम के 4 बजे थे। भाजपा के तीन सांसद, मध्य प्रदेश से फग्गन सिंह कुलस्ते (मंडला), अशोक अर्गल ( मुरैना) और राजस्थान के महावीर भागौरा (सलुंबर) तभी सदन में एक बैग लेकर पहुंचे। उन्होंने इसे लोकसभा महासचिव की टेबल पर रखा। तीनों सांसदों ने बैग से नोटों की गड्डियों को निकाला और लहराने लगे। शोर शराबे और हंगामे के बीच तीनों सांसदों ने आरोप लगाया कि विश्वासमत के समर्थन में वोट देने के लिए उन्हें करोड़ों रुपए की पेशकश की गई है। सांसदों को नौ करोड़ रुपए देने का वादा किया गया था।
मनमोहन सरकार उस वक्त भारत-अमरीका परमाणु समझौते को पारित कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी। हर वोट महत्वपूर्ण था। समाजवादी पार्टी के समर्थन से मनमोहन सरकार को विश्वास मत प्राप्त हुआ। हवा में तनाव व्याप्त था। “वोट के बदले नोट” के इस कांड ने संसद को हिला के रख दिया। इसमें समाजवादी स्व. अमर सिंह, भाजपा के सुधीर कुलकर्णी, कांग्रेस के स्व. अहमद पटेल आदि का भी उल्लेख हुआ था। वे जेल भेजे गये थे। न्यायमूर्ति थी संगीता ढींगरा सहगल। गिरफ्तार लोगों में बीजेपी के दो पूर्व सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। उन्हें भी जेल भेज दिया गया था।
ह्यूमन राइट्स वॉच, जिसने 2012 में रिपोर्ट किया था कि कतर के स्टेडियम-निर्माण में हजारों, ज्यादातर दक्षिण एशियाई प्रवासी, श्रमिक गंभीर शोषण और दुर्व्यवहार का जोखिम उठाते हैं। हालांकि विश्व कप 2022 के मंचन के लिए कतर के चयन के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ी, और कुछ सुधार हुए हैं। पहले रिपोर्ट के अनुसार, श्रमिकों के साथ “मवेशियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है।”
ताजा समाचार के अनुसार श्रीमती ईवा कैली को यूनान की सोशलिस्ट पार्टी ने निलंबित कर दिया। यूनानी टीवी के समाचार-प्रस्तुतकत्री रही, ईवा अर्थशास्त्री रही जिसमें वे पीएचडी कर रही हैं। उनकी संसदीय लोकप्रियता का प्रमाण था कि वे (18 जनवरी 2022) को प्रथम बार प्राथमिकता पर ही उपाध्यक्ष का चुनाव जीती थी। उनके इतालवी पति फ्रांसिस्को जियोर्जी से कई वर्ष सहवास के बाद विवाह किया। ईवा पर संदेह हुआ था जब उन्होने कतर के श्रम मंत्री अली बिन समीख अल मारी से भेंट के बाद यूरोपीय संसद में वक्रतव्य दिया कि “कतर में मानवाधिकार पूर्ण तौर पर लागू है। मजदूरों को सारी सुविधाएं दी जाती हैं।” कैली के साथ गिरफ्तार अभियुक्तों में ITUC (अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन महासंघ) के प्रधान सचिव लूसा विसेंटीनी भी हैं। इनके कई भारतीय श्रमिक नेताओं से निजी संबंध हैं।
ईवा के साथ त्रासदपूर्ण तथ्य यह है कि यूनान के श्रेष्ठ थेसालोनिकी राज्य की वे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। सम्राट सिकंदर के राज्य मेसोपोटामिया का यह बड़ा नगर है। सिकंदर की बहन के नाम रखा गया है। ईसा मसीह के खास शिष्य संत पाल ने बाइस सौ वर्ष पूर्व यहां ईसाई धर्म का प्रचार किया था। इसके द्विशताब्दी समारोह पर IFWJ श्रमजीवी पत्रकारों का यूनान के मीडिया संघ के आमंत्रण पर एक प्रतिनिधि मंडल मेरी अध्यक्षता में एथेंस गया था। ऑटोमन तुर्की के खलीफा का यह उपनिवेश रहा। यहीं के पादरी संत फ्लोरिस ने आदि कवि होमर पर व्याख्या लिखी थी। यहां ग्रीस ऑर्थोडक्स चर्च का मुख्यालय है, जिनके आश्रम में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। हमारे साथ यूरोप से आयीं महिला पत्रकारों के समर्थन मे हम सब ने वहां इस भेदभाव पर विरोध व्यक्त किया था। ईसा के सामने लिंग भेद कैसा ?
इसी नगर में तुर्की के खलीफा रहे सुल्तान मुराद द्वितीय ने सन 1423 में हजारों ईसाइयों का सर कलम कराया था। थेसोलोनिकी मे ही मुस्तफा कमाल पाशा अतातुर्क पैदा हुए थे । उन्हीने खलीफा को बर्खास्त किया। हाजिया मस्जिद को राष्ट्रीय संग्राहलय बनाया। यहीं 1941 में एडोल्फ हिटलर ने साठ हजार यहूदियों का कत्लेआम कराया था। यही आठवीं सदी में आइया सोफिया चर्च बना था जिसे ध्वस्त कर (1585-89) इस्लामी तुर्की ने मस्जिद बना दिया था। उसी कालखंड में डाकू तैमूर लंगड़े का सेनापति खिज्र खान दिल्ली में सैय्यद वंश का संस्थापक था। फिर लुटेरा बाबर आया और अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ा था। हम पत्रकारों के लिए थेसोलिनिकी नगर बड़ा ज्ञानवर्धक रहा। सुकरात से अरस्तू तक को पढ़ा था। अब उनका देश देखा। वह स्थल भी देखा राजधानी एथेंस में जहां सुकरात की विष देकर हत्या की गई थी। सांसद ईवा को पढ़कर अपने स्कूली दिन याद आए। तब कविता की एक पंक्ति हम गुनगुनाते थे : “पोरस की वीरता का झेलम तू ही बता दे, यूनान का सिकंदर तेरे ही तट पर हारा।” तो कहां सिकंदर ? कहां ईवा ? इतना पतन यूनान का ?