मजदूर दिवस का इतिहास
विश्वभर में श्रमिकों के सम्मान को समर्पित को मई दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष होता है. इसी उपलक्ष में 1 मई को श्रमिक दिवस या म»
विश्वभर में श्रमिकों के सम्मान को समर्पित को मई दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष होता है. इसी उपलक्ष में 1 मई को श्रमिक दिवस या म»
कोहिनूर हीरा फिर सुर्खियों में है। खासकर गत सप्ताह से। यूं यह सदियों से विवाद में रहा। द्वारकाधीश कृष्ण के स्यामंतकमणि»
जी.आर. एल्टन लिखते हैं, ‘प्रतीक पीढ़ी अपने दृष्टिकोण से सामाजिक आवश्यकतानुसार अतीत की व्याख्या करती है, उसी प्रकार»
यह शोक-सूचना है, एक शौर्य दास्तां भी, उस अमेरिकी यहूदी वकील की जिसने दस लाख बेगुनाह नागरिकों की नृशंस हत्या के दोषी हिटल»
१९१९ की १३ अप्रैल को बैसाखी थी. रविवार का दिन था. रौलेट एक्ट के विरोध में सारे देश में प्रदर्शन हो रहे थे. उसी शृंखला मे»
भारत की जंगे आजादी के इतिहास में (10 मई 1857 के बाद) सर्वप्रथम अंग्रेजी सेना को हिंदुस्तानी सैनिकों ने कहां परास्त किया»
किसी व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन करना है, या उस व्यक्ति ने किये हुए कार्य का यश – अपयश देखना हैं, तो उस व्यक्ति»
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है संघ भारतीय ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा गैर राजनैतिक संगठन»
अक्टूबर माह देश में विशेष रूप से गाँधी जयंती के लिए जाना जाता हैं. पिछले सौ वर्षों से भी अधिक समय से वे देश-»
हीगेल के अनुसार, “चेतना सार्वभौमिक एवं अनश्वर है. प्रत्येक युग की ऐतिहासिक घटनाएं चेतना द्वारा प्रभावित होती हैं.&»
लोकनायक जयप्रकाश नारायण– “शायद आपको मालूम हो, श्री सुभाषचंद्र बोस ने शोनान (सिंगापुर) में एक अस्थाई स्वतंत»
दिल्ली के लाल किला पर राजा शिव छत्रपति महानाट्य होने जा रहा है। यह महनाट्य 2 से 6 नवंबर को होगा। यह समय महत्वपूर्ण है। न»
जब कोई बड़ा संकट आ जाता है तो जल्दी में कुछ रास्ता नहीं निकलता। एक उदाहरण मेरे सामने आता है। लहर है। समय-समय पर हर देश मे»
15 मार्च 1948 को रचनात्मक कार्यकर्ता सम्मेलन में कृपलानी का भाषण हुआ। कृपलानी अपने उस भाषण में पुराने विचार और तरीकों का»
ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध तमार जनजातीय विद्रोह सन् 1789 से 1832 के बीच सात बार भड़का। अंग्रेजों की शह पर जमींदार, साहूकार»
बात है 17 अक्टूबर 1996 की। यह वही दिन था जिस दिन उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। विधान सभा को निलंबित रखा गया। राज»
इतिहास पुरूष सदैव चुनौतियों और खतरो से घिरा रहता है। चुनौतियां, खतरे, संकट, घटनाएं, दुर्घटनाएं, उत्थान-पतन और मुश्किलें»
आचार्य, अध्यापकगण, विद्यार्थियों, भाइयों और बहनों, इस विश्वविद्यालय में मैं पहली बार नहीं आया हूं, इससे पहले भी आ चुका ह»
दीनबंधु एंड्रयूज न केवल एक भले अंग्रेज हैं तथा उन्होंने इस देश के लिए न केवल अपना सर्वस्व निछावर किया है बल्कि वे एक कला»