दखल

क्यों जरूरी है गंगा संवाद यात्रा – गोविंदाचार्य

दुनिया के जिस भूभाग ने सर्वाधिक समय तक समृद्धि और संस्कृति का अखंड प्राहव देखा है, उसका नाम भारत है। इस भारत की तासीर भा»

भारतीय समाज को राष्ट्रीय समाज के रूप में विकसित नहीं कर पाए

संविधान सभा ने हमारे दो राष्ट्रीय लक्ष्यों की उपेक्षा कर दी- जीवन दर्शन और राष्ट्रीयता। इसका कारण यह है कि वीएन राव जो स»

परिस्थितियों का इलाज धैर्य से होता है-दत्तोपंत ठेंगड़ी

परिस्थितियां आती हैं, हर चीज का इलाज एकदम नहीं होता। परिस्थितियों का इलाज होता है। इसको समय लगता है और इतने समय तक धीरज»

आवेश और जोश के साथ सोच भी आवश्यक- दत्तोपंत ठेंगड़ी

उदयपुर में जो कुछ हुआ उससे आक्रोश स्वाभाविक है। लेकिन साथ ही सोचने की जरूरत है। 1990 में लुधियाना के राष्ट्रीय स्वयंसेवक»

हिन्दू मानसिकता को समझिए दत्तोपंत ठेंगड़ी की नजर से

हम कहते हैं कि गांधी जी सांस्कृतिक दृष्टि से श्रेष्ठ हिंदू थे। किंतु राजनैतिक दृष्टि से हिंदुओं के सबसे बड़े दुश्मन गांधी»

इमरजेंसी को याद करना उथल-पुथल की उस परिस्थिति में लौटने जैसा है

इमरजेंसी को याद करना उथल-पुथल की उस परिस्थिति में लौटने जैसा है। हर साल हम झांककर देखते हैं कि आखिर क्यों वैसा हुआ? लोकत»