दिल्ली में कब तक उपेक्षा होगी, शहीद हरदयाल लाइब्रेरी की !
हर बुद्धिकर्मी को क्लेश और पीड़ा होगी दिल्ली के पुरातनतम पुस्तकालय (हरदयाल म्यूनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी) की दुर्दशा के»
हर बुद्धिकर्मी को क्लेश और पीड़ा होगी दिल्ली के पुरातनतम पुस्तकालय (हरदयाल म्यूनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी) की दुर्दशा के»
बड़ा जटिल और विषम है सहमत होना प्रधान न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की राय से कि वकील भी डॉक्टर की भांति किसी की मदद करने से»
अवंतिका सम्राट विक्रमादित्य से लेकर गोरखधाम पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ तक बीस सदियां और आठ दशक बीते। अब मोक्षपुरी अयोध्य»
तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा की सांसद महुआ मोइत्रा मामले की जांच विधिवत शुरू हो गई है। लोकसभा की आचार समिति के समक्ष भाजपा»
मुंबई की टैक्सी, जो अब लुप्त हो जायेगी, के साथ भारत में विरोध की राजनीति का एक ऐतिहासिक अनुच्छेद भी खत्म हो जाएगा। इस»
कामसूत्र पर साधु समाज में चर्चा ! अथवा निजी पूंजी की श्रेष्ठता पर माओवादी सभा में गोष्ठी ! क्या अभिप्राय होता ? ठीक ऐसा»
राहुल गांधी तब (मार्च 1971) मात्र नौ माह के शिशु थे। उनकी दादी इंदिरा गांधी पांचवीं लोकसभा का आम चुनाव लड़ रही थीं। यह द»
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है, ‘भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों-वसुधैव कुटुंबकम् में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहि»
भारत में अफगन-तालिबानियों के हमदर्दों के लिए खास खबर। दो दिन बीते (29 जुलाई 2023) इस हैवानी जमात ने शहर हेरात के चौराहे»
अपने अज्ञातवास क़े समय एक बार लेनिन पेरिस (फ्रांस) की सड़कों पर टहल रहे थे. वे बहुत भूखे थे और उनके पास पैसे भी नहीं थे. ए»
यह फसाना (दास्तां) है दो विश्वास मत वाले प्रस्तावों की। दोनों घटनाओं में पंद्रह साल का फासला है। महीना वही जुलाई (22 जुल»
बेजान होती सोनिया-कांग्रेसी विपक्ष की सांसे लौट आयीं। श्रेय जाएगा असमिया लोकसभाई गौरव गोगोई को। इस 40-वर्षीय युवा कांग्»
भाजपायी अत्यंत प्रफुल्लित हो रहे होंगे। उनकी किस्मत से सोनिया-कांग्रेस के छीकें में सूराख पड़ गई। फूटना शेष है। बेंगलुर»
प्रेमी जन हेतु आज का दिन संताप का है, संत्रासवाला भी। मगर वैज्ञानिकों के लिए कीर्तिमान है, यशस्वी भी। आज ही के दिन (20»
समाचार और प्रचार में घर्षण का मसला मुद्दतों से चला आ रहा है। मीडिया जगत में यह सुर्खियों तथा विज्ञापन के आकार में चर्चित»
एक दौर होता था उसका भी कभी। आतुरता से उसका इंतजार था। उत्कंठा भरा। उतावलेपन की हद तक। व्याकुलता समाए। तब अभिसार फिर परिर»
कार्ल आर. पापर ने अपने लेख ‘द पावर्टी ऑफ हिस्टारिसीज्म’ में लिखा है, इतिहास का कोई अर्थ नहीं होता, क्योंकि इ»
गत दिनों एक संक्षिप्त समाचार, नन्हा सा, मगर राष्ट्र के हित में विशद, दब गया, ओझल ही रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अम»
यह दास्तां है एक ब्रिटिश अभिनेत्री की जिसने न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित ब्राडवे थ्येटर में पुरुष की भूमिका निभाई और पुरस्कार»