दखल

औपचारिकता भर रह गया डब्ल्यूटीओ, (इक्कीसवीं सदी की भारत यात्रा, भाग-3)

साल 2005 के बाद पूरी दुनिया में “विकास” के बारे में बहस भी शुरू हो गई। 2008 के अमेरिका मे हुई मंदी का अमेरिका पर विशेष प»

राष्ट्रीय चेतना का उभार (इक्कीसवी सदी में भारत की यात्रा – भाग-2)

भारत पहले रूस, फिर थोड़े समय चीन और 1990 से अमेरिका बनने की कोशिश मे लगा। पर ब्राजीलीकरण की ओर बढ़ा। ब्राजील की आबादी उत्त»

इक्कीसवीं सदी का भारत-अमीर देशों की कठपुतली हैं वैश्विक संस्थाएं

जैसा कई बार कहा जा चुका है कि समाज मे पिछले 500 वर्षों मे जो बदलाव आया है उतना बदलाव पिछले 5000 वर्षों मे नही आया।उपनिवे»

नरेंद्र मोदी का स्वछता अभियान अभी कुछ मुद्दों तक ही सीमित है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने अपने आपको दूसरे प्रधानमंत्रियों की तरह केवल राज»

मीडिया के इस दौर में पत्रकार के रूप में गांधी को याद करती पुस्तक ‘गांधी की पत्रकारिता’

गांधी जी की पत्रकारिता को समझाने वाली पुस्तक ‘गांधी की पत्रकारिता’ छप कर आ गई है। इसे प्रज्ञा संस्थान के लोकनीति केन्द्र»