गूढ़ार्थ के पर्यायवाची – भगवान शिवशंकर !
सृष्टि में असीम आनंद का वातावरण हैं. वसंत की उत्फुल्लता चहुं ओर दृष्टिगोचर हो रही हैं. ऋतुओं के संधिकाल का यह महापर्व अप»
सृष्टि में असीम आनंद का वातावरण हैं. वसंत की उत्फुल्लता चहुं ओर दृष्टिगोचर हो रही हैं. ऋतुओं के संधिकाल का यह महापर्व अप»
भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का नया शोर शुरू है क्योंकि बीबीसी वित्तीय अनियमितता की जाँच का सामना कर रहीं ह»
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। राजा शिव छत्रपति महानाट्य के लिए लालकिला दिल्ली में चार मंजिल मंच बनकर तैयार हो गया। आज दिल्ली वि»
छत्रपति शिवाजी के उदय और मराठा राज्य की स्थापना ने भारत का राजनैतिक वातावरण ही बदल दिया था। यह बात है अठारहवीं शताब्दी क»
मैं सिंध के एक वैष्णव परिवार से संबंधित हूं। हम लोग वल्लभ संप्रदाय के पुष्टि मार्ग के हैं। संप्रदाय के सबसे बड़े पुजारी क»
दीपावली अमर उत्सव है। यह सनातन है। दीपावली की रात्रि सुंदर है। कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कीच- कचरा नहीं, बाहर-भीतर, जमीन-आसमा»
आज बापूजी की बात कहने लगा हूं, तो उससे पहले थोड़ी अपनी कहानी भी सुना दूं। मैं बचपन से ही थोड़ा विद्रोही रहा हूं। घर में वि»
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बहादुर आदमी को कायर बनाता है? यह प्रश्न विचारणीय है। यह आप जो सोचते हैं वह भी सत्य हो सकता है। क»
हमारे यहां हर महीने का कोई न कोई देवता है और कोई न कोई ग्रंथ। माघ महीने में महाभारत के शांति और अनुशासन पर्व को पढ़ने की»
हमें यह समझना होगा कि राष्ट्र केवल भौतिक साधनों से उन्नत नहीं हुआ करते। यदि ऐसा होता तो जापान कभी एक उन्नत राष्ट्र नहीं»
हमारे देवताओं में ज्ञान के देवता हैं और कुछ विज्ञान के। अकेले शिव ही ऐसे हैं जो एक साथ ज्ञान और विज्ञान दोनों के देवता ह»
अध्यक्ष महोदय, विद्यार्थिगण, भाइयों और बहनों, हमें आचार्य महाराज ने याद दिलाया है कि कांग्रेस ने कलकत्ते में लोगों से ज»
आज जो युद्ध चल रहा है, बहुत कम लोग उसके महत्व को जानते होंगे। एक सज्जन ने मुझसे पूछा है कि ‘‘हम जो कार्य कर रहे हैं क्या»
शास्त्रों का एक सिद्धांत है कि प्रयत्न से फल नहीं मिलते, पुण्य से फल मिलते हैं। प्रयास से ही फल मिलतो तो दुनिया में श्रम»
बंबई के एक कार्यकर्ता ने इंटरनेट खंगाला और बड़े प्राचीन ऐसे कई मानचित्र खोज लिए जो ब्रिटेन के लोगों ने तैयार किए थे। वेद»
नेपाल में लोकतंत्र की बहाली और राजतंत्र का अंत काफी रक्तरंजित रहा था और नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल का लंबा इतिहास रहा»
कोरोना ने प्रकृति के करीब जाने, उसके सानिध्य में जीने की एक ललक पैदा की। हालांकि ये ललक पैदा हुई मजबूरी में। लेकिन प्रकृ»
रामलला का मंदिर बनने जा रहा। यह एक दिन में नही हुआ। अयोध्या में कदम दर कदम अयोध्या आंदोलन के संघर्ष के साथियों की गवाहिय»
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती वही शंकराचार्य थे, जिनकी अध्यक्षता में पांचवीं धर्मसंसद की विशेष बैठक हुई, जहां कारसेवा की ता»