महात्मा गांधी-क्रिप्स और नेहरू के ‘कृष्ण’ मेनन – कहानी संविधान सभा की
दूसरा विश्व युद्ध छिड़ने पर संविधान सभा के लिए पंडित नेहरू के अभियान को दो अनपेक्षित समर्थन मिले। पहला समर्थन उन्हें महात»
दूसरा विश्व युद्ध छिड़ने पर संविधान सभा के लिए पंडित नेहरू के अभियान को दो अनपेक्षित समर्थन मिले। पहला समर्थन उन्हें महात»
लंबे संघर्ष के बाद रामलला का मंदिर बनने जा रहा। संघर्ष के कई योद्धा आज हमारे बीच नहीं हैं। वो भी हम सबकी आंखों से इस गौर»
आज पंचायती राज दिवस है। एक बार ठहरकर सोचें। अपने संविधान को भी निहारे, और देखें की गांधी का ग्राम स्वराज उसमें कहां था।»
आनंद कुमार भारत की संविधान सभा द्वारा संविधान का ऐसा मसौदा तैयार किया गया, जो कि उत्तर औपनिवेशिक समय में भारत के अन-औपनि»
जनवरी 20, 1947 पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा विधान परिषद् में प्रस्तुत किए गए लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर द्वितीय चरण की बहस क»
संविधान में बदलाव के बारे में डा. भीमराव अंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार समान थे। अंबेडकर ने यह स्पष्ट र»
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है, जिस दिन भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का»
संविधानवाद के उतार-चढ़ाव में वर्ष 1935 मील का पत्थर है। उससे जो हमारी संवैधानिक यात्रा शुरू हुई, वह इतिहास के अगर-»
बहस समापन की ओर बढ़ रही थी। साथ साथ् सहमति के स्वर एक होने लगे थे। संविधान सभा के सदस्य लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव का»
पहले सप्ताह में तीन खास बातें हुई। 10 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने एक प्रस्ताव पेश किया कि ‘यह सभा संविधान सभा कार्»
संविधान सभा के रास्ते में अवरोधों के ऊंचे पहाड़ ही पहाड़ थे। कांग्रेस नेतृत्व को एक पगडंडी खोजनी पड़ी। तब ही संविधान सभा»
अध्यक्ष के आसन पर बैठने की बारी अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद की थी। बधाई भाषण के क्रम में ‘भारत-कोकिला और बुलबुले हिन्द’ सरोजि»
मुस्लिम लीग की अनुपस्थिति संविधान सभा पर अंत तक छाई रही। इस तरह मानो संविधान सभा पर मुस्लिम लीग की प्रेत बाधा मंड»
अपना संविधान बनाने की धुन में डूबे रहने के कारण क्या कांग्रेस नेतृत्व ने भारत विभाजन के खतरे को नहीं समझा? 1935 के ब्रिट»
संविधान के लक्ष्य का प्रस्ताव ‘सभी सदस्यों ने खड़े होकर स्वीकार किया।’ यह 22 जनवरी, 1947 की ऐतिहासिक घटना है। उसी»
संविधान सभा के पांचवें दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव रखा। वे चाहते थे कि उसे संविधान सभा बि»
लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर संविधान सभा ने डा. भीमराव अंबेडकर का भाषण दत्तचित्त होकर सुना। इसकी पुष्टि अध्यक्ष डॉ.»
संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर दूसरे चरण की बहस महीने भर बाद फिर से शुरू हुई।»
हर समय की अपनी समस्याएं होती हैं, जिनकी जड़ें नजदीक या दूर के इतिहास में पाई जाती हैं। इसलिए उस समय पर ध्यान दिया»