लोकतंत्र में संसदीय मर्यादा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अस्वस्थ होने के कारण 15 वें प्रभाष जोशी स्मारक व्याख्यान में नहीं आ सके। उन्होंने लोकतंत्»
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अस्वस्थ होने के कारण 15 वें प्रभाष जोशी स्मारक व्याख्यान में नहीं आ सके। उन्होंने लोकतंत्»
गिरिराज किशोर जी अब हम सबके बीच नहीं है। गिरिराज किशोर जी ने प्रभाष जोशी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम प्रभाष प्रसंग 20»
अगले साल 26 जून, 2025 को आपातकाल के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। अगर पीछे मुड़कर इसे हादसे या दुर्घटना के रूप में देखें तो»
विगत एक – डेढ़ दशकों से देश की सबसे पुरानी पार्टी का शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व वामपंथ के मोह में जकड़ा हुआ है। राहुल गा»
दिल को बहुत नीक लगा। बड़ा मनभावन भी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दिल्ली में ओजस्वी बयान था : “आतंकी को पाकिस्तान म»
मणिपुर घाटी में रिसते लहू की छीटों से ढाई हजार किलोमीटर दूर संसद भवन अभी लाल नहीं हो पाया ! कारण ? वहां लोग पड़ताल कर रहे»
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा महात्मा गाँधी की नैतिक-आध्यात्मिक विचारधारा पर आधारित अपनी चर्चित किताब ‘न»
वर्तमान समय में देश वैचारिक संघर्ष के संकट से गुजर रहा है. ये संघर्ष वास्तविक पंथनिरपेक्षता और तुष्टिकरण के मध्य, कट्टर»
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध ‘संवर्धिनी न्यास‘ ने शिशुओं को गर्भ में ही संस्कार एवं मूल्य सिखाने के उद्देश्य से गर»
कांग्रेसी अब और शराब पी सकते हैं। निर्बाध, खुल्लम-खुल्ला, बेहिचक, बिना किसी लाग-लपेट या लिहाज के। उनके लिए अब खादी पहनना»
सनातन समाज आंदोलित एवं संघर्षरत है. यह आत्मसम्मान का संघर्ष है. अधिकार का संघर्ष है. राष्ट्र को अक्षुण्ण बनाए रखने का सं»
इतिहास अपने वास्तविक स्वरूप में गतिशील होता है. उसके गर्भ में कुछ ऐसे बीज तत्व होते हैं जो वर्तमान एवं भविष्य की गतिशीलत»
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह बुनियादी तालीम देश के वातावरण में से पैदा हुई है और देश की जरूरतों को पूरा कर सकती है । य»
जनजातीय यानी देश के आदिवासी-वनवासी समुदायों ने भोपाल में मतांतरित लोगों को सरकारी नौकरी, छात्रवृत्ति में आरक्षण,»
[ एक बार भंगी बस्ती, नई दिल्ली की एक सायंकालीन प्रार्थना में एक भजन गाया था। उसमें गांधीजी को अपने स्वतंत्र भारत की मूलभ»
अपने यहां वैज्ञानिक रुझान की कमी बताने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। विज्ञान के इन अंध समर्थकों को लगता है कि जैसे विज्ञा»
जो भूमि अमर हिमालय से घिरी हुई और गंगा की स्वास्थ्यप्रद धाराओं से सिंचित होती है, क्या वह हिंसा से अपना नाश कर लेगी? मैं»