किसान आंदोलन के बहाने माओवादियों की हुंवां-हुंवां
किसान आंदोलन के मंच पर धीरे-धीरे वो सभी दिखाई दे रहे हैं जो शाहीन बाग में दिखते थे। इनके निशाने पर हमेशा नरेन्द्र मोदी ह»
किसान आंदोलन के मंच पर धीरे-धीरे वो सभी दिखाई दे रहे हैं जो शाहीन बाग में दिखते थे। इनके निशाने पर हमेशा नरेन्द्र मोदी ह»
बिल्ली होती है ना, बिल्ली । वह क्या करती है, दूध पीते समय अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि कोई उसे देख नहीं रहा।»
भारत सरकार को जिस बात की आशंका थी, वही हुआ। फ्रांस में मोहम्मद साहिब के कार्टूनों को लेकर घटी घटनाओं पर भारत के मुसलमानो»
सड़कें सिर्फ दो स्थानों को ही नहीं जोड़ती, यह दिलों को भी जोड़ती हैं। इसे भारत सरकार ने बखूबी समझा। यही कारण है कि 2014»
आनादिकाल से भारत भूमि एवं भारतीय सभ्यता परमात्मा की विशिष्ट कृपा की पात्र रही है। यह राष्ट्र अनंत प्राकृतिक एवं सभ्यतागत»
हरियाणा के बल्लभगढ़ की घटना ने, जिसमें एक तरफ़ा प्यार मे एक युवा सरे-आम कॉलेज से निकल रही छात्रा का पहले अपहरण करना चाहता»
कोरोना काल में टेक्नालाजी के किसी भी प्लेट फार्म से अगर आपको संवाद करना है तो दो शब्दों से बच नहीं सकते, म्युट और अनम्यु»
भारतीय राजनीति में विपक्ष की भूमिका जिस तेजी से निरर्थक होती जा रही है, वह सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए। नरेंद्र मो»
कोदंड कठिन चढ़ाइ सिर जट जूट बाँधत सोह क्यों। मरकत सयल पर लरत दामिनि कोटि सों जुग भुजग ज्यों॥ कटि कसि निषंग बिसाल भुज गहि»
पाकिस्तान इस समय अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहा है। लगभग दो वर्ष पहले इमरान अहमद खान नियाजी पाकिस्तान के प्रधानम»
पं. दीनदयाल उपाध्याय के दौर की राजनीति में साम्यवाद और समाजवाद का बोलबाला था। उस समय इनसे भिन्न दीनदयाल जी ने जो विचार द»
भारत में धर्म उसे माना गया जिसे सम्पूर्ण समाज ने समाज के सुचारू चलते रहने के लिए मान्यता दे दी? कितना गहरा फर्क है पश्चि»
भारत की जीवन-व्यवस्था और चिंतन-प्रक्रिया में एक अद्भुत सामर्थ्य रही है। हजारों वर्ष प्राचीन हमारा देश आर्थिक, सामाजिक, र»
भारतीय सेना के पराक्रम और कुशलता के कारण पिछले दो सप्ताह में पैगांग सो क्षेत्र में पासा पलट गया है। पिछले महीने 29 और 30»
…रोम और यूनान आज अवनति के गढ्ढों में गिरे हुए हैं। फिर भी यूरोप के लोग उन्हीं की पुस्तकों से ज्ञान लेते हैं। वे सो»
अयोध्या ऐसी भूमि है, जहां सभी धर्मों के बहुरंगी फूल खिलते हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिक्ख सबके सब इसके आंगन में पलते हैं,»
अतीत की अयोध्या से शुरू हुई धर्म, संस्कृति और अध्यात्म की त्रिवेणी वर्तमान तक बह रही है। यह धारा कभी तेज तो कभी धीमी हो»
तुलसी ने “बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप बिषमता खोई” भी कहा था,और “नृपहिं दोष नहीं दिन्हिं सयाने»
अपनी राजनीतिक जरूरत को महसूस कर विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने उडुपि के पेजावर स्वामी से संपर्क स्थापित किया। यह बात 1»