धीमी पत्रकारिता का सत्याग्रही संपादक
इसाबेल हॉफ्मायर आजकल खबरें बिजली की गति से चलती हैं। यह पत्रकारिता पाठक की आंख से होते हुए सीधे उसकी जेब में उतरना चाहती»
इसाबेल हॉफ्मायर आजकल खबरें बिजली की गति से चलती हैं। यह पत्रकारिता पाठक की आंख से होते हुए सीधे उसकी जेब में उतरना चाहती»
सुभाष झा सोशल मीडिया मतदाता के व्यवहार को प्रभावित करता है। उस पर जो कुछ चल रहा होता है, उससे वह अपनी एक राय बनाता है। म»
‘गांधी की पत्रकारिता’ पुस्तक अंश इंगलैंड जाने से पहले गांधी एक सामान्य जिज्ञासु विद्यार्थी थे। इंगलैंड वे पत»
15 जनवरी, 2000 को विवेक गोयनका का सभी लोगों को पत्र मिला जिसमें वे समूह के सीईओ बनाए गए। वे इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान स»
क्षेत्रीय अख़बारों से आये लोगों ने प्रभाष जोशी की अंगुली पकड़कर जनसत्ता को बनाया। तब एक संरक्षक का भाव था। प्रभाष जोशी ने»
उस समय दिल्ली का जनसत्ता करीब दो लाख के आस-पास छपता था। एक्सप्रेस के प्रबंधन का तर्क माने तो उन दिनों न्यूज़ प्रिंट के दा»
। लेकिन पत्रकारिता मिशन तो तब थी जब देश के सामने स्वाधीनता का मर मिटने वाला लक्ष्य था। एक स्वाधीन लोकतान्त्रिक देश की पत»
कुछ दिनों बाद बोफोर्स तोप सौदे का मामला स्वीडन रेडियो की खबर से सामने आया। यही तब भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मुदद बना। जनसत्»
…जनसत्ता उस अभियान का जरिया नहीं बना जरुरी ख़बरें छपती रहीं। इंडियन एक्सप्रेस का संपादकीय लेख जनसत्ता में नहीं छपता»
वैसे तो हर अख़बार की अपनी शैली होती है। उसके लिए शैली पुस्तिका बनाई जाती है, जिसमें वर्तनी का विवरण रहता है। 1980 में आनं»
एक्सप्रेस की नई बिल्डिंग के विवाद को सुप्रीम कोर्ट में चले मुकदमें की नजर से जो लोग देखेंगे वे इस नतीजे पर पहुंच सकते है»
इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को लोकसभा के विघटन करने और मार्च में चुनाव कराने की घोषणा कर नई चुनौती उछाली। उस समय इलाहा»
उन्ही दिनों इंदौर में 15-16 साल के प्रभाष जोशी गुजराती कॉलेज में फर्स्ट इयर विज्ञान के छात्र थे। वे याद करते हैं –»
महात्मा गांधी जन्मशताब्दी के साल भर चले समारोहों से प्रेरित होकर देश उस रास्ते पर भले ही न चला हो, लेकिन उसकी एक उपलब्»
कुलदीप नैयर जनांदोलन और सत्ता दोनों के बीच गहरी पैठ रखते हुए लोकतंत्र को मजबूती देने का जो काम उन्होंने किया, वह इतिहास»
कांग्रेस की कमान किसके हाथ में है? अगर किसी को यह भ्रम है कि राहुल गांधी कांग्रेस को चला रहे हैं तो उसे दिल्ली की घटना क»
अधिक चुनौती भरी पत्रकारिता स्वतंत्र पत्रकारिता दिनोंदिन चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। इसे हाल में घटी तीन घटनाओं से समझा ज»
अटल बिहारी बाजपेयी भारत माता के एक ऐसे सपूत थे , जिन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व और पश्चात भी अपना जीवन देश और देशवासियों»
मुथुवेल करुणानिधि जब पहली बार विधायक बने थे तो उस वक़्त जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे. जब वे पहली बार तमिलनाडु»