भारत सरकार ने यूक्रेन में फँसे भारतीयों को वापस बुलाने के लिए समय समय पर कई एडवाइज़री जारी की हैं | वहाँ से छात्रों को भारत लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ भी केंद्र सरकार चला रही है | इसके तहत कुछ छात्र भारत आ चुके हैं और कुछ अगले 3 दिनों में 26 फ़्लाइट्स के जरिए भारत लाए जाएंगे |
पीएम मोदी ने चार मंत्रियों को यूक्रेन से लगे चार देशों में भेजा है, ताकि फँसे लोगों को सुरक्षित वापस भारत लाया जा सके. इसके साथ जो छात्र फ़्लाइट से दिल्ली मुंबई लैंड कर रहे हैं, उन्हें रिसीव करने के लिए भी मंत्री प्लेन के अंदर पहुँच कर स्वागत और अभिनंदन कर रहे हैं |”यूक्रेन में भारत के 20 हज़ार लोग रह रहे थे | उसमें से तक़रीबन 12 हज़ार अब तक यूक्रेन छोड़ चुके हैं यानी 60 फ़ीसदी लोग | बचे हुए 40 फ़ीसदी में से आधे कॉन्फ़्लिक्ट ज़ोन में हैं और बाक़ी बचे आधे या तो यूक्रेन की पश्चिमी सीमा पर पहुँच चुके हैं या फिर उस रास्ते में हैं |सरकार की मानें तो केवल 20 फ़ीसदी भारतीय संघर्ष वाले इलाके में बचे हैं | बुधवार देर शाम तक सरकार ने 12 हज़ार की संख्या को बढ़ा कर 17 हज़ार कर दिया |जंग जैसी आपात स्थिति में भारत सरकार द्वारा दूसरे देशों में फँसे भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के कई ऑपरेशन किए हैं |बुधवार को भी यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने खारकीएव शहर में रहने वाले भारतीयों के लिए एक और एडवाइज़री जारी की है | दूतावास का कहना है कि अगर उनके पास कोई वाहन नहीं है, बस उपलब्ध नहीं है, तो पैदल ही वहाँ से निकल लें |
1990 में खाड़ी युद्ध के समय 1 लाख 70 हजार फँसे लोगों को निकालने का काम भारत सरकार ने किया था | उस वक़्त पूरी प्रक्रिया में क़रीब तीन महीने का वक़्त लगा था | सरकार जिस तरह का ऑपरेशन चला रही है, ऐसे में सभी भारतीयों को निकालने में हफ़्ते से दस दिन का वक़्त और लग सकता है | हर दिन 5 कमर्शियल फ़्लाइट में 250 लोगों को भी लाया जा सके तो, 10 दिन तो लगेगा ही | बुधवार को एक C17 विमान निकला है, लेकिन आगे ऐसे कितने विमान जा पाएंगे, वो देखना होगा |C17 ग्लोबमास्टर वही विमान है जिसके ज़रिए अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से अपने लोगों को रेस्क्यू किया था | इसमें एक साथ तक़रीबन 800 लोग लाए जा सकते हैं.
लीबिया में भारत सरकार बहुत सारे लोगों को स्थितियाँ बिगड़ने से पहले ही निकालने में कामयाब रही थी | वहाँ पहले आंतरिक लड़ाई शुरू हो गई थी | लीबिया में लोग काम की तलाश में ज्यादा गए थे और कंपनियों में तैनात थे , तो कंपनियों के रास्ते ऐसा करना आसान था.| लेकिन यूक्रेन में स्थिति बहुत तेज़ी से बदल रही है |”कर्नाटक के रहने वाले नवीन की मौत के बाद जंग के इस माहौल में लोगों को निकालने के लिए सीज़फ़ायर होना ज़रूरी है ताकि आम नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा सके |भारत सरकार इस दिशा में दोनों देशों से रास्ता निकालने के लिए बात भी कर रही है | भारत को दूसरे देशों में फँसे नागरिकों को निकालने का सबसे बड़ा अनुभव है |
1992 से अब तक भारत सरकार ने 30 अलग-अलग देशों से अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है |भारत ने यमन से 45 से ज़्यादा देशों के नागरिकों को निकालने में मदद की थी | तब जनरल वीके सिंह को वहाँ भेजा गया था | इस बार भी भारत के 4 मंत्री गए हुए हैं | किसी भी विपरीत परिस्थितियों में इन मंत्रियों को दूसरे देशों के मंत्रियों से बात करने की सहूलियत होगी और वो उनकी सुनेंगे भी, जो अधिकारी शायद नहीं कर पाएं |
यमन, लीबिया, लेबनान में “तब भारत सरकार वहां की सरकारों से बात करके ये तय करने में कामयाब रही थी कि कुछ टाइम ज़ोन ऐसा हो जहाँ फ्लाइट्स आ जा सके और लोगों को ज़ल्दी निकाला जा सके | लेबनान में तो युद्धग्रस्त क्षेत्रों में घुस कर लोगों को भारत सरकार ने निकाला था | लीबिया में तो गद्दाफी ने केवल भारत को ही अंदर जा कर बचाने की इजाज़त दी थी | यूक्रेन में अंदर अभी कोई देश नहीं जा सका है |
सरकार के सामने अब तीन चुनौतियाँ हैं. “अब कीएव में भारत का दूतावास बंद हो चुका है | इस वजह से यूक्रेन के अंदर भारत कुछ ज़्यादा नहीं कर सकता है | जो लोग बच गए हैं वो ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए मजबूर हैं | लेकिन जो लोग निकल चुके हैं और किसी तरह बॉर्डर पर पहुँच पा रहे हैं, उनको निकालने के पूरे इंतजाम करने चाहिए |दूसरा काम जो भारत सरकार को करना चाहिए वो है रूस पर दबाव बनाने का, भारत सरकार को रूस को कहना चाहिए कि आप सैन्य कार्रवाई को रोकिए | तीसरा काम है भारत की अर्थव्यवस्था को इसके असर से बचाने का |