कोरोनो वायरस इंसानों में कैसे पहुंचा यह अब भी शोध का विषय बना हुआ है। भारतीय वैज्ञानिक मानते हैं कि चमगादड़ों में पाया जाने वाला कोरोना वायरस इंसानों के कोरोना वायरस से अलग है। अभी तक चमगादड़ों से इंसानों में कोरोना वायरस फैलने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। भारतीय आयुर्वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमण आर गंगाखेडकर के मुताबिक चमगादड़ों से इंसानों में कोरोना वायरस फैलने की घटना बेहद कम है, शायद 1000 सालों में भी ऐसा कभी हुआ होगा। बता दें कि आईसीएमआर ने चमगादड़ों पर शोध किया है। यह शोध 10 राज्यों के चमगादड़ों पर किया गया है जिसमें 4 राज्यों के चमगादड़ों से लिए गए नमूनों में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। वहीं, 6 अन्य राज्य कर्नाटक, चंडीगढ़, उड़ीसा, पंजाब,
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे की साइंटिस्ट डॉ. प्रज्ञा यादव ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि चमगादड़ों में पाया जाने वाला कोरोनावायरस का इंसानों को संक्रमित करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इस बारे में 10 राज्यों में किए गए शोध कार्यों में से चार राज्यों में हिमाचल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु में पेट्रोपस और रोसेट्स प्रजाति के 25 चमगादड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। केरल में 2018 और 2019 में निपाह वायरस भी चमगादड़ की पेट्रोपस प्रजाति से फैला था। उन्होंने बताया कि अभी ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं जिससे कह सकें कि चमगादड़ ही कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार है। अभी इस विषय में और अध्ययन किया जाना है।
रिसर्च टीम की हेड डॉ. प्रज्ञा यादव के मुताबिक, चमगादड़ की दो प्रजातियों के गले से और मल के सैम्पल लिए गए थे। इनकी पॉलीमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच के बाद स्थिति सामने आई।
चमगादड़ों में रहते हैं कई तरह के वायरस
शोध के मुताबिक चमगादड़ों में कई वायरस हो सकते हैं। सभी सुप्त अवस्था में रहते हैं। चमगादड़ के शरीर में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। इसी कारण से वायरस चमगादड़ को प्रभावित नहीं कर पाता। लेकिन इनसे दूसरे जीवों और खासतौर पर मैमल( स्तनाधारी प्राणी) को संक्रमित कर सकता है। साल 2018 में केरल में फैले निपाह वायरस का वाहक भी चमगादड़ को माना जाता है।