राष्ट्र संचालन के लिए सुस्पष्ट कानूनी व्यवस्था आवश्यक है ताकि विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच टकराव से बचा जा सके। लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग पर ट्रेनिंग कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कानून में अस्पष्टता से उसे लागू करने में दिक्कत के साथ ही अदालती दखलअंदाजी को भी बढ़ावा देता है। शाह का कहना था कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग एक कौशल है, जिसमें विवाद के मुद्दों को कम से कम रखने की कोशिश होनी चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि जनता के प्रतिनिधि के तौर पर सांसदों और विधायकों को विधायी मसौदे तैयार करने का अनुभव नहीं होता है। वे सिर्फ जनता के हितों के अनुरूप फैसले लेते हैं, उन्हें कानून के अनुरूप तैयार करने का काम लेजेस्टिव विभाग होता है। उन्होंने कहा कि यदि कानून के ड्राफ्ट में अस्पष्टता होगी तो कार्यपालिका के लिए उसे लागू करने में दिक्कत आएगी और बाद में अदालतों में उसे चुनौती देने का मौका भी मिलेगा, जिससे देश का समय और संसाधन दोनों लगेंगे।
जबकि सुस्पष्ट कानून से न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने कानून की ड्राफ्टिंग में देश काल, ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति, शासन व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी ध्यान रखने पर जोर दिया। संविधान में अनुच्छेद 370 के पहले अस्थायी शब्द जोड़ने को बेहतरीन ड्राफ्टिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि काफी सोच-विचार के बाद इसका इस्तेमाल किया गया था।
अनुच्छेद 370 को 2019 में निरस्त कर दिये जाने के विषय में गृहमंत्री शाह का कहना था कि संविधान का कोई अनुच्छेद अस्थायी नहीं होता है, उसमें सिर्फ संशोधन की गुंजाइश होती है, लेकिन अनुच्छेद 370 के पहले अस्थायी शब्द जोड़कर यह साफ कर दिया कि इसका वजूद सिर्फ कुछ समय के लिए ही है। ध्यान देने की बात है कि इस अनुच्छेद को 2019 में संसद ने निरस्त कर दिया था। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले नौ सालों में सरकार ने देशहित में समय के अनुकूल कई कानून बनाएं है। और ऐसे बहुत सारे कानून को खत्म भी किये है, जिनकी अब प्रासंगिकता नहीं रह गई थी। ऐसे लगभग 2000 कानून को खत्म किया जा चुका है।
इसी सन्दर्भ में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला नें कानूनों के सरल भाषा में निरुपण की माँग की. उनका कहना था कि विधायी मसौदा तैयार करते समय प्रारूपकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रस्तावित कानूनों की भाषा सरल और स्पष्ट हो. साथ ही बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में कानूनों का बहुत महत्व होता है और ऐसे में विधानों को स्पष्ट बनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि जब कार्यान्वयन और व्याख्या की बात आती है, तो इससे समय और संसाधनों की बचत होती है। कानूनों का मसौदा तैयार करते समय प्रारूपकारों से सावधान रहने का आग्रह करते हुए बिरला ने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि विधानों की भाषा सरल और स्पष्ट हो।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी सुझाव दिया कि विधेयक पेश करने के संबंध में निर्धारित प्रक्रिया से अवगत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट और सरल भाषा में कानून का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए. नियमावली के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नियम बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कानून बनाना।