डा. अरविंद दुहन सिर्फ नाम नही। यह पहचान है आयुर्वेद की। यह पहचान है युवा जोश की। यह पहचान है असाध्य बीमारियों से दो-दो हाथ करने वाले शख्स की। अरविंद दुहन हरियाणा से है। डा. अरविंद दुहन की 22 मई को इएसआईसी कानपुर अस्पताल में बतौर आयुर्वेदाचार्य नियुक्ति हुई। जब डा.दुहन इएसआईसी अस्पताल में ज्वाइन किया, उस समय वहां के कोविड सेंटर में 31 मरीज थे। इन मरिजों की हालत उन्हें देखी नही गई। कोरोना का इतना भय कि हर कोई उनसे दूरी बनाता था। यह दूरी ही मरीजों ज्यादा परेशान करती है।
ऐसे भय के वातारवरण में डा. अरविद दुहन ने कोरोनो के मरीजों को आयुर्वेद के जरिए ठीक करने का बीड़ा उठाया। डा. दुहन ने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इन मरीजों का इलाज आयुर्वेद से करने की अनुमति मांगी। अस्पताल प्रशासन ने डा. दुहन के इस प्रयास को सराहा। पांच डाक्टरों की टीम गठित की। टीम का प्रमुख डा.अरविंद दुहन को बनाया। डा. दुहन ने अपनी टीम के साथ 8 जुलाई से कोविड मरीजो का इलाज शुरू किया। दस दिन में ही उन्हें पहली सफलता हाथ लगी। 31 कोविड मरीजों में 15 मरीज ठीक हो गए। उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस सफलता पर डा. अरविंद दुहन कहते है, यह सिर्फ मेरी नहीं, मेरी पूरी टीम की सफलता है। आयुर्वेद की ताकत है, आयुर्वेद और प्रकृति के समासस्य की सफलता है।
कोरोना से पीडित आनंद स्वरूप अब ठीक हो चुके हैं। आनंद स्वरूप ने बताया कि अभी तक हमें सिर्फ कोविड वार्ड में रखा गया था। लेकिन डा. अरविंद दुहन के आने के बाद आयुर्वेद की दवाइयां दी जाने लगी। फिर धीरे धीरे आराम होने लगा। अब हम पूरी तरह ठीक हो चुके हैं, और अस्पताल से हमे छुट्टी दे दी गई। इसी तरह प्रेरणा सिह भी इसी कोविड इएसआईसी कानपुर अस्पताल में भर्ती थी। प्रेरणा बताती है कि डा. दुहन मेरे लिए भगवान बनकर आए। वो लगतार हमसे बात करते थे। हालचाल जानते थे। उनकी दवाइयां हमारे लिए जीवन लेकर आई। वो नही आये होते तो पता नहीं कब तक हमें इस अस्पताल में रहना होता।
डा. दुहन ने शुरू में ही आयुर्वेदाचार्य के रूप में अपना कैरियर बनाने का सपना देखा था। इसके पीचे इनकी रूचि थी। किसी की रूचि के पीछे उसके परिवार के संस्कार आधार बनते हैं। इनके नानाडा. रामसिंह आर्य अयुर्वेद के क्षेत्र में जाना माना नाम था। वही संस्कार इन्हें इस ओर लेकर गए।
डा. दुहन और उनकी टीम ने रातोदिन कोरोना के मरोजों को ठीक करने के लिए जुटे हैं। यह आयुर्वेद के चिकित्सक की जिजीविषा बयां करती है। डा. अरविंद दुहन आयुर्वेद को समझाते हुए कहते हैं कि आयुर्वेद आयु:+वेद= आयुर्वेद है। अयुर्वेद दुनिया की प्राचनीतम चिकत्सा प्रणाणी है। यह विज्ञान,कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेद नाम का अर्थ है जीवन से संबंधित ज्ञान। आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढाने से है। डा.अरविंद दुहन चरक संहिता का यह श्लोक बार-बार दुहराते हैं
हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥