जी -20 का सम्मलेन भारत के लिए अवसर या चुनौती

प्रज्ञा संस्थानजी 20 का गठन वर्ष 1999 के दशक के अंत में वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था | उस समय विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण –पूर्व एशिया को विशेष रूप से आर्थिक रूप से प्रभावित किया था | इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है |जी 20 में दुनिया की 60% आबादी ,वैश्विक जीडीपी का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% शामिल है |

जी 20 देशों का पहला काम बढती महंगाई पर नियंत्रण करना है | व्यापार को लेकर जी 20 नेताओं को “अधिक खुले ,स्थिर और पारदर्शी नियम – आधारित व्यापार “पर जोर देने की आवश्यकता है जो वस्तु की वैश्विक कमी को दूर करने में मदद करेगा |मजबूत वैश्विक आर्थिक विकास के लिए सदस्य देश जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन का 80% से अधिक योगदान करते हैं ,अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच पर आए , जिस पर सितंबर 2009 में पेन्सिल्वेनिया में पिट्सबर्ग शिखर सम्मलेन में नेताओं के द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी |

18वा जी -20 का सम्मलेन 9 -10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में होगा |भारत को इसकी अध्यक्षता की जिम्मेदारी मिल गई है इसके साथ ही तैयारियों की शुरुआत भी हो गई है | भारत ने इसके लिए 200 से ज्यादा आयोजनों की योजना बनाई है | ये आयोजन देश के 50 से अधिक शहरों में किए जाएंगे | जी-20 सम्मेलन का आयोजन भारत के लिए खास भी होगा और चुनौतियों से भरा भी | हालांकि अभी इस कार्यक्रम का एजेंडा तय होना बाकी है , जिसे दुनिया के जी-20 देश मिलकर तय करेंगे |

भारत ने इस बात का साफ संकेत दिया है कि ऊर्जा संकट और आतंकवाद को रोकना उसके लिए बड़ा एजेंडा होगा | दुनिया के देशों के सामने भारत इनसे निपटने का रोडमैप भी पेश करेगा |जी-20 की अध्यक्षता के जरिए भारत को दुनियाभर के देशों के सामने ब्रैंड इंडिया की छवि मजबूत बनाने का मौका मिलेगा | इसकी शुरुआत पीएम मोदी ने हाल में इंडोनेशिया में हुए जी-20 समिट से की थी | उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से बने उत्पाद दुनिया के दिग्गज नेताओं को तोहफे में दिए थे |देश के 50 शहरों में जी-20 से जुड़े आयोजनों की तैयारी का लक्ष्य रखा गया है | इसके जरिए टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा | इन कार्यक्रमों के जरिए दुनिया के देशों में भारत के पर्यटन स्थलों की लोकप्रियता बढ़ेगी | इस कार्यक्रम के जरिए मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ावा मिल सकता है |

दुनियाभर के देशों के बीच भारत में बने उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी | इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा| सम्मलेन  के जरिए जी-20 देशों में भारत की छवि और बेहतर  होगी |आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के देश एकजुट होते हैं तो भारत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को कड़ा संदेश देगा | भारत के पास मौका है कि मेजबानी करके खुद को दुनिया के सामने जोरदार तरीके से पेश कर सके |

जी-20 दुनिया के ताकतवर देशों का समूह है, जिसमें रूस, अमेरिका, चीन और यूरोपीय देश शामिल हैं | इंडोनेशिया में हुई समिट में रूस और यूक्रेन की जंग का असर नजर आया | रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कार्यक्रम से दूरी बनाई | ऐसे में भारत में होने वाली समिट में पुतिन को शामिल करना भी चुनौती से कम नहीं होगा | हालांकि भारत से रूस के रिश्ते बेहतर रहे हैं | पीएम मोदी से पुतिन के सम्बंधों में कभी दरार नहीं आई है | इसलिए रूसी राष्ट्रपति के समिट में शामिल होने की उम्मीद है | इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान कई देशों के नेताओं  के बीच चल रहे तनाव को  कम करना भी आसान नहीं होगा | इतना ही नहीं मंदी की तरफ बढ़ती दुनिया और ऊर्जा संकट के जुड़े सवाल का जवाब देना भी चुनौती से कम नहीं है |

 

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