जी 7 यानी ‘ग्रुप ऑफ़ सेवेन’ दुनिया की तथाकथित सात ‘अत्याधुनिक’ अर्थव्यवस्था

प्रज्ञा संस्थानजी 7 यानी ‘ग्रुप ऑफ़ सेवेन’ दुनिया की तथाकथित सात ‘अत्याधुनिक’ अर्थव्यवस्थाओं की एक संस्था है जिसका ग्लोबल ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर दबदबा है.ये सात देश हैं – कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका.रूस को भी 1998 में इस गुट में शामिल किया गया था और तब इसका नाम जी-8 हो गया था पर साल 2014 में रूस के क्राइमिया पर कब्ज़े के बाद उसे इस गुट से निकाल दिया गया.एक बड़ी इकॉनमी और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन कभी भी इस गुट का हिस्सा नहीं रहा है.चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सात देशों की तुलना में बहुत कम है इसलिए चीन को एक एडवांस इकॉनमी नहीं माना जाता.

लेकिन चीन और अन्य विकासशील देश जी 20 समूह में हैं.यूरोपीय संघ भी जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन उसके अधिकारी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलनों में शामिल होते हैं. पूरे साल जी-7 देशों के मंत्री और अधिकारी बैठकें करते हैं, समझौते तैयार करते हैं और वैश्विक घटनाओं पर साझे वक्तव्य जारी करते हैं.

इस साल जी-7 की समिट 13 से 15 जून के बीच इटली के अपुलिया में संपन्न हुआ है ..अक्तूबर, 2022 में सत्ता संभालने के बाद इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी पहली बार किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय फ़ोरम की मेजबानी कर रही हैं. यूक्रेन और ग़ज़ा में युद्ध के अलावा इटली चाहता है कि अफ़्रीका और माइग्रेशन के मुद्दे पर भी बात हो. साथ ही आर्थिक सुरक्षा और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर सहयोग का मुद्दा भी उठाया जाए.

इटली का कहना है कि जी-7 समिट के लिए “विकसित देशों और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ रिश्ते एजेंडे के केंद्र में होंगे” और वो “सहयोग और आपसी फ़ायदे की साझीदारी पर आधारित मॉडल बनाने के लिए काम” करेगा.शिखर सम्मेलन के लिए इटली ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत प्रशांत क्षेत्र के 12 विकासशील देशों के नेताओं को निमंत्रण दिया है.

जियोर्जिया मेलोनी की सरकार के ‘मैटेई प्लान’ के तहत इटली कई अफ्रीकी देशों को 5.5 अरब यूरो का कर्ज और आर्थिक सहायता देने जा रहा है.इटली की इस योजना का मक़सद इन अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने में मदद देना है.इस योजना से इटली को ऊर्जा सेक्टर में खुद को ऐसे महत्वपूर्ण देश के रूप से स्थापित करने में मदद मिलेगी जो अफ्रीका और यूरोप के बीच गैस और हाइड्रोजन की पाइपलाइन बना सकता है.हालांकि कई विश्लेषकों को ये संदेह भी है कि इटली ‘मैटेई प्लान’ की आड़ लेकर अफ्रीका से होने वाले प्रवासन को रोकने जा रहा है.

इस योजना के लिए इटली अन्य देशों से भी वित्तीय योगदान देने की अपील कर रहा है.साल 2023 में जी-7 के अध्यक्ष के रूप में जापान ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा के लिए योजना बनाने पर ज़ोर दिया था.इसके लिए जी-7 देशों ने एक ऐसा समझौता किया जिसका मक़सद चीन और रूस जैसे देशों को अपनी आर्थिक ताक़त का इस्तेमाल दूसरे देशों पर अपनी मर्ज़ी थोपने से रोकना था.दिसंबर, 2023 में इटली चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ से अलग हो गया. चीन इस परियोजना की मदद से दुनिया भर में अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए बंदरगाह और ट्रांसपोर्ट रूट का विस्तार कर रहा है.जियोर्जिया मेलोनी ने कहा भी कि चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ में इटली का शामिल होना एक ग़लती थी. अमेरिका ने चीन की इस परियोजना को ‘कर्ज़ देकर अपने जाल में फंसाने की कूटनीति’ करार दिया है.

जापान में हुए साल 2023 के समिट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सुरक्षा का मुद्दा उठा था और इसकी नतीजा ‘हिरोशिमा एआई प्रोसेस’ के रूप में निकला जिसका मक़सद ‘दुनिया भर में सुरक्षित और भरोसेमंद आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ को बढ़ावा देना था.हालांकि ये तमाम कोशिशें जी-7 देशों का अपनी तरफ़ से उठाए कदमों का महज हिस्सा भर थीं.

 

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