तख्तापलट के बाद सीरिया में सत्ता का खेल

प्रज्ञा संस्थानसीरिया पर आधी सदी तक चले असद परिवार के दमनकारी शासन के अचानक अंत होने के बाद, अब ये निश्चित हो गया है कि एचटीएस प्रमुख जुलानी सीरिया की नई परिस्थिति में निर्णायक भूमिका निभाने वाला है . लेकिन संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधित किए गए इस संगठन के नेता, सीरिया के तेज़ी से बदलते हालात में अकेले खिलाड़ी नहीं हैं.

सीरिया में पटकथा अभी पूरी नहीं हुई है , खेल अभी शुरू हुआ है.सीरिया पर नज़र रखने वाले पर्यवेक्षकों का कहना है कि एक और विद्रोही ग्रुप था जो राजधानी में घुसा था और शहर के लोगों के साथ उसका अच्छा तालमेल था. हाल ही में इस ग्रुप को सदर्न ऑपरेशंस रूम का नाम दिया गया था. इस ग्रुप में अधिकांश लड़ाके फ़्री सीरियन आर्मी (एफ़एसए) के पूर्व सदस्य हैं, जिन्होंने सीरिया के 2011 के आंदोलन के दौरान पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम किया था.

यह बात उस माहौल की तस्दीक है जिसमें बड़ी तेज़ी से घटे घटनाक्रम के बाद सड़कों पर जश्न देखने को मिला था, लेकिन आगे क्या होगा इसे लेकर गंभीर सवाल भी खड़े हुए. इस्लामी चरमपंथी गुट हयात तहरीर अल-शाम हैरानी भरी रफ़्तार से आगे बढ़ा और उसे कुछ ख़ास प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा. इससे सीरिया के अन्य क्षेत्रों के बाकी विद्रोही ग्रुपों और हथियारबंद स्थानीय ग्रुपों की संख्या भी बढ़ी जो अपने अपने इलाक़ों में सत्ता साझा करने की उम्मीद लगाए हुए हैं.

असद सरकार के ख़िलाफ़ लड़ाई वह गोंद थी, जिसने इस स्वाभाविक गठबंधन को एकजुट किए रखा था. अब असद देश से जा चुके हैं और अब ग्रुपों के बीच उस एकता को बनाए रखने की चुनौती है, जिसकी वजह से असद सरकार सत्ता  से बेदख़ल हुई .इन ग्रुपों में तुर्की समर्थित मिलिशिया ग्रुपों का गठबंधन भी है, जिसे सीरियन नेशनल आर्मी के नाम से जाना जाता है. इसका एचटीएस की तरह ही उत्तरपश्चिम सीरिया के एक हिस्से पर कब्ज़ा है. देश के पूर्वोत्तर हिस्से में कुर्दिश सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्स (एसडीएफ़) का दबदबा है. इस ग्रुप ने हाल के दिनों में और बढ़त हासिल की है.

लेकिन इन सबके बीच एचटीएस के महात्वाकांक्षी हाई प्रोफ़ाइल नेता ने सुर्खियां अधिक बटोरी हैं. उसकी बयानबाज़ी और इतिहास पर अब सीरियाई लोगों, पड़ोसी राजधानियों और अन्य लोगों की नज़र है. जिस मिलिशिया के वो कमांडर हैं, वह पहली बार अलक़ायदा के सहयोगी के रूप में सामने आया. लेकिन 2016 में उसने अलक़ायदा का साथ छोड़ दिया और उसके बाद से ही एचटीएस कमांडर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है . सालों से उसने विदेशों में समझौते वाले संदेश भेजे हैं. अब वह सीरिया के कई अल्पसंख्यक समुदायों को ये भरोसा दे रहा है कि उन्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

उसके इस संदेश का सावधानी बरतते हुए स्वागत हो रहा है. लेकिन उसके आठ साल के निरंकुश शासन और उनकी पृष्ठभूमि को नहीं भूल सकते. एचटीएस ने सीरिया के उत्तर में इदलिब में अपना शासन स्थापित किया थाऔर उसे नाम दिया साल्वेशन गवर्नमेंट. इस शासन के तहत धर्म की सीमित आज़ादी थी और इस दौरान दमनकारी तरीक़े भी अपनाए गए.

अलेप्पो सीरिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यहां एचटीएस ने अपने औचक आक्रमण में बहुत तेज़ी से कब्ज़ा किया था. वहां एचटीएस के लड़ाके यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे शासन करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं. यह ग्रुप इराक़ जैसे देशों को सीमा पार भरोसा देने वाला संदेश भेज रहा है कि यह जंग उनकी सीमा तक नहीं फैलेगी.

जॉर्डन समेत अन्य पड़ोसी देश इस बात से चिंतित हैं कि पड़ोस में इस्लामी चरमपंथियों की सफलता, उनके देश में मौजूद असंतुष्ट चरमपंथी ग्रुपों को उकसा सकती है. तुर्की का सीरिया में मुख्य भूमिका निभाना निश्चित हैं लेकिन वह भी चिंतित है. वह एसडीएफ़ को ‘आतंकवादी ग्रुप’ मानता है जिसका संबंध तुर्की के प्रंतिबंधित पीकेके कुर्दिश ग्रुप से है. अगर तुर्की के हितों को ख़तरा होगा तो वह सैन्य और राजनीतिक रूप से दख़ल देने में हिचकेगा नहीं, जैसा वह सालों से करता आया है.

इस ताज़ा घटनाक्रम से निराश राष्ट्रपति असद के पूर्व कट्टर सहयोगी ईरान और रूस भी एक समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का आह्वान कर रहे हैं.  सीरिया में भविष्य में किस तरह की सरकार होगी इस बारे में कोई भी एक्सपर्ट जल्दबाज़ी में कुछ नहीं कहना चाह रहा है. फ़िलहाल, पिछले दशकों में सबसे क्रूर सरकारों में से एक के ऐतिहासिक पतन की बस सराहना करना ही अच्छा है.

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