हाई सिक्योरिटी जेलों के अंदर कैद में बंद कोई अपराधी अगर किसी भी प्रकार के अपराध को अंजाम देता है, तो हालात देश के सिस्टम को अपराधियों के द्वारा खुली चुनौती देने वाले बन जाते हैं, जिसके खिलाफ तत्काल विचार करके ठोस कदम उठाना सिस्टम के लिए बेहद आवश्यक होता है। वैसे भी आज भारत की सुरक्षित माने जाने वाली जेलों में कैद कुछ अपराधियों के काले कारनामे देश व दुनिया से जरा भी छिपे हुए नहीं हैं। यह अपराधी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते सिस्टम में बैठे कुछ भ्रष्ट लोगों की कृपा से जेलों की कैद में बैठकर भी अपने गैंग का पूरी तरह से बेखौफ हो करके निर्बाध रूप से संचालन कर रहे हैं। आज इक्कीसवीं सदी के भारत में भी कुछ कुख्यात अपराधियों के जेल से किये गये एक इशारे पर ही देश के किसी भी कोने में दिनदहाड़े सरेआम हत्याएं तक हो जाती हैं, जो स्थिति अपराध मुक्त समाज की कल्पना में बहुत बड़ी बाधक है और कानून पसंद सभ्य व शांति प्रिय समाज के लिए बेहद घातक है।
वैसे देश में हाल में घटित कुछ बेहद हाई प्रोफाइल आपराधिक घटनाक्रमों पर नज़र डालें तो हम देखते हैं कि देश व दुनिया में सिद्धू मूसेवाला नाम से मशहूर गायक शुभदीप सिंह सिद्धू की 29 मई 2022 को पंजाब के मनसा जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसकी जिम्मेदारी जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई के गैंग के एक सदस्य गोल्डी बराड़ ने ली थी। वहीं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल व उसके दोनों सरकारी गनरों को ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर छलनी कर दिया गया था, इस हत्याकांड में जेल में बंद अतीक अहमद उसके भाई बेटे व गैंग के अन्य सदस्यों का नाम आया था, वहीं अभी पिछले महीने 15 अप्रैल 2023 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के एक अस्पताल में पुलिस कस्टडी में मेडिकल करवाने के लिए जा रहे बाहुबली अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ अहमद की तीन युवकों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा करके हत्या कर दी थी।
इन सभी हत्याओं की घटनाओं के तार तिहाड़ जेल, साबरमती जेल, नैनी जेल, बरेली जेल जैसी देश की बेहद हाई सिक्योरिटी वाली जेलों से जांच एजेंसियों को जुड़ते हुए नज़र आ रहे हैं, जो स्थिति हमारे देश की जेलों की सच्चाई की देशवासियों के सामने पोल खोलने के लिए काफी है। वैसे देश की जेलों के इस तरह के हालात नियम कायदे कानून में विश्वास रखने वाले आम लोगों व हमारे देश के सिस्टम के लिए बेहद चिंताजनक है। सूत्रों के अनुसार इन सभी हत्याकांडों की जांच के दौरान जांच एजेंसियों को बहुत से ऐसे तथ्य मिलें हैं जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि इन सभी हत्याकांडों का ताना-बाना देश के हाई प्रोफाइल अपराधियों के द्वारा आराम से हाई सिक्योरिटी वाली जेलों की कैद में बैठकर ही बुना गया है, जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि देश में जेल सुधार गृह की जगह अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह बनती जा रही हैं।
वहीं सबसे ज्यादा चिंताजनक बात तो तब हो जाती है कि जब दिल्ली की हाई सिक्योरिटी वाली तिहाड़ जेल की जेल नंबर 3 में 14 अप्रैल 2023 की शाम 5 बजे किसी बात को लेकर दो गुटों के बीच जमकर हुई मारपीट की घटना में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य प्रिंस तेवतिया को धारदार हथियार से हमला करके गंभीर रूप से घायल कर दिया जाता है, जिसको तत्काल जेल प्रशासन के द्वारा घायलावस्था में जेल के पास स्थित डीडीयू हॉस्पिटल में एडमिट करवाया जाता है, जहां पर इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन इस घटना से तिहाड़ जेल के प्रशासन ने व हमारे जेलों से जुड़े हुए शीर्ष सिस्टम ने कोई सबक नहीं लिया और मात्र 19 दिन के बाद इसी प्रकार से 2 मई 2023 को तिहाड़ जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक के अंदर कुख्यात गैंगस्टर सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की आपसी गैंगवॉर में धारदार हथियार से हत्या कर दी जाती है। हालांकि इस तरह की घटनाओं के बाद जेल प्रशासन आपसी रंजिश की दुहाई देकर अपना पल्ला झाड़ते हुए नज़र आता है। लेकिन इस तरह की घटनाओ ने देश की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर बहुत सारे सवालिया निशान खड़े करते हुए, तिहाड़ जेल की सुरक्षा व्यवस्था, जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कार्य कर दिया है।
वैसे भी देखा जाये तो नियमानुसार कुख्यात कैदियों के संदर्भ में सबसे अहम बात यह होती है कि जेल की जिस बैरक में ऐसे कैदी को रखा जा रहा है, उस बैरक में उस कैदी से रंजिश रखने वाला कोई अपराधी कैद न हों, लेकिन सबकुछ जानने के बाद भी ना जाने क्यों जेल प्रशासन के द्वारा ऐसे कैदियों को एक बैरक में रखकर के बार-बार नियमों की अनदेखी करके गैंगवॉर होने का माहौल बनाया जाता है, यह मेरी समझ से परे है और यह जांच का एक महत्वपूर्ण विषय है। जेल के अंदर घटित इस तरह के हत्याकांडों से अब यह बात जग जाहिर हो गयी है कि जेल कर्मियों में से कोई तो व्यक्ति इन सभी अपराधियों से मिला हुआ है और जेल के अंदर बैठे इन अपराधियों को अपराध करवाने में मददगार बनके जेल को इन अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह बना रहा है। क्योंकि बिना मिलीभगत के जेल प्रशासन का इन कैदियों के सामने अपना वजूद पूरी तरह से खो दे यह बिल्कुल भी संभव नहीं है। हालात को देखकर के आम जनमानस के दिमाग में यह धारणा बनती जा रही है कि जेल में बंद कैदियों पर जेल प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं बचा है, तब ही कुछ कैदी जेल की सलाखों के पीछे से ही बेखौफ होकर के अपहरण, रंगदारी व हत्याकांड जैसी जघन्य अपराधों
की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
आज कि स्थिति में विचारणीय तथ्य यह है कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक तिहाड़ जेल को तो बेहद हाई सिक्योरिटी वाली जेल माना जाता है, लेकिन उसके बावजूद भी तिहाड़ जेल तमाम तरह के गलत कारणों से आयेदिन चर्चा में बनी रहती रही है, चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी व हाई सिक्योरिटी से युक्त तिहाड़ जेल के अंदर आखिरकार कैसे अपराधियों के गिरोह निरंतर अपनी सल्तनत चलाने का कार्य कर रहे हैं, क्योंकि इस तरह की स्थिति जेल अधिकारियों, जेल के कर्मचारियों व अपराधियों की सांठगांठ के बिना संभव नहीं हैं, तो फिर भी हर घटना के बाद यह गठबंधन कैसे साफ बच जाता है। खैर जो भी इस तरह के नापाक गठजोडों के चलते ही देश में जेलों की सुरक्षा पर बार-बार प्रश्नचिन्ह खड़े होने का कार्य हो रहा है, जो उचित नहीं है।
तिहाड़ जेल में हुई हाल में गैंगवॉर के बाद सोचने वाली बात यह है कि आखिरकार कैसे सीसीटीवी कैमरों के बीच कैदियों को सरिये का टुकड़ा मिल गया और कैसे उन्होंने इस सरिये से सुए तैयार करके एक हत्याकांड को अंजाम दे दिया। वैसे औचक निरीक्षण में जेलों में आयेदिन नशीले पदार्थ, मोबाइल फोन, पैसे आदि बरामद होना तो अब एक आम बात होती जा रही है, लेकिन यह बात इन बेहद हाई सिक्योरिटी जेलों में की जाने वाली तलाशी व सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने का कार्य बखूबी अवश्य करती है और बार बार हमारे नीति-निर्माताओं व सिस्टम को जेलों के हालात में सुधार करने की दुहाई अवश्य देती है, जिससे भविष्य में जेल में बंद कैदी अपराधी बनकर ना निकले और जेल कैदियों के सुधार गृह के रूप में कार्य करें।
[उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं. इनसे संस्थान की सहमति आवश्यक नही है]