चेन्नई के चेपक स्टेडियम को पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान बाबर आजम दूसरा पानीपत नहीं बन सका। अफगन क्रिकेटरों के जेहादी जुनून के समक्ष इस्लामी पाकिस्तान की टीम टिक न सकी। कप्तान मोहम्मद बाबर आजम अपनी बिखरी टीम में जान नहीं भर पाए। एकजुटता नहीं ला पाए। वैसी ही जो पांच सदियों पूर्व जहीरूद्दीन बाबर ने पानीपत रणभूमि (21 अप्रैल 1528) में कर दिखाया था। सम्राट इब्राहिम लोधी पर जिहाद छेड़ा था। हालांकि दोनों योद्धा कलमागो रहे थे। चेन्नई मैच के ठीक एक दिन पहले पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और कोच 80-वर्षीय जनाब इंतखाब आलम ने मांग कर दी कि बाबर को कप्तानी छोड़ देना चाहिए। (इंडियन एक्सप्रेस : 23 अक्टूबर 2023 : पृष्ठ-14)। उन्होंने विराट कोहली का उदाहरण दिया जो कप्तानी छोड़कर केवल बैटिंग करते हैं। सफल हुये हैं। खबरें भी शाया की गई कि बाबर के टीम वाले आपस में लड़ बैठे। यातना अधिक हो गयी थी। तो ऐसे दुखदायी माहौल में क्यों नहीं हारेंगे भला ?
चेन्नई का यह मैच जंग जैसा तो लड़ा ही गया। लग रहा था कि चेन्नई के सागरतट पर ही यह दोनों राष्ट्र डूरंड सीमारेखा तोड़ डालेंगे। खैबर-पख्तूनवा में इन दोनों देशों की यह सरहद पड़ती है। इसे ब्रिटिश कूटनीतिक सर मर्टिमोर डूरंड ने 1843 में खींची थी। तब यह अविभाजित भारत उपनिवेश और अफगान साम्राज्य की सीमा थी। मगर विभाजन के बाद अफगानिस्तान ने इसे नकार दिया। शिमला में शिक्षित पूर्व अफगन राष्ट्रपति हमीद करजायी ने डूरंड सीमारेखा को साफ खारिज कर दिया था। स्पष्टतया गहरायी से इन अफगन क्रिकेटरों को यह याद रहा। अतः अपने जुनून में ही वे खेले थे।
हर अफगन बैटर के हिट पर और फिर उनकी उम्दा गेंद पर भी दीर्घा से दर्शक तालियां बजाते रहे। इतनी गड़गड़ाहट तो भारतीयों को भी कभी मिलती नहीं देखी गयी। अठारह साल के अफगन स्पिनर नूर अहमद ने तो अपना जलवा दिखाया जब पाकिस्तानी सलामी बैटर अब्दुल्ला शफीक को पगबाधा से आउट कर दिया। युवा नूर की बलखाती गेंदों का कोई सानी नहीं था। बाबर आजम को भी उसी ने गिराया। कल तीन महत्वपूर्ण विकेट केवल 49 रन देकर शफिक ने झटके।
यूं एक अरुचिकर बात जरूर हुई। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भारत से आग्रह किया था कि पाकिस्तान के साथ मैच को चेन्नई में न रखे जायें। कारण यह है कि चेन्नई की पिच हमेशा स्पिनर्स के लिए बड़ी मुफीद रहती है। पाकिस्तानी खेल नहीं पाते। हुआ भी यही। अफगन स्पिनर ने पाक बैटरों का कबाड़ा कर दिया। मगर सब कुछ यही नहीं था। अफगन कप्तान हशमत और रहमत वाली सलामी बैटर की जोड़ी ने 93 गेंदों पर 96 रनों की अटूट साझेदारी की। जाहिर था कि मैदान में प्रतिस्पर्धा से कहीं अधिक बड़ी जंग तो बाहर दर्शकों के दीर्घाओं में दिख रही थी। इस चिदंबरम स्टेडियम में पठान दर्शक काफी तादाद में मौजूद थे। उत्साही और उत्फुल्ल भी थे। करीब बीस हजार दर्शकों में तमिलभाषी मुसलमान (तहमद और लुंगी में) भी दिख रहे थे। वे सब अफगनों के समर्थक थे। कप्तान हशमतुल्ला ने लेशमात्र भी रहमत नहीं दिखाई। कोई कोर कसर बची थी तो इब्राहिम जदरान और रहमतुल्लाह ने 130 रन जोड़कर पूरी कर दी। तुलना में भारतीय जोड़ी शुभमन गिल और रोहित शर्मा ही इतना शतकीय स्कोर कभी भी नहीं कर पाए थे। बस रंज की बात यही रही कि जब इब्राहिम के सैकड़े के लिए केवल तेरह रन कम थे उन्हें विकेटकीपर मोहम्मद रिजवान ने कैच आउट किया। सियालकोट के हसन अली की गेंद थी। वह एकमात्र विकेट लिया था, इस 29-वर्षीय बॉलर ने, 44 रन गवां कर। रिजवान वही हैं जिन्होंने पाकिस्तान की पिछली जीत गाजा के हमास के नाम समर्पित की थी। मैदान में ही नमाज अता की थी।
चेन्नई में इस जीत से अफगानिस्तान तो पॉइंट की तालिका में उठकर छठे स्थान पर आ गया है। उसने इंग्लैंड को सबसे नीचे ढकेल दिया। अब अगले इतवार (29 अक्टूबर 2023) को लखनऊ में भारत बनाम इंग्लैंड मैच में तय होगा कि क्रिकेट की जन्मस्थली रहा इंग्लैंड कहां रहेगा अंक तालिका में ? तब इकाना स्टेडियम में इस भारत बनाम इंग्लैंड मैच देखने ब्रिटेन के भारत-मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी रहेंगे। पर वे ताली बजाएंगे अपने हमवतनी के लिए। हालांकि कर्नाटक का यह दामाद पंजाब दा पुत्तर भी है।