बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य योजना एक सराहनीय पहल

प्रज्ञा संस्थानकेंद्र सरकार आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना देश के गरीब लोगों के लिए चलाती है, जिसके तहत इलाज के लिए प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये का कवर दिया जाता है. केंद्र सरकार ने इस योजना को विस्तार देते हुए अब वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी इसमें अलग से पांच लाख रुपये का कवर देने की घोषणा की है. आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी. बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए जारी घोषणापत्र में ये वादा किया था कि उनकी सरकार आने पर वो आयुष्मान भारत योजना के दायरे का विस्तार करेगी. इसके अंदर सभी वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया जाएगा.

70 साल से अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, वो इस योजना का लाभ ले सकेंगे. इस योजना के तहत आने वाले वरिष्ठ नागरिकों को अलग से कार्ड जारी किए जाएंगे. समाज में बदलाव आ रहा है, संयुक्त परिवार से एकल परिवार हो रहे हैं. उसमें वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य के कवरेज के लिए, उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए ये बहुत बड़ा कदम है.

वैसे परिवार के वरिष्ठ नागरिक जो पहले से ही आयुष्मान भारत योजना में कवर हैं, उन्हें अब खुद के लिए अलग से 5 लाख रुपये का टॉप-अप कवर मिलेगा, हालाँकि वे इसे परिवार के 70 साल से कम उम्र के दूसरे सदस्यों

के साथ शेयर नहीं कर सकेंगे. परिवार में एक से अधिक वरिष्ठ नागरिक होने की स्थिति में उन्हें 5 लाख रुपये के अतिरिक्त कवर को शेयर करना होगा. वहीं, आयुष्मान भारत योजना के तहत जो परिवार कवर नहीं है, उन परिवारों के 70 साल से अधिक के बुजुर्गों को भी इसका लाभ मिलेगा. परिवार में 70 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्ग इस योजना का इस्तेमाल साझा तौर पर करेंगे.

इस योजना में शेयर्ड का मतलब है-वरिष्ठ नागरिकों के साथ साझा. किसी परिवार में 70 साल के दो सीनियर सिटिजन हैं तो पांच लाख का कवर इन दोनों के लिए होगा. 70 साल और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक जो पहले से ही केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं (सीजीएचएस), पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस), आयुष्मान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) जैसी अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, वे अपनी मौजूदा योजना में बने रह सकते हैं.

दिल्ली, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां एक भी आयुष्मान कार्ड नहीं बना है. हालांकि, ये योजना देशभर में लागू है. ये एक कैशलेश स्कीम है. मरीज के इलाज का खर्च केंद्र और राज्य सरकार उठाती हैं. मरीज सरकारी अस्पताल के साथ ही प्राइवेट अस्पताल में भी अपना इलाज करा सकते हैं.

सरकार ने इस योजना की घोषणा करते हुए उन वरिष्ठ नागरिकों का भी ज़िक्र किया है जिन्होंने निजी कंपनियों से बीमा पॉलिसी ख़रीदी है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 70 साल या उससे अधिक के वरिष्ठ नागरिक जो निजी स्वास्थ्य बीमा योजना या कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत आते हैं, वे भी एबी पीएम-जेएवाई के तहत लाभ लेने के पात्र होंगे.

देश के कई बड़े डॉक्टरों ने इस स्कीम का स्वागत किया है  देश में जनसंख्या के हिसाब से देखें तो अस्पतालों पर मरीजों का दबाव है. इस स्कीम में सरकारी अस्पताल तो इलाज करते ही हैं, प्राइवेट अस्पतालों को निर्देश है, वो उल्लंघन नहीं कर सकते हैं. मुद्दा क्लेम सेटलमेंट का है तो सेटलमेंट को सरकार सुधारने में लगी हुई है और समय के साथ प्रक्रिया ऐसी होगी जिसमें मरीज को परेशान नहीं किया जाएगा.

चुनौती जागरूकता की भी है. अगर किसी को ये नहीं पता हो कि उनकी समस्याओं के समाधान कहां होंगे तो दिक्कतें आती हैं. लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा. सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतार को देखकर लोग घबरा जाते हैं, इसलिए वो प्राइवेट अस्पताल का रुख करते हैं. भारत युवाओं का देश है. हेल्थ इकोनॉमी के सिद्धांत के अनुसार युवाओं को इस दायरे में लाना चाहिए था, जिनका आगे जीवन काफ़ी बचा हुआ है. 70 साल से ज़्यादा उम्र में होने वाले इलाज काफी महंगे होते हैं और उसके लिए 5 लाख रुपये की राशि पर्याप्त भी नहीं है. योजना ग़रीबों के लिए थी, अब 70 साल से ज़्यादा के अमीर बुज़ुर्ग भी इस दायरे में आएंगे जो अपना इलाज वैसे भी करा सकते थे.”

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