अटल बिहारी वाजपेयी जी की कई रचनाओं में से, कविता “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, गीत नया गाता हूं” दृढ़ संकल्प, और आशा की एक किरण के रूप में सामने आती है यह कविता कभी हार न मानने के सार को समेटे हुए है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, यह कविता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी .
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं.
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी
अंतर को चीर
व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं.
आज भी, मुश्किल के क्षणों में, यह कविता आशा की किरण के रूप में काम करती है, जो हमें मजबूती से खड़े होने, संघर्ष करने और नए जोश के साथ अपनी यात्रा जारी रखने का संदेश देती है. अटल जी के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि बाधाएं अस्थायी होती हैं और दृढ़ संकल्प के साथ हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं. “हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा” केवल एक कविता नहीं है; यह जीवन जीने का संकल्प है.
वाजपेयी जी के पिता प्राइमरी स्कूल के शिक्षक थे. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था. उनका निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. 1996 में पहली बार वो 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहे. वो दूसरी बार 1998 में प्रधानमंत्री बने मगर वो सरकार भी 13 महीने चली. तीसरी बार वो 1999 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी, पहले ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था. अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार 1953 में लोकसभा का उप-चुनाव लड़ा था. मगर, उस चुनाव में अटल जी चुनाव हार गए थे. चार साल बाद हुए 1957 के आम चुनावों में वाजपेयी जी ने तीन सीटों-बलरामपुर, मथुरा और लखनऊ से क़िस्मत आज़माई थी , बलरामपुर से बाजपेयी जी चुनाव जीत गए और पहली बार लोकसभा में पहुंचे . इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के बैरिस्टर हैदर हुसैन को हराया था .
वाजपेयी जी तीसरे लोकसभा का चुनाव 1962 में लखनऊ से लड़े थे और इस चुनाव में वे हार गए थे . इसके बाद वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे .इसके बाद वे फिर 1967 का लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमे जीत नहीं सके . इसके बाद 1967 के उपचुनाव में वे जीत कर लोकसभा पहुंचे .आपातकाल के बाद हुए चुनाव में 1977 और फिर 1980 के मध्यावधि चुनाव में उन्होंने नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया .
1991 के आम चुनाव में अटल जी लखनऊ और मध्यप्रदेश की विदिशा सीट से चुनाव लड़े और दोनों जगहों से जीते .1996 के लोकसभा चुनाव में अटल जी लखनऊ और गांधीनगर दो सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों जगहों से जीत हासिल की .इसके बाद से अटल जी ने लखनऊ को अपना कर्मभूमि बना लिया और 2004 तक लखनऊ सीट से सांसद बनते रहे .