भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था| इसके अगले ही दिन यानी 31 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को वैश्विक आपदा घोषित किया था |अब लगभग एक साल बाद और करीब एक करोड़ मामले सामने आने के बाद भारत ने शनिवार यानी 16 जनवरी 2021 से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर दिया है |
भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में बीते एक साल का सफ़र उतार-चढ़ावों भरा रहा है|’ये लंबी लड़ाई का पहला पड़ाव है जिसके साथ भारत की आर्थिक रिकवरी की आशाएं जुड़ी हुई हैं| अभी यह पहला चरण है और अगर यह कामयाब रहा और लोगों को वैक्सीन चुनने का विकल्प दे दिया गया तो ये कह सकते हैं कि कोरोना के ख़िलाफ़ भारत की लड़ाई मज़बूत हो गई है|
कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था| वुहान में दिसंबर 2019 में ही अधिकारियों ने नए वायरस के मामले की पुष्टि कर दी थी | फ़रवरी आतेआते दुनिया भर के देशों ने चीन से अपने नागरिकों को वापस लाना शुरू कर दिया था|भारत भी 27 फ़रवरी को चीन से अपने 759 नागरिकों को एयरलिफ़्ट करके लाया था | साथ ही 43 विदेशी नागरिक भी चीन से लाए गए थे |
मार्च आते-आते दुनिया भर में वायरस तेज़ी से फैल रहा था | रोकथाम के लिए भारत ने छह मार्च को विदेश से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू की|11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया | अगले ही दिन 12 मार्च को भारत में कोरोना संक्रमण से पहली मौत की पुष्टि हुई. इसी दिन स्टॉक मार्केट भी धराशायी हो गया |अगले कुछ दिनों में भारत के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की पहचान करने में कामयाब रहे|
भारत सरकार ने 17 मार्च को निजी लैब्स को वायरस के टेस्ट करने की अनुमति दे दी |अब राज्य इस वायरस को रोकने के लिए अपने हिसाब
से पाबंदियाँ लगा रहे थे|इसके बाद 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया | इसे पूर्ण लॉकडाउन की तैयारियों के तौर पर देखा गया|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को देश को संबोधित किया और रात 12 बजे से 21 दिन के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की| इस बीच सभी घरेलू उड़ाने भी निलंबित कर दी गईं|
कोरोना वायरस ने भारत में ताला लगा दिया था| प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद देश भर में काम बंद हो गया| लोग अपने घरों में क़ैद हो गए |धीरे-धीरे भारत इस लड़ाई में जीत की तरफ़ बढ़ता गया| भारत ने टेस्ट करने पर जोर दिया |लॉकडाउन ज़रूरी तो था लेकिन कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में कामयाबी के लिए काफ़ी नहीं था|जब लॉकडाउन लागू किया गया था तब ही ये समझ आ गया था कि ये महत्वपूर्ण तो है, इससे तैयारी के लिए समय मिल रहा है लेकिन सिर्फ़ लॉकडाउन ही काफ़ी नहीं है |
जुलाई और अगस्त के आसपास भारत यह समझ गया था कि कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई सिर्फ़ लॉकडाउन के ज़रिए नहीं जीती जा सकती है | इसके लिए अस्पतालों की व्यवस्था को मज़बूत करना होगा, टेस्टिंग और जनभागीदारी बढ़ानी होगी | वास्तव में कोरोना से जनस्वास्थ्य की सेवाओं को बेहतर करके ही जीता जा सकता है |’भारत में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में जनभागीदारी सबसे अहम रही है| जहाँ-जहाँ लोगों ने कोरोना के ख़िलाफ़ अपने व्यवहार को बदला, सावधानी बरती, वहाँ-वहाँ कोरोना के केस कम होने लगे |भारत में जनभागीदारी कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम साबित हुई है | अमेरिका जैसे देशों से तुलना की जाए तो भारत के लोगों की भागीदारी लड़ाई में बेहतर रही है| हमें ये भी कहना होगा कि ज़िम्मेदार लोगों ने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है |
15 जुलाई को भारत बायोटेक की देश में बनी कोवैक्सिन वैक्सीन का पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हुआ|तीन अगस्त को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को डीसीजीआई से दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल करने की अनुमति मिल गई | 26 अगस्त को सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड का भारत में ट्रायल शुरू कर दिया |भारत सरकार ने पाँच अक्तूबर को कहा कि जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी | सरकार ने 26 अक्टूबर को राज्यों से तीन चरण के वैक्सीन रोलआउट के लिए तैयार रहने को कहा|
तीन जनवरी को भारत ने भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सिन को आपात इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी दे दी |इससे एक दिन पहले ही भारत ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन कोवीशील्ड को मंज़ूरी दी थी| अभी भारत बड़े पैमाने पर कोवीशील्ड का ही इस्तेमाल कर रहा है | कोवैक्सिन को आपात स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाएगा |
भारत वैक्सीन बनाने में भी कामयाब रहा | लेकिन वैक्सीन इस लड़ाई में सिर्फ पहली सुरक्षात्मक लाइन है | भारत की आबादी करीब133करोड़ है | अगर बच्चों को वैक्सीन कार्यक्रम से अलग भी कर दिया जय तब भी भारत में 60 से 70 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगानी होगी ताकि हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो सके |