स्वतंत्र भारत में पहली बार खेती किसानी को केन्द्र में रखकर बजट बनने की शुरूआत हुई। अभी तक होता आया था कि बजट भाषण का 25 प्रतिशत हिस्सा तो खेती किसानी पर होता था, लेकिन हकीकत एकदम उलट। बजट का 3 फीसदी से ज्यादा खेती किसानी के लिए नहीं होता था। खेती किसानी की स्थिति दिनोदिन बरबादी की कगार पर जा रही थी। इसीलिए पहली बार अटल विहारी वाजपेयी की सरकार ने राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया। सोमपाल शास्त्री को उसका अध्यक्ष बनाया गया। यह आयोग बाद में चलकर स्वामीनाथन आयोग के नाम से जाना गया। क्योंकि साल 2004 में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बन गई। साल 2014 में मोदी सरकार के बनते ही फिर किसान नीति के केन्द्र में आ गया। बजट खेती किसानी को केन्द्र में रखकर बनने लगे। मोदी सरकार ने खेती से आय को दोगुना करने के लिए सप्तक्रांति का विचार दिया। हमे यहां यह समझने की जरूरत है कि आखिर सप्तक्रांति क्या है। प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सात सूत्र दिए।
- हर खेत को पानी
- मिट्टी की सेहत की जांच
- कोल्ड स्टोरेज के चेन का निर्माण
- खाद्य प्रसंस्करण पर जोर
- राष्ट्रीय कृषि मंडी और ई-मंडी की शुरूआत
- फसल बीमा योजना
- पशुपालन,मुर्गीपालन,मत्स्यपालन आदि को प्रोत्साहन
इन सात सूत्रों के जरिए किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य प्रधानमंत्री ने अपने सामने रखा। इस दिशा में योजनाएं बनाई। अभी तक सरकारें किसानों के कर्ज माफ करने के आगे नहीं सोच पा रही थी। पहली बार किसी सरकार ने इस पर ध्यान दिया कि आखिर हमारे किसान कर्जदार बनते क्यों हैं? किसान कर्जदार बने ही न इसके लिए नीति बनाई। इस दिशा में पहले प्रधानमंत्री ने हर खेत को पानी मिले इस पर ध्यान दिया, और वन ड्राप मोर क्राप का सूत्र दिया। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपना कहा और अपने पुरखों के कहे का ध्यान रहता है। जनसंघ ने साठ के दशक में में नारा दिया था कि ‘हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, जनसंघ की यही निशानी’ प्रधानमंत्री सिंचाई योजना उसी सोच का परिणाम है।
अभी देश भर में कुल 200.86 मिलियन हेक्टेयर जमीन खेती के योग्य है। इसमें से 95.78 मिलियन हेक्टेयर जमीन सिंचित है। यह कुल जमीन का केवल 47.68 प्रतिशत है। मतलब आधी भी जमीन सिंचित नही है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरूआत की गई। प्रधानमंत्री ने इस योजना को प्राथमिकता पर रखा है। इसीलिए इस योजना को मिशन मोड़ में क्रियान्वयन के ले तीन मंत्रालयों को लगाया। जल संसाधन मंत्रालय, भूमि संसाधन मंत्रालय एवं कृषि मंत्रालय।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना न केवल सुनिश्चित सिंचाई के लिए स्रोत बनाने पर केंद्रित है, बल्कि ‘जलसंचय’ और ‘जल सिंचन’ के जरिये सूक्ष्म स्तर पर वर्षा जल का उपयोग करने की दिशा मे भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हर खेत को पानी कैसे मिले इसके लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पानी के स्रोत को बढ़ाया जा रहा। पानी के समुचित वितरण के कार्यक्रम बने। भूजल विकास, लिफ्ट सिंचाई, अधिक जल वाले इलाकों से कम पानी वाले क्षेत्रों में पानी ले जाना के इंतजाम किए जा रहे हैं। बारिश के पानी का संचयन, रख-रखाव के लिए भी योजना चल रही है। कुंओं और बावडियों आदि की मरम्मत कराने के कार्यक्रम चल रहे हैं।
भूमि संसाधन विभाग ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत वाटरशेड विकास कार्यक्रमों के लिए विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसके तहत 28 राज्यों में 8214 वाटरशेड विकास परियोजनाओं की शुरूआत भी की जा चुकी है।
परियोजना की गतिविधियों में रिज क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, मिट्टी और नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी स्थापना, नवीकरण, बागवानी, चारागाह विकास, आर्थिक पिछड़े व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं। अभी तक 1200 परियोजनाओं को पूरा भी किया जा चुका है।
वन ड्राप मोर क्राप यानि पानी की हर एक बूंद से अधिक से अधिक फसल लेना। यह योजना भी इसी क्रायक्रम का हिस्सा है। साथ ही सूखा निरोधक, जिला सिंचाई योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। देश के 219 बार-बार सूखा से प्रभावित जिलों के लिए भी राज्यों को मदद की गई है। साथ ही जल के अति दोहन वाले 1071 ब्लाकों में भू-जल रिचार्ज, सूखे से निबटने तथा सूक्ष्म जल भंडारण सृजन के लिए राज्यों को आर्थिक मदद की गई।
केन्द्र सरकार मनरेगा के तहत कुल 10 लाख अधिक तालाबों और कुओं की व्यवस्था की है। इसके अलावा ये भी तय हुआ है कि मनरेगा के धन का उपयोग सिंचाई करने के लिए भी किया जाएगा। इससे पिछले 2 सालों में 9 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्र मनरेगा के तहत लाभांवित हुए।
सरकार के संकल्प
- सूखे से निजात पाने के लिए दीर्घावधि समाधान विकसित करना
- निचले स्तर पर सिंचाई परियोजनाओं में निवेश को बढ़ाना
- पानी की बर्बादी रोकना और खेत की जल उपयोग क्षमता में सुधार करना
- पानी की हर बूंद का उपयोग करना
- सतत जल उपयोग प्रणाली की बढ़ावा देना
इस सभी विषयों पर सरकार ने सिर्फ नीति ही नहीं बनाई, बल्कि तेजी से आगे बढ़ रही है। सभी 675 जिलों में जिला सिंचाई योजना पर काम शुरू हो गया है। पीएमकेएसवाई के तहत काम की जियों टैगिंग के लिए एनआरएससी हैदराबाद से सहयोग लिया जा रहा है।