पीड़ा में परवाह का भाव – भारत का मैत्री भाव

आपदाएँ तोड़ने ही नहीं जोड़ने भी आती हैं |  बीते दिनों भूकंप की विभीषिका झेल रहे  तुर्किए से आई एक तस्वीर यही बयान करती है | सोशल मीडिया में छाई मन जीतने और मनोबल बढ़ाने वाली यह तस्वीर भारतीय बचाव दल की महिला अधिकारी और  तुर्किए की भूकंप पीड़ित  महिला की है | विपदा से मिले जख्मोंऔर भय के बीच  तुर्किए की महिला ने भारतीय मेडिकल टीम की अधिकारी को गले लगाया हुआ है | मानवीय मोर्चे पर देखें तो यह छवि जीवन सहेजने की जद्दोजहद में पीछे ना रहने वालों  के प्रति स्नेह और आभार जताने के कितने ही मानवीय रंग लिए है |

गौरतलब  है कि तुर्किए में राहत-बचाव अभियान  थमने के बाद  एनडीआरएफ   की  सभी टीमें स्वदेश लौट आई हैं | भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत एनडीआरएफ की 151 जवानों की तीन टीमों और डॉग स्क्वायड इस विभीषिका  मेन बड़े स्तर पर खोज और राहत-बचाव अभियान में हिस्सा लिया था  | पिछले दिनों  तुर्किए और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने दोनों देशों को दहला दिया था | इस जलजले से   45000  से ज्यादा लोगों की जान चली गई है |   इस कुदरती विपदा के कारण करीब 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं |  इस जलजले से दोनों देशों में हजारों इमारतें ध्वस्त हो गई  हैं |  एक अकेले   तुर्किए में ही  2,64,000 अपार्टमेंट  ज़मींदोज़  हो गए हैं | ज्ञात हो कि  वहाँ मौसम के विपरीत हालतों और संसाधनों की कमी से जूझते हुए भी भारतीय जवान मलबे में फंसे लोगों की ज़िंदगी बचाने की कोशिशों में जी जान से जुटे रहे  | 99 सदस्यों की मेडिकल  टीम घायलों का इलाज करने में जुटी  रही तो  बचाव दल मलबे में फंसे लोगों  की  ज़िंदगी बचाने में | यही वजह है कि वहाँ के लोग खुलकर भारतीय बचाव दल के प्रति स्नेह-सराहना भी जाहिर कर रहे हैं |   भूकंप पीड़ित  तुर्किए में  मेहनत और मानवता के प्रति समर्पण से लोगों का जीवन बचाने और दिल जीतने वाले राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ)  ने मानवाए मोर्चे पर फिर खुद को साबित किया है |

गौरतलब है कि आपदा के दुखद दौर में भारत ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत  तुर्किये को मदद पहुंचाने की पहल करने वाले देशों में सबसे आगे रहा | प्रधानमंत्री  मोदी ने इस प्रलय से पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए अधिकारियों को इस आपदा से हुए नुकसान से निपटने में हर संभव सहायता देने का भी निर्देश दिया था |  कुछ घंटों के भीतर ही भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा भारतीय वायु सेना के विमान से तुर्किये  को भूकंप राहत सामग्री का  पहली खेप भेज दी गई थी | इसमें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और एक बचाव दल शामिल था |  जिसमें पुरुष और महिला कर्मी, कुशल डॉग स्क्वॉड, चिकित्सा सामग्री, उन्नत ड्रिलिंग  उपकरण और मदद करने के  लिए आवश्यक अन्य महत्वपूर्ण उपकरण शामिल थे | आपदा का दर्द झेलते लोगों की अनुभूतियों को समझते हुए भारत के बचाव दल और चिकित्सा टीमों का तुर्किये पहुंचकर राहत कार्य शुरू करना वाकई मानवता को आगे रखने का भाव  ही था |  भूकंप पीड़ित महिला द्वारा भारतीय सैन्यकर्मी को गर्मजोशी से गले लगाने वाली छवि  इसी भाव को  रेखांकित करती है |  गौरतलब है कि पहली बार बचाव दल में 5 महिला  रेसक्यू स्टाफ भी  शामिल थीं |  वहाँ  तमाम परेशानियों के बीच  राहत और बचाव कार्यों में भारतीय बचाव दल जी जान से जुटा रहा | एनडीआरएफ के एक दल द्वारा गंजियातेप में कई दिन बाद मलबे से 6 साल की बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने पर  गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने वीडियो साझा करते हुए ट्वीट भी किया था  कि ‘इस प्राकृतिक आपदा में तुर्किये के साथ हैं |’  गौरतलब है कि जीवन सहेजने और घायलों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए एनडीआरएफ ने वहाँ जमीनी स्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया था |   मुसीबत में मदद के लिए  तुर्किए ने  ‘मुश्किल समय में काम आने वाला ही सच्चा दोस्त होता है |’ कहकर भारत की सराहना भी की थी   | भारतीय सेना द्वारा   तुर्किए के हताए प्रांत के इस्केंडरन में बनाए फील्ड हॉस्पिटल में  इलाज करवा  रही आम जनता भी  ‘थैंक यू हिंदुस्तान’ बोलती दिखी | 
 

6 फरवरी को आए इस भूकंप की तीव्रता बहुत ज्यादा होने से वहाँ  जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ  | इतने दिन बाद भी  हर तरफ नुकसान का दुखद दृश्य दिख रहा है | बहुत से बच्चे और बड़े  इमारतों मलबे में दबे हुए हैं | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका जताई है कि मरने वालों का आंकड़ा बहुत ज़्यादा हो सकता है | इतना ही नहीं वहाँ भूकंप की विनाशलीला अब भी जारी है। 13 फरवरी को एक बार फिर से तुर्किये के कुछ क्षेत्रों में तीव्रता का भूकंप आया था | पहले से ही  भूकंप से तबाही की मार झेल रहे तुर्किये में  18 फरवरी को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए ।

यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि   तुर्किए  के तकलीफदेह समय में  हमारे देश ने  बिना देरी किए मानवीय ज़िम्मेदारी निभाने का निर्णय लिया |  राहत सामग्री और  मदद भिजवाई |  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एक ट्वीट कर कहा  था कि  ‘भारत इस चुनौतीपूर्ण क्षण में अपनी एकजुटता व्यक्त करता है | ‘ सहयोगी भाव के चलते ही सीरिया को भी आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के साथ राहत सामग्री सौंपी गई  | विचारणीय है कि वैश्विक स्तर पर अधिकतर देशों की  हित साधने की रणनीति और अलगाव की राजनीति के बावजूद भारत ने हर बार मानवीय मोर्चे पर खुद को साबित किया है |  ‘वसुधैव  कुटुम्बकम’  की संस्कृति वाले हमारे देश ने  ना केवल सामान्य परिस्थितियों में अन्य  देशों के साथ मैत्री और समानता का व्यवहार रखा है बल्कि असामान्य हालातों में भी डटकर सहायता की पेशकश की है |  विशेषकर आपदा के समय भारत ने सदैव मदद पहुंचाने का मार्ग ही चुना है | नेपाल में विनाशकारी भूकंप के समय सहाता पहुंचाने  की बात हो या युद्धग्रस्त यमन से अपने देश के नागरिकों के अलावा 40  से ज्यादा दूसरे देशों के नागरिकों को भी सकुशल निकालने का काम | भारत सरकार ने सदैव तत्परता का परिचय दिया है | बीते साल आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की मदद करने के लिए भी  भारत सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाया था |  कर्ज में डूबे श्रीलंका में भारत को जीवन रक्षक दवाएं, चिकित्सकीय उपकरण और राहत सामग्री भेजकर एक अच्छे पड़ोसी का धर्म निभाने के लिए प्रशंसा मिली थी | 

दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा समय में समरसता और सहयोग का भाव दुनिया के हर हिस्से से रीत रहा है | सामान्य हालातों में अपनाई जाने वाली  रणनीति का असर विपदा के दौर में भी दिखता है |  बावजूद इसके  वैश्विक समुदाय में  भारत की छवि एक मददगार देश के रूप में ही कायम है | कोरोना संकट के समय भी  वैक्सीन भेजने और सहायता करने के रवैये ने भारत की साख को मजबूती ही दी थी |  दुनियाभर के कई देश और संगठन  समय-समय पर  हमारे देश के इस सहायक रवैये की सराहना करते रहे हैं  |

 

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