श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं विधान परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है। चौपाल ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली है। कामेश्वर चौपाल पिछले एक वर्ष से बीमार चल रहे थे। अगस्त में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से भी उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। कामेश्वर चौपाल ने ही राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। संघ ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया था। कामेश्वर चौपाल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आजीवन सदस्य थे। कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से आते थे।
कामेश्वर चौपाल का जन्म सुपौल जिले कमरैल गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई मधुबनी जिले से की थी। यहीं वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए थे। उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे। संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर चौपाल को कॉलेज में दाखिला मिला था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो चुके थे। इसके बाद उन्हें मधुबनी का जिला प्रचारक बना दिया गया था।नौ नवंबर 1989 को अयोध्या में चौपाल ने श्रीराम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कारससेवक इसमें जुटे थे। उस वक्त वे विहिप के संयुक्त सचिव थे।
अयोध्या में राम लला के भव्य मंदिर में 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा की गई। लेकिन राम मंदिर आंदोलन में 9 नवंबर 1989 को पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल ही थे। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद 9 नवंबर 2019 को ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया था।
वर्ष 2002 में विधान पार्षद बनाए गए थे। और वे साल 2014 तक विधान पार्षद रहे। वे बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। उस समय वह पूरे देश में चर्चा के केंद्र में थे।
विहिप में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे। तब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा। चौपाल इसके पहले तक अनजान थे। हालांकि उन्हें यह पता था कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का निर्णय लिया है, लेकिन वे स्वयं होंगे, यह उनके लिए संयोग रहा। शिलान्यास के बाद से ही कामेश्वर चौपाल चौपाल का नाम पूरे देश में छा गया।
शिलान्यास के बाद वे विधिवत भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए। कामेश्वर चौपाल की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने साल 1991 में रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1995 में वे बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे।