पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसकी जनता अपने हुक्मरानों की गलतियों का आयेदिन खामियाजा अपनी जान व माल को गंवाकर भुगतने का कार्य करती रहती है। जिस देश के लोग पहले से मंहगाई की जबरदस्त मार से जूझ रहे हो, रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हो, वहां पर अब पाकिस्तान के आम नागरिकों के लिए नया सरदर्द बन गयी है पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी के बाद बने हालात। देश में हर तरफ जबरदस्त हंगामा बरपा है, जगह-जगह तोड़फोड़ आगजनी जारी है, सैन्य ठिकानों तक में भी दंगाईयों की भीड़ घुस कर हंगामा कर रही है, हालात पाकिस्तान के आवाम के साथ-साथ पूरी दुनिया को चिंतित करने वाले बन गये हैं। वैसे तो पहले से ही पाकिस्तान एक ऐसे अलोकतांत्रिक देश का नाम है, जहां पर अपने सियासी दिग्गजों को जेल में कैद करके रखना, उनकी सरेआम सड़कों पर हत्या करवा देना व जेल की सलाखों में बंद करके फांसी के तख्ते पर लटका देना दशकों से चलता आ रहा है, फिर पूर्व प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपति तक के साथ बदसलूकी करना तो एक बहुत ही छोटी सी बात है और वहां की पुलिस व सेना के लिए बाएं हाथ का खेल है।
उसी कड़ी के हिसाब से देखें तो पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी कोई नई बात नहीं है, यहां पर यह रीति पहले से ही चलती आ रही है, समय-समय पर गिरफ्तार होने वाली लिस्ट में पाक के कई पूर्व राष्ट्रपति व प्रधानमंत्रियों का नाम शामिल रहे है। पूरी दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर भुट्टो, नवाज़ शरीफ़, शाहिद खाकान अब्बासी, वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, इमरान खान के साथ-साथ राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़, आसिफ़ अली जरदारी आदि को समय समय पर पाकिस्तान के हुक्मरानों ने विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार करवा कर जेल भेजने का कार्य किया है और सबसे अहम बात यह है कि इनमें से कुछ को तो सजा तक भी हो गयी थी। वैसे हालात को गौर से देखा जाये तो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक व्यवस्था तो केवल नाम चारे के लिए ही है वहां के सिस्टम असली कर्ताधर्ता तो सेना व आईएसआई है, बाकी सारा सिस्टम तो इन दोनों की एक कठपुतली मात्र ही हैं।
जिस तरह से एक घटनाक्रम के दौरान इस्लामाबाद स्थित उच्च न्यायालय के बाहर से मंगलवार, 9 मई 2023 को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री व तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान खान को पाक रेंजर्स के द्वारा घसीटते हुए गिरफ्तार किया गया है, वह स्थिति पाकिस्तान में लोकतांत्रिक व्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति बयां करने के लिए काफी हैं। वैसे तो यहां आपको बता दें कि इमरान खान को “अल-कादिर ट्रस्ट” से जुड़े हुए भ्रष्टाचार के मामले में नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) की जांच के हिस्से के रूप में उच्च न्यायालय के बाहर से पाक रेंजर्स ने गिरफ्तार करने कार्य किया है, यह नाटकीय घटनाक्रम इमरान खान के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में जमानत के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उनकी उपस्थिति दर्ज कराने से पहले ही घटित हो गया है। जिसके चलते इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश की सड़कों पर जबरदस्त बवाल मच गया है, तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) के समर्थकों ने पूरे पाकिस्तान में जगह-जगह विरोध और प्रदर्शन करते हुए तोड़फोड़ आगजनी शुरू कर रखी है। देश में हर तरफ अफरातफरी का माहौल बन गया है, लोगों को अपने जान-माल की सुरक्षा की चिंता सता रही है। वहीं पाक के हुक्मरान विरोध प्रदर्शनों को हमेशा की तरह सरकार की दमनकारी नीतियों से कुचलने के प्रयास में लगे हुए हैं, लेकिन फिर भी स्थिति वहां के शासन-प्रशासन व सेना के काबू से बाहर हो गयी है, दुनिया में आतंकियों की पाठशाला व सुरक्षित पनाहगाह माने जाने वाला पाकिस्तान का आम जनमानस आज अपने हुक्मरानों के कर्मों का फल भोगने का कार्य रहा है।
जबसे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करके उनको भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा गया है। उसके बाद से पाकिस्तान में हर तरफ अराजकता का एक नया खतरनाक अध्याय शुरू हो गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इमरान खान के समर्थक सड़कों पर उतर गये हैं, इमरान खान के इन समर्थकों के निशाने पर पाकिस्तान की फ़ौज व आईएसआई आ गयी है, रावलपिंडी में बेहद सुरक्षित माने जाने वाले सेना मुख्यालय में इमरान खान के दंगाई समर्थकों के द्वारा जमकर हंगामा बरपाया गया, वहां पर तोड़फोड़, आगजनी तक की गयी है। मियांवाली एयरफोर्स स्टेशन में भी इमरान खान के समर्थकों के द्वारा जबरदस्त तोड़फोड़ व आगजनी की गई है। लाहौर में तो हंगामा के निशाने पर सेना के कोर कमांडर तक आ गये हैं, दंगाईयों ने उनके घर को भी जला दिया है। पेशावर में पाकिस्तान रोडियो स्टेशन के आफिस में तोड़फोड़ करके दंगाईयों ने इमारत को आग के हवाले कर दिया। क्वेटा में पीटीआई के दंगाई कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण करने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी है। इसके बाद पाकिस्तान के सत्तालोलुप हुक्मरानों ने देश में तेजी से बिगड़ते हुए हालातों को देखकर पूरे देश में इंटरनेट सेवा बंद करने के आदेश दे दिये हैं, वहीं हालात को काबू में करने के लिए दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिये गये हैं। स्थिति को देखते हुए लगता है कि पाकिस्तान एकबार फिर से मार्शल लॉ लागू होने की दहलीज पर आकर के खड़ा हो गया है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इमरान खान को तत्काल रिहा करने के आदेश देकर के पाकिस्तान के हुक्मरानों, सेना व आईएसआई को जबरदस्त झटका दे दिया है।
लेकिन आज देश व पूरी दुनिया के सामने विचारणीय तथ्य यह है कि पाकिस्तान आखिरकार कैसे ऐसी बेहद तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच गया है, इसके लिए कौन-कौन लोग जिम्मेदार है, तो इस सवाल का जवाब तलाशने पर यह स्थित निकल कर आती है कि आतंकवाद को पालने-पोसने के चलते, हर तरफ फैले मजहबी कट्टरवाद, मजहबी उन्माद और भारत विरोध में पाकिस्तान का अधिकांश आम जनमानस व वहां के हुक्मरान अंधे हो चुके है, वहां के हुक्मरान अपने क्षणिक हितों को साधने के लिए आम जनता का मूर्ख बनाने में व्यस्त हैं और धर्मान्ध जनता की सही व गलत निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो चुकी है, उसका अपने हुक्मरानों के मानवता विरोधी कृत्यों पर भी आंख मूंदकर बैठे रहने से पाकिस्तान के हुक्मरान व सेना निरंकुश हो गयी है, जिसके चलते ही अंहकार में वशीभूत होकर के वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री तक को भी सड़कों पर घसीट रही है। खैर अगर जल्द ही पाकिस्तान के हुक्मरानों ने अपने अंदर सुधार नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं है जब उनके द्वारा पैदा किया गया आतंकवाद व मजहबी कट्टरवाद नाम का यह भस्मासुर स्वयं उनको ही बेमौत मारने कार्य कर देगा और दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा देगा।
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