हरियाणा के बल्लभगढ़ की घटना ने, जिसमें एक तरफ़ा प्यार मे एक युवा सरे-आम कॉलेज से निकल रही छात्रा का पहले अपहरण करना चाहता था लेकिन असफल रहने पर गोली मार कर हत्या कर देता है, देश की सामूहिक चेतना को हिला दिया है। इसे जंगल राज की संज्ञा दी जा रही है। लेकिन शायद यह गलत उदाहरण है। जंगल राज में कोई जानवर किसी अन्य जानवर को एक तरफा प्यार में सरे-आम अपहरण नहीं करता, ना हीं गोली मारता।
देश की अपराध-न्याय व्यवस्था, कानून और कानून के “धंधे” में लगे पुलिस, प्रशासन, जज, वकील और तमाम संस्थाएं लगभग बेमानी हो चुकी हैं। जो इनकी गलतियां बता रहा है वह देश-द्रोही या अदालत की अवमानना का दोषी बता दिया जाता है। बल्लभगढ़ की घटना का सन्देश क्या है : घर से लड़कियों को निकलने न दें वरना किसी मनचले की नज़र पड़ जायेगी और घरवालों की शिकायत पर “मंत्री जी को सलामी ठोकने में व्यस्त” या “सड़क पर ट्रकों से पैसा उगाहते” पुलिस कोई ध्यान नहीं देगी। और फिर बुलंद हौसलों वाला सिरफिरा २००० रुपये में कट्टा खरीद कर लडकी की गोली मार कर हत्या कर देगा।
पुलिस, गवाह और अपराधी अदालत २० -३० साल मुकदमें का ड्रामा करेंगें और फिर अगर सजा हुई भी तो यह बड़ा गुंडा बन कर आसपास के दुकानदारों से धन उगाहना शुरू करेगा। कहना न होगा कि अगर किसी राजनीतिक दल की नज़र पड़ गयी तो टिकट दे कर उसे “जन-प्रतिनिधि” बना विधायिकाओं में कानून बनाने भेज दिया जाएगा। याने इस कानून-व्यवस्था में सत्ता के खिलाफ बोलने वालों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में निरुद्ध की चेतना तो है लेकिन किसी सामान्य बेटी को किसी गुंडे से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं है. लडकी के परिवार ने दो साल पहले इस गुंडे के खिलाफ शिकायत भी की थी लेकिन पुलिस के मूल काम में अपराध नियंत्रण नहीं बल्कि सत्ता को खुश करने के लिए उनके विरोधियों को पकड़ना आता है।
एक लफंगा युवा एक तरफ़ा प्यार में नाकाम होने पर सहज भाव में लडकी के जीवन के लिए ख़तरा बन जाता है तो इसका सन्देश तो यही है न कि बेटियों को घर के बाहर याने पढने न भेजें. यही तो पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन भी कहते हैं और इसी के कारण तहरीक-ए-तकिबान के आतंकी मलाला को गोली मार देते है. तो फिर प्रधानमंत्री के “बेटी-पढ़ों, बेटी बचाओ” नारे का क्या हुआ और वह भी इतने साल बाद?