पश्चिम में अब फिर एक और भारतीय मूल का राजनेता उभरा है। अटकलें शुरू हो गईं कि कनाडा का प्रधानमंत्री वह संभावित बन सकता है। ब्रिटेन में किसने कब सोचा था कि पंजाब दा पुत्तर ऋषि सुनक वहां का प्रधान मंत्री बन जाएगा ? गत सप्ताह कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नए अध्यक्ष पंजाबी खत्री कुटुंब के सचित मेहरा चुने गये हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के वे ही उत्तराधिकारी हो सकते हैं। ट्रूडो भी एक मायने में बाहरी ही हैं। उनके पूर्वज स्कॉटलैंड तथा फ्रांस से आकर कनाडा में बसे थे। उनके प्रपितामह जनरल विलियम ने आधुनिक सिंगापुर की स्थापना की थी। सचित मेहरा की संभावनाएं भी ट्रूडो सरीखी दिखती हैं।
जब गत शनिवार के पार्टी मतदान में सचित नेशनल लिबरल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे तो उनकी एकमात्र चुनावी प्रतिस्पर्धी थीं मीरा अहमद जो अभी तक राष्ट्रीय उपाध्यक्षा रहीं। वे 15 साल की आयु में ही पार्टी में शामिल हो गईं थीं। पार्टी स्वयंसेविका के नाते मीरा ने नए सदस्यों को भर्ती करने का सतत प्रयास किया था। संचार तथा समाचार क्षेत्र में निष्णात मीरा राष्ट्रीय लिबरल पार्टी के जनसंपर्क विभाग से जुड़ी रहीं। खासकर डिजिटल और मार्केटिंग विभाग में। यह 46-वर्षीय मीरा तथा उन्हीं के हमउम्र सचित दोनों एशियाई मूल के हैं। अतः कनाडा को इस वर्ष से बिल्कुल नए किस्म का नेतृत्व मिलेगा। इस बार का पार्टी अध्यक्ष चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि डेढ़ वर्ष बाद कनाडियन संसदीय निर्वाचन प्रस्तावित हैं। अतः लिबरल पार्टी नेताओं के सामने बड़ी चुनौती है। सचित मेहरा ने कहा भी है : “अब हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज यह है कि देश में चौथी बार हम सरकार कैसे बनाएं ? इसके लिए बहुत मेहनत की जरूरत है। जिस कन्वेंशन में मुझे नेशनल पार्टी प्रेसिडेंट चुना गया, उसमें सभी ने देखा कि हमारी टीम के पास कितने अच्छे लोग और आईडियाज हैं।”
सचित के माता-पिता 1960 के आसपास दिल्ली से कनाडा शिफ्ट हुए थे। उनके पिता का नाम कमल और मां का नाम सुधा मेहरा है। इस परिवार को कनाडा के अमीरों में शुमार किया जाता है। उनके पास रियल एस्टेट के अलावा रेस्टोरेंट्स की फूड सप्लाई चेन है। सचित की पत्नी कैरोलीन हैं। उनके पुत्र मोहित तथा जीवन हैं। प्रेसिडेंट बनने से पहले भी सचित लिबरल पार्टी के लिए लंबे वक्त तक चंदा जुटाते रहे हैं। उनका परिवार कनाडा के विनिपेग इलाके में रहता है जो मनीतोबा राज्य में आता है। सचित ने पिछले साल अक्टूबर में ही बता दिया था कि वो लिबरल पार्टी प्रेसिडेंट का इलेक्शन लड़ेंगे।
हिंदी और पंजाबी भाषाओं में सचित मेहरा माहिर हैं। उनका भारत खासकर आभारी है क्योंकि 2021 में कोविड के दौरान उन्होंने बड़ी मात्रा में आक्सीजन भारत को दिलवाया था। सचित ने अपना लक्ष्य बताया कि : “इलेक्शन के पहले मुझे और मेरी पार्टी को हर आम आदमी तक पहुंचना है। इसके लिए कार्यकर्ताओं को तैयार करना होगा। इसमें अनुष्का कुरियन मदद करेंगी।”
सचित मेहरा की सफलता में एक अन्य भारतीय मूल की महिला अनुष्का कूरियन की विशेष भागीदारी रही। टोरंटो विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री लेकर इस मलयाली पिता की वंशज ने पिछले संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी के प्रचार का प्रबंधन बड़े प्रभावी शैली से संभाला था। राजनीति शास्त्र में अनुष्का कई मौलिक शोधपत्र प्रकाशित कर चुकी हैं। वे सीबीसी चैनल पर राजनीति टिप्पणीकार भी रही हैं।
संगठन की दृष्टि से सचित मेहरा को सरकार से पूरा सहयोग पाने की आशा है। वे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के करीबी मित्र हैं और लगभग 32 वर्षों से लिबरल पार्टी से जुड़े हुए हैं। ट्रूडो गठबंधन सरकार चला रहे हैं। इसके लिए सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम रचने में सचित ने अहम भूमिका निभाई थी।
नए परिवेश में सचित मेहरा के कारण भारत-कनाडा संबंधों पर दुतरफा प्रभाव पड़ सकता है। कनाडा में आठ लाख से अधिक सिख रहते हैं। राष्ट्रीय आबादी के लगभग सवा दो प्रतिशत हैं। खालिस्तान आंदोलन से इनमें कुछ लोगों की स्वाभाविक सहानुभूति है। बल्कि पंजाब के आतंकवादियों के कुछ मददगार भी इन्हीं लोगों में हैं। अतः अब आशा है कि सचित मेहरा के कारण भारत-कनाडा संबंध ज्यादा मजबूत होंगे। इन भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगेगी। एक अन्य चर्चित विषय भी है। यूं चीन से कनाडा के बिगड़े रिश्तों के कारण एशियाई दृष्टि से यह एक बड़ी खबर होगी क्योंकि चीन ने हाल ही में कनाडायी राजदूत को बीजिंग से निष्कासित कर दिया था। इस तनाव के कारण कनाडा सरकार की चीन से रिश्तों में कटुता आई है। इतना तो तय है कि खालिस्तानी आतंकी तथा चीन से संबंध के मामलों में कनाडा भारत का पक्षधर होगा। पंजाब दा पुत्तर से इसमें समुचित योगदान अपेक्षित हैं।