मी लार्ड, जरा सुनिए!
न्यायपालिका राजनीतिक प्रक्रिया का एक ऐसा अंग है जो सरकार या सत्ता के हाथों में राजनीतिक शक्ति के अत्याधिक संकेन्द्रण की»
न्यायपालिका राजनीतिक प्रक्रिया का एक ऐसा अंग है जो सरकार या सत्ता के हाथों में राजनीतिक शक्ति के अत्याधिक संकेन्द्रण की»
1857 की घटनाओं में सैयद अहमद खां न सिर्फ एक सरकारी मुलाजिम की हैसियत से शरीक थे, बल्कि वे सबसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने»
चीन के कम्युनिस्ट पड़ोसी और शत्रु वियतनाम को नरेंद्र मोदी ने काफी संवेदनशील ढंग से भारत का प्रगाढ़ मित्र बनाया है, खासकर»
अगले महीने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली आकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति एक कीर्तिमान रचेंगे। फ्रांस अकेला गणरा»
पुरानी पुस्तकों और प्राचीन इमारतों को पसंद करने वाले हर व्यक्ति को यह खबर अच्छी लगेगी। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, वैज्ञानिक»
कैसा लगेगा अगर जन्माष्टमी पर मथुरा खामोश, बिना उत्सव के हो जाए। अयोध्या में रामनवमी न मनाई जाए ! ठीक यही दृश्य आज है बेथ»
तृणमूल कांग्रेस के 66-वर्षीय नेता कल्याण बनर्जी विगत पंद्रह वर्षों से लोकसभा सदस्य हैं। मगर इतनी चर्चा में कभी नहीं आए ज»
हरिशंकर परसाई लिखते हैं, ‘दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस. कभी थानेदार दिवस»
हर साहित्यप्रेमी बिड़ला फाउंडेशन का आभारी होगा कि उन्होंने विख्यात लेखिका पुष्पा भारती जी को इस वर्ष के “व्यास सम्मान” से»
राजनेताओं को शैक्षणिक विषयों पर तभी बोलना चाहिए जब वे स्वयं उच्च शिक्षा याफ़्ता हो। अर्थात कोई कम पढ़ा मंत्री ज्ञान की बात»
अगर हर रास्ता स्वाधीनता की मंजिल की ओर जाता है, तब प्रश्न यह नहीं है कि कौन क्या मार्ग चुने। प्रश्न यह वास्तविक हो जाता»
शायद भाजपायी राजनेताओं का ही भाग्य रहा कि दकियानुसी हिंदूवादी अवधारणाओं को समूल तोड़ें। वर्ना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदे»
समकालीन इतिहास की अत्यंत त्रासद घटना पर बनी कंगना रानौत की फिल्म “एमर्जेंसी” अब नूतन वर्ष में दिखाई जाएगी। गत माह की तार»
अंग्रेजों से मुक्ति के लिए साझा प्रयास का बड़ा उदाहरण वाराणसी में मिलता है। वजीर अली को जगत नारायण सिंह की मदद मिली। जिसम»
स्वाधीनता आंदोलन का इतिहास बहुत लंबा है। लेकिन इस लेख में वह कालखंड है, जिसे ब्रिटिश शासन का समय कहते हैं। फिर भी»
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ‘जम्मू और कश्मीर के लिए विकास, लोकतंत्र और गरिमा’ प्रदान करने वा»
मुंबई मीडिया अत्यंत रोचक हो जाती है जब शिवसेना के शिंदे तथा ठाकरे धड़ों की जुगलबंदी को खबर बनाकर छापा जाता है। गाली-गुफ्त»
दो दृष्टांत है : राजनीतिक कदाचार और सदाचार के। दोनों ताजा घटनाएं हैं। कल (8 नवंबर 2023) की। एक पर नाज तथा हर्ष होता है,»
वर्तमान विश्व विभिन्न प्रकार के सामाजिक चुनौतियों एवं असमानताओं, आर्थिक विषमताओं, राजनीतिक संघर्षों, धार्मिक-सांस्कृतिक»