स्वतंत्र भारत में पंचायतें

महात्मा गांधी

हरिजन सेवक में 28 जुलाई 1946 को गांधी जी ने स्वतंत्र भारत में पंचायतें शीर्षक से एक लेख लिखा। स्वतंत्र भारत में पंचायतें कैसी होगी इसका एक खाका खींचा। गांधी जी उस लेख मे लिखते हैं….

आजादी का अर्थ हिन्दुस्तान के आम लोगों की आजादी होना चाहिए, उन पर आज हूकूमत करने वालों की आजादी नहीं। हाकिम आज जिन्हें अपने पांवतले रौंद रहे हैं, आजाद हिन्दुस्तान में उन्हीं लोगों की मेहरबानी पर हाकिमों को रहना होगा। उनको लोगों के सेवक बनना होगा और उनकी मरजी के मुताबिक काम करना होगा।

आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए। हर एक गांव में जमहूरी सल्तनत या पंचायत का राज होगा। उसके पास पूरी सत्ता और ताकत होगी। इसका मतलब यह है कि हर एक गांव को अपने पांव पर खड़ा होना होगा-अपनी जरूरतें खुद पूरी कर लेनी होंगी, ताकि वह अपना सारा कारोबार खुद चला सके। यहां तक कि वह सारी दुनिया के खिलाफ अपनी हिफाजत खुद कर सके। उसे तालीम देकर इस हद तक तैयार करना होगा कि वह बाहरी हमले के मुकाबले में अपनी रक्षा करते हुए मर-मिटने के लायक बन जाए। इस तरह आखिर हमारी बुनियाद व्यक्ति पर होगी। इसका यह मतलब नहीं कि पड़ोसियों पर या दुनिया पर भरोसा न रखा जाए या उनकी राजी खुशी से दी ही मदद न ली जाए। खयाल यह है कि सब आजाद होंगे और सब एक दूसरे पर अपना असर डाल सकेंगे। जिस समाज का हर एक आदमी जानता है कि उसे क्या चाहिए और इससे भी बढ़कर जिसमें यह माना जाता है कि बराबरी की मेहनत करके भी दूसरों को जो चीज नहीं मिलती है, वह खुद भी किसी को नहीं लेनी चाहिए, वह समाज जरूर ही बहुत ऊंचे दर्जे की सभ्यता वाला होना चाहिए।

ऐसे समाज की रचना स्वभावतः सत्य और अहिंसा पर ही हो सकती है। मेरी राय है कि जब तक ईश्वर जीता जागता विस्वास न हो,सत्य और अहिंसा पर चलना नामुमकिन है। ईश्वर या खुदा वह जिंदा ताकत है, जिसमें दुनिया की तमाम ताकतें समा जाती है। वह किसी का सहारा नहीं लेती और दुनिया की दूनिया की दूसरी सब ताकतों के खत्म हो जाने पर भी कायम रहती है। इस जीती जागती रोशनी पर जिसने अपने दामन में सब कुछ लपेट रखा है, मै विश्वास न रखूं, तो मै समझ न सकूंगा कि मै आज किस तरह जिंदा हूं।

ऐसा समाज अनगिनत गांवों का बना होगा। उसका फैलाव एक के ऊपर एक के ढंग पर नहीं, बल्कि लहरों की तरह एक के बाद एक की शकल में होगा। जिंदगी मीनार की शक्ल में नहीं होगी, जहां ऊपर की तंग चोटी को नीचे के चौड़े पाये पर खड़ा होना पड़ता है। वहां तो समुद्र की लहरों की तरह जिंदगी एक के बाद एक घेरे की शकल में होगी और व्यक्ति उसका मध्यबिंदु होगा। यह व्यक्ति हमेशा अपने गांव के खातिर मिटने को तैयार रहेगा। गांव अपने इर्दगिर्द गांवों के लिए मिटने तो तैयार होगा। इस तरह आखिर सारा समाज ऐसे लोगों का बन जाएगा, जो उध्दत बनकार कभी किसी पर हमला नही करते, बल्कि हमेशा नम्र रहते हैं, और अपने में समुद्र की उस शान को महसूस करते हैं, जिसके वे एक जरूरी अंग है।

इसलिए सबसे बाहर का घेरा या दायरा अपनी ताकत को इस्तेमाल भीतर वालों को कुचलने में नहीं करेगा, बल्कि उन सबको ताकत देगा और उनसे ताकत पायेगा। मुझे ताना दिया जा सकता हे कि यह सब तो खयाली तस्वीर है, इसके बारे में सोचकर वक्त क्यों बिगाड़ा जाए। युक्लिड की परिभाषा वाला बिंदु कोई इन्सान खींच सनही सकता, फिर भी उसकी कीमत हमेशा रही है और रहेगी। इसी तरह मेरी तस्वीर की भी कीमत है। इसके लिए इन्सान जिंदा रह सकता है। अगर इस तस्वीर को पूरी तरह बनाना या पाना मुमकिन नही है, तो भी इस सही तस्वीर को पाना या इस तक पहुंचना हिन्दुस्तान की जिंदगी का मकसद होना चाहिए। जिस चीज को हम चाहते हैं; उसकी सही सही तस्वीर हमारे सामने होनी चाहिए। तभी उससे मिलती जुलती कोई चीज पाने की उम्मीद रख सकते हैं। अगर हिन्दुस्तान के हर एक गांव में कभी पंचायती राज कायम हुआ, तो मै अपनी इस तस्वीर की सचाई साबित कर सकूंगा, जिसमें सबसे पहला और सबसे आखिरी दोनो बराबर होंगे या यो कहिए कि न कोई पहला होगा और न कोई आखिरी।

इस तस्वीर में हर एक धर्म की अपनी पूरी और बारबरी की जगह होगी। हम सब एक ही आलीशान पेड़ के पत्ते हैं। इस पेड़ की जड़ हिलाई नहीं जा सकती, क्योंकि वह पाताल तक पहुंची हुई है। जबरदस्त से जबरदस्त आंधी भी उसे हिला नहीं सकती।

इस तस्वीर में उन मशीनों के लिए कोई जगह नहीं होगी, जो इन्सान की मेहनत की जगह लेकर चंद लोगों के हाथों में सारी ताकत इकठ्ठा कर देती है। सुधरे हुए लोगों की दुनिया में मेहनत की अपनी अनोखी जगह है। उसमें ऐसी मशीनों की गुंजाइश होगी, जो हर आदमी को उसके काम में मदद पहुंचाये। लेकिन मुझे कबूल करना चाहिए कि मैने कभी बैठकर यह सोचा नहीं कि इस तरह की मशीन कैसी हो सकती है। सिलाई की सिंगर मशीन का ख्याल मुझे आया था। लेकिन उसका जिक्र भी मैने यों ही कर दिया था। अपनी इस तस्वीर को पूर्ण बनाने के लिए मुझे उसकी जरूरत नहीं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Name *