प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के साथ बैर

प्रज्ञा संस्थानभारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित करने का फ़ैसला किया है. भारत ने कनाडा के रुख़ पर विरोध जताते हुए दिल्ली स्थित उसके मिशन के सीनियर डिप्लोमैट को समन किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा में भारतीय उच्चायोग और अन्य राजनयिकों पर बेबुनियाद निशाना अस्वीकार्य है. ट्रूडो सरकार के रवैए के कारण भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा ख़तरे में है. हमें वर्तमान सरकार में कोई भरोसा नहीं है. इसी को देखते हुए भारत सरकार ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त समेत अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का फ़ैसला किया है.

निज्जर की हत्या मामले में भारतीय उच्चायुक्त के नाम लेने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा एतराज़ जताया है. भारत ने कहा कि यह मुद्दा अब राजनीति से जुड़ गया है क्योंकि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ”हमें रविवार को कनाडा से एक डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन मिला था. इसमें बताया गया है कि कनाडा में चल रही एक जाँच में भारत के उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों का जुड़ाव सामने आया है. भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को सिरे से नकारती है. कनाडा की ट्रूडो सरकार वोट बैंक साधने के लिए ऐसा कर रही है.”

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पिछले साल 18 जून को अज्ञात हमलावरों के एक समूह ने की थी. इसके बाद पिछले साल सितंबर में जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा था कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया था. जवाब में भारत ने भी कनाडा के एक शीर्ष राजनयिक को पाँच दिनों के अंदर देश छोड़ने को कहा था.

भारत ने कनाडा के नागरिकों को वीज़ा देना भी बंद कर दिया था. भारत में कनाडाई मिशन से 41 राजनयिकों को वापस जाना पड़ा था. नवंबर 2023 तक भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवा बंद रखी थी. भारत इस मामले में शुरू  से ही कहता रहा है कि कनाडा ने निज्जर की हत्या के मामले में केवल आरोप लगाया है न कि कोई सबूत दिया है. भारत ने कनाडा की जाँच को बहाना बताते हुए कहा कि कनाडा की सरकार राजनीतिक फ़ायदे के लिए जानबूझकर भारत पर आरोप लगा रही है.

”प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो हिंसक अतिवादियों और आतंकवादियों को पनाह दे रहे हैं जो कनाडा में भारतीय राजनयिकों और वहाँ के सामुदायिक नेताओं को धमकी देते हैं. कनाडा की सरकार ऐसा अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर होने दे रही है.” कुछ ख़ास लोग जो कनाडा में अवैध रूप से गए, उन्हें नागरिकता देने में तनिक भी देरी नहीं की गई. कनाडा ने भारत के प्रत्यर्पण की माँग को नकार दिया ताकि आतंकवादी कनाडा में रह सकें.”

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के साथ बैर के कई सबूत हैं. 2018 में जब वह भारत के दौरे पर आए तो उनका लक्ष्य अपना वोट बैंक साधना था. उनकी कैबिनेट में वैसे लोगों को शामिल किया गया जो खुलेआम एक अतिवादी और भारत के ख़िलाफ़ अलगाववादी एजेंडा चलाने वालों से जुड़े थे. ट्रूडो की सरकार एक ऐसी पार्टी पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के ख़िलाफ़ अलगाववाद का खुलेआम समर्थन करते हैं. जस्टिन ट्रूडो की सरकार से न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) नेता जगमीत सिंह ने चार सितंबर को समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी.

ट्रूडो की सरकार एनडीपी के समर्थन से ही चल रही थी. हालांकि संसद में ट्रूडो एनडीपी के समर्थन वापस लेने के बावजूद विश्वास प्रस्ताव जीतने में कामयाब रहे हैं. कनाडा में अक्तूबर 2025 में चुनाव होने हैं. ट्रूडो चाहते हैं कि वहाँ के सिख उनका समर्थन करें. जस्टिन ट्रूडो 2015 से सत्ता में बने हुए हैं. 2019 और 2021 में ट्रूडो की पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी और वो दूसरी पार्टी के समर्थन से सरकार में हैं.

जगमीत सिंह के साथ सरकार चलाने को भारत भी अच्छी नज़र से नहीं देखता है. भारतीय मूल के जगमीत सिंह की पार्टी ने बीते आम चुनावों में 24 सीटें जीती थीं और वो किंगमेकर की भूमिका में थे. जगमीत सिंह भारत की कई मौक़ों पर आलोचना करते रहे हैं. अप्रैल 2022 में जगमीत सिंह ने कहा था, ”भारत में मुस्लिमों को निशाना बनाकर हो रही हिंसा की तस्वीरें, वीडियो देखकर मैं चिंतित हूँ. मोदी सरकार को मुस्लिम-विरोधी भावनाओं को उकसाने से रोकना चाहिए. मानवाधिकारों की रक्षा होनी चाहिए.” जगमीत सिंह की जड़ें पंजाब के बरनाला ज़िले में ठिकरिवाल गांव से जुड़ी हैं. उनका परिवार 1993 में कनाडा चला गया था.

दिसंबर 2013 में जगमीत सिंह को अमृतसर आने के लिए भारत ने वीज़ा नहीं दिया था. 2013 में जब भारत सरकार ने उन्हें वीज़ा देने से इनकार किया था तो टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ”मैं 1984 के दंगा पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाने की बात करता हूँ इसलिए भारत सरकार मुझसे ख़फ़ा रहती है. 1984 का दंगा दो समुदायों के बीच का दंगा नहीं था बल्कि राज्य प्रायोजित जनसंहार था.’

क्षेत्रफल के मामले में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. कनाडा की आबादी में सिख 2.1 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. पिछले 20 सालों में कनाडा के सिखों की आबादी दोगुनी हुई है. इनमें से अधिकांश भारत के पंजाब से शिक्षा, करियर, नौकरी जैसे कारणों से ही कनाडा पहुंचे हैं. वैनकुवर, टोरंटो, कलगैरी सहित पूरे कनाडा में गुरुद्वारों का एक बड़ा नेटवर्क है. सिखों की अहमियत इस बात से भी लगा सकते हैं कि जस्टिन ट्रूडो ने जब अपने पहले कार्यकाल में कैबिनेट का गठन किया तो उसमें चार सिख मंत्रियों को शामिल किया

 

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