छत्रपति शिवाजी के उदय और मराठा राज्य की स्थापना ने भारत का राजनैतिक वातावरण ही बदल दिया था। यह बात है अठारहवीं शताब्दी की। मराठों का भगवा परचम मुगलों से भी बड़े क्षेत्र पर फहरा रहा था। मराठों का वह शासन हिंदू शासन था, भारतीय शासन था। छत्रपति शिवाजी के शासन ने राजधर्म की पुरानी मान्यताओं को फिर से स्थापति किया था। स्थानीय शासन को कराधान के अधिकार फिर मिल गए। जिसका लोगों के हित में उपयोग होने लगा।
मंदिरों की ओर कोई बुरी नजर से आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। मजहबी पूर्वाग्रह से न्याय करने की प्रथा समाप्त हो गई। भारतीय विद्या परंपराओं का सम्मान होने लगा। धर्माचार्यों की प्रतिष्ठा फिर से स्थापित हो गई। इस तरह अठारहवीं शताब्दी भारतीय शासन की पुनर्स्थापना की शताब्दी थी। दरअसल छत्रपति शिवाजी का इतिहास देशभक्ति का इतिहास है। बलिदान और समृद्धि का इतिहास है।
हम एक फिर उस काल के साक्षी बनेंगे। अवसर है 2 से 6 नवंबर 2022 को दिल्ली में होने जा रहे राजा शिव छत्रपति महानाट्य के मंचन का। दिल्ली का लाल किला दूसरी बार राजा शिवछत्रपति महानाट्य का गवाह बनेगा। कार्यक्रम के संयोजन वैभव डांगे ने बताया कि करीब 5,000 विदेशी मेहमानो के लिए भी व्यवस्था की गई है। दिल्ली के सभी विद्यालयों में छत्रपति शिवाजी पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी। 17 अक्टूबर बर केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भूमि पूजन किया।
वेभव डांगे ने कहा कि भारतीयों के साथ ही विदेशी राजदूतों को भी नाटक देखने के लिए आमंत्रित किया गया है। लगभग पांच हजार विदेशी मेहमानों को नाटक दिखाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए नाटक का अंग्रेजी में अनुवाद की भी व्यव्स्ता की गयी है। इसके साथ ही विभिन्न स्कूलों में शिवाजी के जीवन चरित्र पर प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। जिसमें दिल्ली के 20 हजार छात्रों के हिस्सा लेने की उम्मीद है।
भूमि पूजन के साथ ही शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर क्षत्रपति बनने तक की ऐतिहासिक गौरवगाथा के लिए दिल्ली तैयार है। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से 2 से 6 नवम्बर 2022 को लाल किला दिल्ली में होगा।दिल्ली का लालकिला दूसरी बार राजा शिव छत्रपति महानाट्य का गवाह बनेगा। पहली बार साल 2018 में लालकिला दिल्ली इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना था। इस बार महानाट्य का मंचन आजादी के अमृतकाल में हो रहा है।
इस महानाट्य का भारत, अमरीका और इंग्लैंड सहित दुनियाभर में 1000 से ज्यादा मंचन हो चुका है। चार मंजिला रंगमंच, 250 से ज्यादा कलाकार और घोड़े पर सवार सैन्यबल हमारे भीतर क्षत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र को उतारते चले जाते हैं। तोप, हाथी, घोड़े पर सवार सैनिक राजा शिव छत्रपति माहाट्य को सजीव बना देते हैं। भूमि पूजन कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, भाजपा नेता श्याम जाजू, पूर्व मेयर जेपी अग्रवाल, भाजपा नेता अशोक गोयल और कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।