नहीं रहे देश के रत्न ,रतन टाटा

 

प्रज्ञा संस्थानरतन टाटा ने बुधवार देर रात इस संसार को अलविदा कह दिया। उन्हें खराब स्वास्थ्य के चलते मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार शाम यह खबर थी कि उन्हें गंभीर हालत में आईसीयू में एडमिट कराया गया था। उसके बाद से ही उनकी हालत पर नजर रखी जा रही थी। उनके निधन से पूरा देश गमगीन है।रतन टाटा का जन्म साल 1937 में प्रतिष्ठित टाटा परिवार में हुआ था। उनके जन्म के बाद उन्हें कई कठिनाइयों से रूबरु होना पड़ा। जब रतन टाटा 10 साल के थे तब, उनके माता-पिता उनसे अलग हो गए थे। इसके बाद दादी ने उनको पाला पोसा। हालांकि इस घटना ने उन्हें और समझदार बनाया

रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल और बाद में जॉन कैनन स्कूल से की। मैनेजमेंट की पढ़ाई हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की थी। उन्हें उनके अतुलनीय योगदान के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण से  भी सम्मानित किया जा चुका है। रतन टाटा 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे। उन्होंने 4 महीने अंतरिम चेयरमैन की भूमिका भी निभाई थी। उनकी उपलब्धियों में 1 लाख रुपये की कार नैनो लॉन्च, फोर्ड समूह की लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी जगुआर और लैंड रोवर खरीदना सहित और शामिल हैं। टाटा का मार्केट कैपिटल देश में सबसे अधिक है।

चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन हो, उद्योगों का निर्माण हो या लाखों लोगों को रोजगार देना हो, टाटा परिवार ने देश के लिए बहुत योगदान दिया है… उन्होंने देश के हित में काम किया है… रतन टाटा ने देश को बहुत कुछ दिया है, उन्होंने युवाओं को रोजगार दिया है, बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में योगदान दिया है। रतन टाटा ने देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है

जब रतन टाटा ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बोली लगाई ,एयर इंडिया का अधिग्रहण एक साहसिक कदम था। यह आसान नहीं था लेकिन उन्होंने यह किया। रतन टाटा को न केवल आधुनिक भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास के ताने-बाने को गढ़ने वाले एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में जाना जाता रहेगा, बल्कि वे एक महान व्यक्ति के रूप में भी जीवित रहेंगे।

देश में ईमानदारी से व्यापार करके कैसे लोगों की सेवा की जा सकती है, कैसे अपने व्यापार का विस्तार किया जा सकता है और कैसे देश ही नहीं दुनिया में नाम कमाया जा सकता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण टाटा समूह है। रतन टाटा का निधन व्यापार जगत, देश और हम सबके लिए दुखद है।

रतन टाटा के निधन के बाद उनसे जड़ी कई बातें अब लोग याद कर रहे हैं। अपने निधन से दो दिन पहले रतन टाटा ने एक भावुक पोस्ट डाली थी। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि शुक्रिया, आप हमारे बारे में सोचते हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी दी थी। उन्होंने दो दिन पहले कहा था कि वह बिल्कुल ठीक हैं और अपने रेगुलर चेकअप के लिए ब्रीच कैंडी अस्पताल आए हैं।

रतन टाटा केवल एक सफल व्यवसायी ही नहीं थे, बल्कि वे एक समाजसेवी भी थे। उन्होंने टाटा समूह में सामाजिक उत्तरदायित्व को हमेशा प्रमुखता दी। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, उन्होंने टाटा नैनो जैसी किफायती कार का सपना पूरा कर भारत के मध्यम वर्ग के लोगों को वहन करने योग्य वाहन का तोहफा दिया। रतन टाटा ने हमेशा सादगी और विनम्रता को अपनाया। उनके नेतृत्व की विशेषता है नैतिकता, दीर्घकालिक दृष्टिकोण और कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता। रतन टाटा ने कई बार जोर देकर कहा, ‘आप व्यवसाय केवल लाभ कमाने के लिए नहीं करते, बल्कि समाज को बेहतर बनाने के लिए भी करते हैं।

 

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