मध्य प्रदेश के सिंगरौली स्थित रिलायंस पावर प्लांट के ऐश डैम हादसे को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंभीरता से लिया है। बोर्ड ने रिलायंस पावर कंपनी पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए 15 दिनों के अंदर खेतों में फैले फ्लाई ऐश को हटाने के भी निर्देश दिये हैं। अगर कंपनी प्रबंधन तय समय में निर्देशों का पालन नहीं करता तो पावर प्लांट को बंद करने की कार्यवाही भी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि गत 10 अप्रैल की शाम करीब चार बजे सिंगरौली स्थित रिलायंस पावर प्लांट का ऐश डैम टूट गया था। डैम से निकले मलवे में आठ लोग बह गए थे, जिसमे से दो लोगों को बचा लिया गया था, जबकि छह लोगों की मौत हो गई थी। इसके अतिरिक्त कई मवेशी भी बह गए थे। दर्जनों एकड़ क्षेत्र की फसल बर्बाद हो गई । इस घटना के बाद 12 अप्रैल को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर पर्यावरणीय नुकसान पर रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि डैम से निकली राख से जल स्रोतों को काफी नुकसान पहुंचा है। बतातें चलें कि ऐश डैम में तापीय बिजली संयंत्रों से निकली राख को फ्लाई ऐश कहा जाता है, को जमा किया जाता है। ऐश डैम के मलबे में आर्सेनिक, सिलिका, एल्युमिनियम, पारा और आयरन होते हैं, जो दमा, फेफड़े से संबंधित रोगों, टीबी और कैंसर कारक होते हैं। मध्य प्रदेश नियंत्रण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 1974 के तहत रिलायंस पावर प्लांट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, स्टेशन निदेशक और सहायक उपाध्यक्ष पर्यावरण रिलायंस पावर प्लांट को नोटिस जारी किया है। बोर्ड ने कंपनी को अंतरिम पर्यावरण नुकसान की भरपाई के लिए 10 करोड़ रुपए जमा करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही रिहंद डैम के आसपास फैले कचरे को 15 दिनों के अंदर हटवाने का भी निदेश दिया गया है। नोटिस के मुताबिक अगर 15 दिवस दिनों के अंदर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो पावर प्लांट को बंद भी किया जा सकता है। इसके साथ ही परियोजना से संबंधित अधिकारियों का बिजली, पानी की आपूर्ति भी रोकी जा सकती है। यही नहीं नुकसान का आंकलन पूरा होने पर जुर्माने की राशि में इजाफा भी किया जा सकता है। इस मामले में पर्यावरणविदों का कहना है कि यह जुर्माना बहुत कम है। पहले भी ऐसे कई हादसों हुए हैं जिनमें थोड़े बहुत जुर्माने के साथ कंपनियों को छोड़ दिया गया। इससे हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारी बच निकलते हैं। इस मामले में कंपनी पर भारी जुर्माना लगना चाहिए और सीईओ और अन्य प्रबंधकों पर गैर इरादत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जल प्रदूषण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए। जब तक सुनवाई पूरी न हो तब तक के लिए प्लांट को बंद कर दिया जाना चाहिए। इस बारे में रिलायंस पावर प्लांट प्रबन्धन अपने तकनीकी विशेषज्ञों से मशविरा कर रही है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा रिलायंस पावर कंपनी को जारी किए गए नोटिस के बारे में सिंगरौली कलेक्टर केवीएस चौधरी ने मीडिया से कहा कि फ्लाई ऐश भरने के कारण किसानों को हुई नुकसान का आंकलन कर लिया गया है। 17 अप्रैल से किसानों के खाते में नुकसान के पैसे भेजे जाएंगे। हादसे में कुल 610 किसानों की 52 हेक्टेयर फसल चौपट हुई है जिसके एवज में किसानों को 32 लाख 98 हजार रुपए दिये जाएंगे। पांच मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा भी दिया गया है। प्रभावित परिवार के एक-एक सदस्य को परियोजना में नौकरी दी जाएगी। पहले भी होते रहे हैं हादसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा पर स्थिति सिंगरौली-सोनभद्र पट्टी को थर्मल पावर हव कहा जाता है। यहां पर थर्मल पावर के 10 प्लांट हैं, जिसमें 21,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र में स्थित पावर प्लांटों में इससे पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र स्थित शक्तिनगर में भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादन संयंत्र नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के विशालकाय ऐश डैम छह अक्टूबर, 2019 को टूट गया था। उस हादसे में कई एकड़ की फसलो के बर्बाद होने के साथ ही पशुधन की भी हानि हुई थी। इसी तरह वर्ष 2019 में ही आठ अगस्त को एस्सार पावर प्लांट के ऐश डैम टूटने से सैकड़ों मवेशियों की मौत हो गई थी और करीब दो सौ एकड़ की फसल चौपट हो गई थी। इसी तरह अप्रैल 2014 में सिंगरौली के एस्सार पावर प्लांट के ऐश डैम टूटा था। इस हादसे की जद में आई कृषि भमि बंजर हो गई। इसके अलावा इन पावर प्लांटों के प्रदूषण से इस परिक्षेत्र के लोगों का स्वास्थ्य भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। |