विख्यात फ्रांसीसी (स्पेनिश भी) चित्रकार पाब्लो रूज पिकासो की सौ से ऊपर महिला मित्र रहीं। उनमें से एक फ्रांकुवा गिलो का गत मंगलवार (6 जून 2023) को पेरिस मे निधन हो गया। उनकी आयु 101 वर्ष थी। खुद नामी-गिरामी कलाकार गिलो ने स्वेच्छा से पिकासो का संग तजा था। पिकासो तथा गिलो ने विवाह कभी नहीं किया, पर उनके एक पुत्र क्लाड और एक पुत्री पलोमा रहे। गिलो की मुलाकात पिकासो से 1943 में पेरिस के एक रेस्त्रां में हुई थी। तब वह 21 वर्ष की थी। पिकासो 61 के। चित्रकार की कानून-सम्मत पत्नी तब थी ओल्गा खोखलोवा, जो एक रूसी बैली नर्तकी थीं। पिकासो की यह पत्नी और वह युवा सखी पेरिस की सड़कों पर अक्सर लड़ चुकी थीं। सौतन जो ठहरीं।
पिकासो की विधिवत विवाहिता (12 जुलाई 1918) पत्नी ओल्गा खोखलोवा ही थीं। हालांकि महिला साथी कई थीं। ओल्गा के पिता स्टीफन खोखलोव रूसी शाही सेना में कर्नल थे। उनकी मां लिडिया ज़िनचेंको यूक्रेनी मूल की थीं। ओल्गा ने बैलेरीना बनने का फैसला किया। उसने सेंट पीटर्सबर्ग में एक निजी बैले स्कूल में अध्ययन किया। बैले का प्रीमियर 18 मई 1917 को पेरिस के थियेट्रे डु चैटेलेट में हुआ। पिकासो ने बैले के लिए पोशाकें और सेट तैयार किए थे। खोखलोवा को इटली में “लॉ फेमेस डी बोने ह्यूमर” नाम के एक बैले के लिए रिहर्सल में नृत्य करते देखने के बाद, उन्हें उससे प्यार हो गया था। फिर ओल्गा ने डांस कंपनी छोड़ दी। पिकासो ने उसे अपने परिवार से मिलवाया। उनकी माँ ने बहू के रूप में खोखलोवा को अस्वीकार कर दिया। मगर पिकासो ने शादी कर ली। पिकासो एक स्पेनिश लड़की के रूप में अपने पहले चित्र में ओल्गा को चित्रित किया था। ओल्गा ने पाउलो को 4 फरवरी 1921 को जन्म दिया। तभी से ओल्गा और पिकासो के रिश्ते बिगड़ गए। पिकासो का 1927 में एक 17-वर्षीया फ्रांसीसी लड़की, मैरी-थेरेस वाल्टर के साथ याराना शुरू हुआ।
इस कलाकार का हूनर गजब का था। एकदा वे कहीं जा रहे थे। एक महिला उसी समय उनसे पेंटिंग बनाने का आग्रह करने लगी। पिकासो खाली हाथ थे। उन्होंने महिला को टालना चाहा। लेकिन वह जिद पर अड़ गई। पिकासो ने अपनी जेब से कागज का एक टुकड़ा निकाला और उस पर पेन से कुछ बनाने लगे। दस सेकंड बाद महिला को कागज थमाते हुए कहा : यह लो मिलियन डॉलर की पेंटिंग।” महिला को लगा शायद पिकासो मजाक कर रहे हैं। वह दूसरे दिन उस पेंटिंग की कीमत आंकने के लिए बाजार गई। कला के पारिखियों से महिला को बताया कि वास्तव में वह मिलियन डॉलर की कृति थी। अब महिला सीधे पिकासो के पास पहुंची। कहा : “सर आपकी पेंटिंग मिलियन डॉलर की निकली। कृपया, आप मुझे भी पेंटिंग बनाना सिखा दीजिये, ताकि मैं भी दस सेकंड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना सकूं।” पिकासो मुस्कराए और बोले : “जो पेंटिंग मैंने दस सेकंड में बनाई है, उसके पीछे तीस साल की कड़ी मेहनत छिपी हुई है। अपने जीवन के तीस साल मैंने अपनी कला को सीखने और निखारने में दिए हैं। तब कहीं जाकर दस सेकंड में वह पेंटिंग बना पाया हूं। तुम भी सीखने में समय लगाओ, जरूर सीख जाओगी” ?
उसी बीच पिकासो से धोखा खा कर गिलो ने अपने संस्मरण लिखे थे। शीर्षक था : “पिकासो के साथ जिंदगी।” यह ग्यारह भाषाओं में अनुदित हुई और दस लाख प्रतियां बिकी। गिलो ने इस राशि से पिकासो से जन्में अपने पुत्र और पुत्री को वैध घोषित कराने पर अदालत में खर्च किये।
पिकासो की जीवन के दो दौर बड़े यादगार रहे। पहला (1901 -1941 का) नीला वक्त कहा गया। यह दुख और सुख का चित्रण था। उसके विषय तब वेश्या और भिखारी होते थे। एक चित्र “अंधे का भोजन” बड़ा मर्मदर्शी था। दूसरा दौर (1904-1906) नारंगी कहा जाता है। तब सर्कस और जांबाज खिलाड़ियों का चित्रण होता था। तभी पेरिस में पिकासो का संपर्क हुआ एक कलाकार से हुआ। वह थी फर्नांडो ओलिवियड। दोनों हमसखा हो गए।
पिकासो के लिए द्वितीय विश्व युद्ध का दौर बड़ा दुखद रहा। पेरिस पर नाजी गेष्टापो का कब्जा था। पिकासो पर हिटलर के नाजी सैनिकों की नजर थी। फ्रांसीसी भूमिगत योद्धा उनके साथी रहे। तभी चालीस-वर्षीया डोरा मार नमक अधेड़ से पिकासो का इश्क बढ़ा। गिलो ने नाराज होकर पिकासो को छोड़ दिया। मगर पिकासो को तभी एक अन्य युवा मित्र मिल गई। नाम था जेनीवि लर्जोते जो गिलो से चार साल छोटी थी। उससे विवाह (1961) कर पिकासो ने नया दांपत्य प्रारंभ किया। फिर आजीवन साथ रहे। उससे ठीक पूर्व पिकासो ने जैकलीन रोक नामक कला-प्रशंसक युवती के साथ प्यार किया और घर बसा लिया था।
महिला सान्निध्य के अलावा, पिकासो का ज्यादातर लगाव रहा फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी से। उन्हें स्तालिन शांति पुरस्कार से नवाजा गया। पिकासो से अपार आर्थिक मदद फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी पाती रही। बल्कि पिकासो के कई मशहूर चित्रों की रकम पार्टी फंड में जमा होती रही। विश्व शांति परिषद (World Peace Council) का चिन्ह “काला-सफेद कबूतर” इन्हीं पिकासो की कृति है। तब सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी हेलसिंकी (फिनलैंड) से इसका नियंत्रण करती थी। वे 1944 से आजीवन (8 अप्रैल 1973) तक फ्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ सदस्य रहे।
नारियों के बारे में पिकासो का दृष्टिकोण बड़ा स्पष्ट था। उनकी राय में केवल दो किस्म की औरतें होती हैं : “देवियां अथवा पायदान।” ऐसी अवधारणा के बनने में उनके पिता जोस रूइज ब्लासको, जो स्वयं एक चित्रकार थे, का योगदान रहा। वे अपने पुत्र को 13 वर्ष की आयु से ही वेश्यालय ले जाते थे। मकसद था कि दुनियावी तजुर्बा हो जाए। इस हिसाब से युवा पिकासो की दो पत्नियां, छः सहवासिनियां और अनगिनत प्रेमिकायें रही। उनकी अंतिम शादी हुई थी 1961 में जब वे अस्सी साल की आयु मे थे। तब 27-वर्षीया जैकलिन बीबी बनी। उस पर 70 तस्वीरें पिकासो ने बनाई। उनके प्रशंसक तारीफ में कहा करते थे कि चित्रकार के अनवरत प्रेम की गाथा की अभिव्यक्ति हैं उनके ये चित्र।